4पीएम के प्रधान संपादक संजय शर्मा और दो अन्य व्यक्तियों को दिल्ली हाईकोर्ट ने लगाई लताड़, X पर पोस्ट हटाने का दिया आदेश
दुआ ने अपनी याचिका में कहा था कि उनके पोस्ट में 4पीएम के समाचार या शर्मा का उल्लेख नहीं था लेकिन फिर भी शर्मा ने उन पर जुबानी अटैक किया. दुआ ने दलील दी कि शर्मा के ट्वीट ने उनके साथ-साथ द न्यू इंडियन को भी बदनाम किया, क्योंकि इसमें उनके सत्ता दल के प्रति आभारी होने जैसी बात कही गई थी. इसके साथ ही दो अन्य व्यक्तियों के ट्वीट में आरोप लगाया गया कि दुआ दिन रात मोदी और भाजपा भक्ति में लीन हैं, और वे सटीक जानकारी के लिए 4पीएम के समाचार देखते हैं. विवादित पोस्टों को देखते हुए जस्टिस महाजन ने कहा कि प्रथम दृष्ट्या ट्वीट से यह संकेत मिलता है कि दुआ सत्तारूढ़ सरकार के प्रति पक्षपाती थे, जिससे पत्रकार के रूप में उनकी साख को नुकसान पहुंचने की संभावना थी.
लखनऊ के सांध्य दैनिक 4पीएम के प्रधान संपादक संजय शर्मा और दो अन्य व्यक्तियों को दिल्ली हाईकोर्ट ने अपमानजनक ट्वीट हटाने का निर्देश दिया है. यह ट्वीट 2024 आम चुनाव के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इंटरव्यू के संबंध में द न्यू इंडियन के एडिटर इन चीफ रोहन दुआ को लेकर किया जाना बताया गया है.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, जस्टिस विकास महाजन ने आदेश दिया कि यदि शर्मा, सुल्तान सिद्दीकी और चंद्र कुमार दो सप्ताह के अंदर एक्स पर पोस्ट हटाने में विफल रहते हैं तो माइक्रो ब्लॉगिंग प्लेटफॉर्म, दुआ द्वारा किए गए अनुरोद के 36 घंटे के भीतर ट्वीट हटा देगा.
अदालत ने रोहन दुआ और द न्यू इंडियन की मूल कंपनी द्वारा तीनों व्यक्तियों के खिलाफ दायर मानहानि के मुकदमे में आदेश पारित किया, जिसमें तर्क दिया गया कि उनके ट्वीट पत्रकार के रूप में वर्षों से बनी उनकी प्रतिष्ठा को बदनाम करते हैं.
जुलाई 3 को दुआ ने ट्वीट किया कि वह यूट्यूब पर चल रहे देश के सबसे बड़े घोटाले का पर्दाफाश करेंगे, जिसमें 24 कर्मचारियों की कथित संलिप्तता है, जिनके कुछ यूट्यूबर्स के साथ कॉल और संदेश एल्गोरिदम में हेरफेर, जांच दायरे में थे.
दुआ ने अपनी याचिका में कहा था कि उनके पोस्ट में 4पीएम के समाचार या शर्मा का उल्लेख नहीं था लेकिन फिर भी शर्मा ने उन पर जुबानी अटैक किया. दुआ ने दलील दी कि शर्मा के ट्वीट ने उनके साथ-साथ द न्यू इंडियन को भी बदनाम किया, क्योंकि इसमें उनके सत्ता दल के प्रति आभारी होने जैसी बात कही गई थी.
विवादित पोस्टों को देखते हुए जस्टिस महाजन ने कहा कि प्रथम दृष्ट्या ट्वीट से यह संकेत मिलता है कि दुआ सत्तारूढ़ सरकार के प्रति पक्षपाती थे, जिससे पत्रकार के रूप में उनकी साख को नुकसान पहुंचने की संभावना थी.
अदालत द्वारा यह भी कहा गया कि, “निष्पक्ष पत्रकारिता दर्शकों और पाठकों के बीच विश्वास भी बढ़ाती है. इसलिए पोस्ट से देखा जा सकता है कि इस तरह के बयान-आरोप लगाना, प्रथम दृष्ट्या, एक पत्रकार के रूप में वादी संख्या 2 (दुआ) की ईमानदारी पर संदेह पैदा करता है, जिसके लिए कोई ठोस सामग्री नहीं दिखती है.”