उन्नाव SDM पत्रकार मामला : रंजन ने पीएम, सीएम, प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया समेत तमाम अधिकारियों को एसडीएम व अन्य लोगों के खिलाफ कार्यवाही की मांग की

अपनी खबर के जरिए रंजन ने हसनगंज तहसील से सटी पुरवा तहसील के एसडीएम उदित सिंह सेंगर पर मिट्टी के अवैध खनन करवाने का मय तथ्यों के आरोप लगाया. पत्रकार रंजन ने आरोप लगाते हुए बताया- पुरवा तहसील क्षेत्र में कई स्थानों पर अवैध रूप से मिट्टी खुदवाकर एसडीएम भ्रष्टाचार कर रहा है. जिसमें उनका साथ यहां के खनन करने वाला एक सिंडीकेट भी दे रहा है. जिसके साथ मिलकर एसडीएम खनन उसकी मिट्टी प्रति डंफर 5 हजार से 6 हजार रूपए में प्राइवेट स्थानों पर बेंचकर बड़ा भ्रष्टाचार कर रहे हैं.

उन्नाव जिले के माफियाओं से सांठगांठ करने वाले एसडीएम उदित सिंह सेंगर द्वारा फर्जी मुकदमों में जेल भेजे गए पत्रकार रंजन बाजपेई ने राष्ट्रपति से लेकर तमाम मंत्रालयों और अफसरों से प्रकरण की शिकायत भेजी है.

अपने प्रार्थना पत्र में पीड़ित पत्रकार रंजन ने लिखा है- असोहा पुलिस जिस समय उनकी गिरफ्तारी कर थाने ले गई, उसके बाद थानाध्यक्ष विमलकांत गोयल ने एसडीएम उदित सिंह सेंगर को भी रात करीब 1 बजे थाने बुलाया. कुछ देर बाद एसडीएम थाने पहुंच गए और रंजन बाजपेई के खिलाफ योगेश नाम के युवक जो कि असोहा थाना क्षेत्र के पहासा गांव का है, एसडीएम का करीबी भी बताया जा रहा है.. के द्वारा फर्जी वसूली की तहरीर की बिना जांच मुकदमा पंजीकृत कर ली गई.

इस तहरीर में जिले कई सालों से पत्रकारिता क्षेत्र में सक्रिय पत्रकार संकल्प दीक्षित का नाम भी शामिल कर दिया. रंजन बाजपेई ने बताया कि जिस योगेश नाम के युवक की तहरीर पर पुलिस ने मुकदमा दर्ज किया.. दरअसल वह खनन माफिया है और एसडीएम के इशारे पर मुझे कुछ रुपया लेकर शांत रहने की बात दिनांक 05 दिसंबर से 07 दिसंबर तक करता रहा है.

चूंकि पुलिस खिसियाई थी और एसडीएम को करोड़ों का नुकसान हो रहा था इसलिए पुलिस ने बिना जांच दूसरा केस भी पंजीकृत कर दिया. जबकि रंजन बाजपेई के पास खुद योगेश ने दो दिन के अंतराल में करीब 14 बार फोन किया, जिसमें रंजन ने 3 बार फोन काटा और 11 बार हुई बात में योगेश पैसे लेकर शांत रहने को कह रहा है, जिसकी रिकॉर्डिंग भी रंजन बाजपेई के पास मौजूद है.

 

रंजन ने पीएम, सीएम, प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया समेत तमाम अधिकारियों को एसडीएम व अन्य लोगों के खिलाफ प्रार्थना-पत्र देकर कार्यवाही की मांग की है. रंजन ने शपथ-पत्र देते हुए कहा कि जिस दिन से उन्होंने प्रार्थना पत्र अधिकारियों को दिए उसके बाद से उनके व उनके परिवार पर भी खतरा मंडरा रहा है.

प्रभावशाली होने के कारण उक्त लोग किसी भी हद तक जाने को तैयार हैं, लेकिन रंजन अपने साथ हुए अन्याय के खिलाफ आखिरी दम तक लड़ना चाहते हैं और दोषियों के खिलाफ कार्यवाही की मांग करते रहेंगे.

देखें पत्र…

प्रशासन और खनन माफियाओं के मिलीभगत को उजागर करना पत्रकार को पड़ा भारी, जाना पड़ा जेल ……….. 

उत्तर प्रदेश के जनपद उन्नाव में प्रशासन और खनन माफियाओं के मिलीभगत की ऐसी तस्वीर सामने आई है.. जिसे पढ़कर आप दांतो तले उंगली दबा लेंगे. इतना ही नहीं इस मिलीभगत की पीड़ा उस पत्रकार को दी गई जो जिले में अपनी निडर लेखनशैली के लिए चर्चित है.

पत्रकार का नाम रंजन बाजपेई है. रंजन हिंदी दैनिक अमृत विचार अखबार के उन्नाव- सोहरामऊ क्षेत्रीय संवाददाता के पद पर काम कर रहे थे. रंजन बाजपेई पिछले करीब दो सालों से अमृत विचार के साथ काम रहे थे.

