हेमंत तिवारी, सुरेश बहादुर सिंह, श्रेय शुक्ला, योगेश मिश्रा, शशि नाथ दुबे, अरुण त्रिपाठी आदि की मान्यताओं पर मंडराया खतरा, शपथ पत्र समर्थित शिकायत पर होगी कार्यवाही

भारत सरकार के समाचार पत्र के पंजीयक कार्यालय से प्राप्त जानकारी के अनुसार सरकारी धनराशि के दुरुपयोग का बड़ा उदाहरण देखने को मिलता है जिसमें उत्तर प्रदेश के सूचना एवं जनसंपर्क विभाग के अधिकारियों का भी आरटीआई के तहत मिलने वाली जानकारी से बड़ा खुलासा होगा।

राज्य मुख्यालय मान्यता प्राप्त पत्रकारों का है बड़ा खेल, सरकारी धनराशि के दुरुपयोग का सबसे बड़ा घोटाला

भारत सरकार के समाचार पत्र के पंजीयक कार्यालय से प्राप्त जानकारी के अनुसार सरकारी धनराशि के दुरुपयोग का बड़ा उदाहरण देखने को मिलता है जिसमें उत्तर प्रदेश के सूचना एवं जनसंपर्क विभाग के अधिकारियों का भी आरटीआई के तहत मिलने वाली जानकारी से बड़ा खुलासा होगा।
अधिवक्ता के रूप में कार्यरत अरुण कुमार त्रिपाठी द्वारा अपने ही निवास के पते से जहां अपने स्वामित्व में अनेक समाचार पत्रों का प्रकाशन करके न सिर्फ बार काउंसिल आफ उत्तर प्रदेश के स्थापित नियमों की धज्जियां उड़ाई जा रही है वहीं राज्य मुख्यालय की मान्यता प्राप्त कर सूचना विभाग के नियमों को भी ठेंगा दिखाने का काम किया जा रहा है । अरुण त्रिपाठी के समाचार पत्रों की फेहरिस्त देखकर और सूचना विभाग से मिले विज्ञापन की धनराशि और जीएसटी के खेल से कुछ नया ही देखने को मिलेगा लेकिन यह खेल सिर्फ अरुण त्रिपाठी द्वारा ही नहीं खेला जा रहा है बल्कि आरटीआई आवेदन को देखने के पश्चात भोजपुरी फिल्म के निर्माता निर्देशक हीरो शशि नाथ दुबे के परिवार को मिलने वाले विज्ञापन की धनराशि भी इसका एक उदाहरण बनेगी।

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राज्य मुख्यालय मान्यता प्राप्त पत्रकार राजेंद्र गौतम की पत्नी के नाम से छपने वाले समाचार समाचार पत्र को सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार मात्र 3 माह में 36 लाख से भी ज्यादा विज्ञापन प्राप्त कर बड़े-बड़े अखबारों को भी पीछे छोड़ दिया है और तो और हेमंत मैथिल जिनकी राज्य मुख्यालय मान्यता है और सूचना विभाग के उच्च अधिकारियों के अत्यंत करीबी माने जाते हैं उनकी पत्नी के नाम से छपने वाले समाचार पत्रों को मिलने वाली धनराशि करोड़ों में बताई जाती है। अजब खेल हैं गजब अंदाज है सिर्फ यही नही राजेश जायसवाल, शिव नरेश सिंह आदि अनेक राज्य मुख्यालय मान्यता प्राप्त पत्रकार लोकभवना में बैठकर विज्ञापन लिखाने के बड़े खिलाड़ी है और सरकारी धनराशि का बड़ा दुरुपयोग आरटीआई खुलासे से साबित होगा लेकिन इस खेल में सूचना एवं जनसंपर्क विभाग के अधिकारियों की मिली भगत से इनकार नहीं किया जा सकता कयोंकि पूर्व में शशि नाथ दुबे के समाचार पत्रों के संबंध में मांगी गई जानकारी के जवाब में सिर्फ टेंडर विज्ञापन की धनराशि के बारे में सूचना अवगत कराते हुए  डिस्प्ले विज्ञापन के संबंध में कोई जानकारी नहीं दी गई जो प्रमाणित करता है कि खेल तो लंबा है ही लेकिन इसके तार कुछ अधिकारियों के घर तक जुड़े हुए हैं।

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