देश भर के सभी समाचार पत्र व पत्रिकाओं के प्रकाशकों से अपील

इस वर्ष वार्षिक विवरणी ऑनलाइन दाखिल करने के लिए पहले पंजीकरण करना होगा । फिर मालिक, प्रकाशक, मुद्रक, प्रिंटिंग प्रेस, चार्टर्ड एकाउंटेंट की प्रोफाइल बनाकर अपलोड करनी पड़ेगी । प्रोफाइल के बिना वार्षिक विवरण को दाखिल नहीं कर पाएंगे । साथ ही प्रिंटिंग प्रेस को जीएसटी में पंजीकृत होना चाहिए । अन्यथा प्रकाशक वार्षिक विवरण प्रस्तुत नहीं कर पाएंगे । ऐसा लगता है कि सरकार ने प्रिंट मीडिया को समाप्त करने की योजना को मूर्त रूप देने के लिए प्रेस सेवा पोर्टल की योजना को लागू किया है ।

भारत के समाचार पत्रों के महापंजीयक द्वारा इस वर्ष से प्रकाशकों को विषम परिस्थितियों में डाल दिया गया है । प्रेस सेवा पोर्टल के माध्यम से प्रकाशकों को अपने-अपने समाचार पत्र व पत्रिकाओं को बंद करने का कुचक्र रचा गया है । एक तरफ तो समाचार पत्र को व्यवसाय या उद्योग का दर्जा सरकार ने आज तक नहीं दिया है । वर्षों से समाचार पत्रों व पत्रिकाओं के पंजीयन प्रमाण पत्र जारी नहीं किए गए है । अनेकों मामले शीर्षक संबंधी मामले लम्बित है । पंजीयन प्रमाण पत्र में संशोधन के मामले लम्बित है । इन सब प्रकरणों को निस्तारित किए बिना प्रेस सेवा पोर्टल को लागू किया जाना न्याय संगत नहीं है । ज्ञातव्य हो कि प्रेस सेवा पोर्टल में अनेकों ऐसे प्राविधान रखे गए हैं जिन्हें छोटे व मझौले समाचार पत्रों व पत्रिकाओं के प्रकाशकों के द्वारा पूरा किया जाना असंभव है । प्रेस सेवा पोर्टल शुरू किए जाने से पूर्व सभी समाचार पत्रों के संगठनों से विचार विमर्श किया जाना चाहिए था । इस वर्ष वार्षिक विवरणी ऑनलाइन दाखिल करने के लिए पहले पंजीकरण करना होगा । फिर मालिक, प्रकाशक, मुद्रक, प्रिंटिंग प्रेस, चार्टर्ड एकाउंटेंट की प्रोफाइल बनाकर अपलोड करनी पड़ेगी । प्रोफाइल के बिना वार्षिक विवरण को दाखिल नहीं कर पाएंगे । साथ ही प्रिंटिंग प्रेस को जीएसटी में पंजीकृत होना चाहिए । अन्यथा प्रकाशक वार्षिक विवरण प्रस्तुत नहीं कर पाएंगे । ऐसा लगता है कि सरकार ने प्रिंट मीडिया को समाप्त करने की योजना को मूर्त रूप देने के लिए प्रेस सेवा पोर्टल की योजना को लागू किया है । हम आव्हान करते कि इस प्रेस सेवा पोर्टल का सभी प्रकाशकों को बहिष्कार करना चाहिए । जब तक प्रेस सेवा पोर्टल में वार्षिक विवरण को दाखिल करने में सरलीकरण न कर दिया जाए तब तक किसी हालत में वार्षिक विवरण प्रस्तुत नहीं किया जाएं । वर्तमान परिदृश्य में सभी प्रकाशकों को एकता के साथ इस सरकारी कुचक्र का कड़ा विरोध करने की जरूरत है । अन्यथा छोटे व मझौले अखबारों को सरकार बंद करने की योजना में सफल हो जायेगी । लोकसभा चुनाव संपन्न होने के बाद केंद्रीय संचार ब्यूरो, प्रेस इनफॉर्मेशन ब्यूरो व भारत के समाचार पत्रों के महापंजीयक कार्यालयों की मनमानी नीतियों का कड़ा विरोध करने के लिए आंदोलन करने पर विचार किया जाएगा । सरकार को दमनात्मक नीतियों को वापिस लेने के लिए मजबूर किया जाएगा ।

सरदार गुरिंदर सिंह, राष्ट्रीय अध्यक्ष
सदस्य, भारतीय प्रेस परिषद

एल. सी. भारतीय
सदस्य, भारतीय प्रेस परिषद

अशोक कुमार नवरत्न, राष्ट्रीय महासचिव
पूर्व सदस्य, भारतीय प्रेस परिषद
All India Small & Medium Newspapers Federation, New Delhi.

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