रंजन से जुड़ा ये पूरा प्रकरण मुख्यमंत्री के ड्रीम प्रोजेक्ट में से एक गंगा एक्सप्रेस -वे व एलिवेटेड हाइवे के निर्माणाधीन कार्य से भी ताल्लुक रखता है. इस प्रोजेक्ट में काफी मात्रा में मिट्टी आपूर्ति की जानी है. इस दौरान रंजन को प्रोजेक्ट में मिट्टी के अवैध तरीके से पूर्ति किए जाने की खबर मिली.

अपनी खबर के जरिए रंजन ने हसनगंज तहसील से सटी पुरवा तहसील के एसडीएम उदित सिंह सेंगर पर मिट्टी के अवैध खनन करवाने का मय तथ्यों के आरोप लगाया. पत्रकार रंजन ने आरोप लगाते हुए बताया- पुरवा तहसील क्षेत्र में कई स्थानों पर अवैध रूप से मिट्टी खुदवाकर एसडीएम भ्रष्टाचार कर रहा है. जिसमें उनका साथ यहां के खनन करने वाला एक सिंडीकेट भी दे रहा है. जिसके साथ मिलकर एसडीएम खनन उसकी मिट्टी प्रति डंफर 5 हजार से 6 हजार रूपए में प्राइवेट स्थानों पर बेंचकर बड़ा भ्रष्टाचार कर रहे हैं.

रंजन बताते हैं कि, खबर मैंने जब अपने अखबार में प्रकाशित की तो एसडीएम ने उन्हें जाल में फंसाने की ठान ली. इस बीच पुरवा तहसील क्षेत्र के असोहा थाना क्षेत्र में पीएनसी की आड़ में कुछ खनन माफिया अवैध तरह से किसानों की मिट्टी खोदकर प्राइवेट जगहों पर आपूर्ति कर रहे थे. जिसका केवना ग्राम प्रधान पूतान यादव के साथ मिलकर गांव वालों ने विरोध करते हुए खनन माफियाओं की मशीनें जिसमें पोकलैंड, जेसीबी और डंफर शामिल थे पकड़ लिया.

यह तब हुआ जब कई दिनों से पुलिस को सूचना दे रहे गांव वाले खनन से आजिज आ चुके थे, लेकिन पुलिस एक बार भी मौके पर झांकने नहीं आई.. लेकिन ग्रामीणों के मशीनें पकड़ने की सूचना जैसे ही असोहा पुलिस को मिली तो असोहा थानाध्यक्ष, एसडीएम के इशारे पर मौके पर पहुंच गए और ग्रामीणों को कार्यवाही का भरोसा दिलाते पकड़ी गई गाड़ियों को छुड़वाकर एक्सप्रेसवे के निर्माण में लगी कार्यदाई संस्था पीएनसी के ड्राइवर से तहरीर लेकर दो पत्रकारों समेत कई ग्रामीणों के खिलाफ गंभीर धाराओं के मुकदमा पंजीकृत कर लिया.

मामले में पुलिस ने कई लोगों को जेल भेजकर कार्यवाही की. इसके बाद एसडीएम के दबाव में काम कर रही असोहा पुलिस ने बिना जांच किए पत्रकार रंजन बाजपेई का नाम एफआईआर में बढ़ाते हुए 17 दिसंबर को लखनऊ के बिजनौर थाना क्षेत्र के रॉयल सिटी उनके किराए के मकान से हसनगंज सीओ संतोष सिंह, बीघापुर सीओ ऋषिकांत शुक्ला, असोहा थानाध्यक्ष विमलकांत गोयल, अजगैन इंस्पेक्टर अवनीश सिंह, सोहरामऊ थानाध्यक्ष शरद कुमार समेत करीब 40 पुलिसकर्मियों ने एक अपराधी की तरह रंजन को उठा लिया.

रंजन का आरोप है कि पुलिस, एसडीएम के प्रभाव में इस तरह डूबी थी कि उन्हें सर्दी के कपड़े पहनने तक का मौका नहीं दिया. इसके बाद एसडीएम उदित सिंह की पुलिस की मौजूदगी में रंजन के पहने हुए जनेऊ को हाथों से तोड़ा और कलम चलाने वाली उंगलियों को भी अपने जूतों से रगड़ते हुए बुरी तरह से पीटा.

प्रकरण में पुलिस ने बिना रंजन की सुने दो-दो एफआईआर दर्ज कर दी और 18 दिसंबर को रंजन को जेल भेज दिया. करीब 5 दिन जेल में रहने के बाद 23 दिसंबर को रंजन जेल से जमानत पर बाहर हैं और अब अपने साथ हुई यातनाओं के खिलाफ जंग लड़ रहे हैं.

आरोप है कि इस दौरान असोहा पुलिस ने उनकी गिरफ्तारी भी दूसरी जगह से दिखाते हुए FIR दर्ज की. जबकि यह दोनों ही एफआईआर गलत हैं, जिसे लेकर मैं राष्ट्रपति से लगाकर तमाम लोगों को शिकायतें भेज रहा हूं.

उन्नाव के पत्रकार रंजन पर दर्ज पहली एफआईआर (7 नवंबर 2024) देखें…

यहां देखें दूसरी एफआईआर (18 दिसंबर 2024)…

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