इन फेसबुक पोस्ट के कारण मंत्री ने पत्रकार को जिंदा जलाया?

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एक स्थानीय पत्रकार की उत्तर प्रदेश में हत्या के बाद वहां की राजनीति गर्म हो गई है। विपक्षी पार्टियां राज्य में कानून-व्यवस्था पर गंभीर सवाल उठा रही हैं। दूसरी तरफ अखिलेश सरकार पूरी तरह से बैकफुट पर है। आखिर पत्रकार की किन बातों से मंत्री को आपत्ति थी? कहा जा रहा है कि पत्रकार जगेंद्र सिंह को इन फेसबुक पोस्ट के कारण मंत्री ने जिंदा जलवा दिया। आप भी इन्हें पढ़ें…
31 मई की पोस्ट
समाजवादी पार्टी मुखिया मुलायम सिंह यादव ने बलात्कार के मामले में पीड़ित महिलाओं की खिल्ली उड़ाते हुए एक बार कहा था कि जवानी में गलती हो ही जाती है। तब से सपाई उनके कहे रास्ते पर ही चल पड़े लगते हैं। राज्यमंत्री राममूर्ति सिंह वर्मा और उनके गुर्गों पर एक आंगनबाड़ी कार्यकर्ता ने गैंग रेप का आरोप लगाया तो सारे सपा नेता बेशर्मी के साथ बलात्कारियों के पक्ष में जुट गए हैं। सपा की महिला नेता भी पीड़िता के बजाय बलात्कारियों की वकालत करने में जुट गई हैं। शायद सपा नेता कल को यह भी कह दें कि बुढ़ापे में गलती हो ही जाती है। पीड़ित महिला के पक्ष में अभी तक कोई आगे नहीं आया है। सभी को मंत्री और सत्ता का डर सता रहा है। पीड़ित महिला पर नेताओं, गुंडों और पुलिस का दबाव पड़ रहा है। …वाकई यूपी गुंडों की हो गई है?

30 मई की पोस्ट
मंत्री राममूर्ति के पास कहां से आई अरबों की संपत्ति
यूपी सरकार में राममूर्ति सिंह वर्मा को मंत्री बने हुए तीन साल हो गए हैं, लेकिन उन्होने जनता का कितना भला किया है, यह किसी से छिपा नहीं है। अलबत्ता मंत्री जी ने अरबों की संपत्ति जरूर इकट्ठा कर ली। मंत्रीजी ने बेशकीमती जमीनें या तो हथिया लीं या फिर अपने किसी करीबी के नाम जमीन कराकर उसमें हिस्सेदारी तय कर ली। सूत्रों के मुताबिक मंत्री जी के पास 50 एकड़ से अधिक ऐसी जमीन है जो सीलिंग की जद में आती है। कई अवैध कॉलोनियां मंत्री जी, उनका बेटा और भांजा विकसित कर रहा है। खेतों की जमीने सस्ते में खरीदकर कॉलोनियां बनाई जा रही हैं। और तो और मंत्री जी ने जमीन कब्जाने के लिए जमौर में बख्शी नाला तक पाट दिया और उसका रुख मोड़ दिया।
जमौर में गैस रीफिलिंग प्लांट के पास बड़ा सा आहता है। सूत्र बताते हैं कि अरबों की इस जमीन में मंत्री जी का पैसा लगा है। यह जमीन जगदीश आदि के नाम बताई जाती है। इसी से सटकर बख्शी नाला निकला है। मंत्री जी ने जमीन का दायरा बढ़ाने के लिए चार लट्ठे के इस नाले का आधे से ज्यादा भाग अपने कब्जे में करके उसका रुख ही मोड़ दिया। अब यह नाला मौके पर एक लट्ठे का रह गया है। इस पर 122 बी की कार्यवाही कराकर स्टे भी ले लिया है। मंत्री के दबाव में सरकारी कर्मचारियों ने स्टे ब्रेकेट कराने की हिम्मत नहीं की।
जलालाबाद के अतरी में चकबंदी चल रही है। यहां हेरफेर करके मंत्री जी ने करीब 250 बीघा जमीन अपने परिवारियों के नाम दर्ज करा दी है। अकर्रा रसूलपुर में खुर्रम कॉलोनी में भी मंत्री का हिस्सा बताया जाता है। इस कॉलोनी के लिए रास्ता मात्र चार मीटर है। इस रास्ते पर शेखर अस्पताल के मालिक डॉ शेखर की जमीन है। मंत्री जी डॉक्टर पर दबाव डालकर रास्ते को आठ मीटर चौड़ा करना चाहते हैं। कांट रोड पर ही एक और कॉलोनी है। इस कॉलोनी में काफी जमीन पर मंत्री जी ने कब्जा करा रखा है और कब्जा छोड़ने के लिए एक करोड़ रुपये की डिमांड कर रहे हैं। राममूर्ति सिंह वर्मा का संयुक्त परिवार है। इसके बावजूद जन सूचना अधिकार के तहत मांगे गए जमीन के ब्यौरे में मंत्री जी ने सिर्फ अपने नाम की ही जमीन दर्शायी है। जन सूचना अधिकार के तहत मांगी गई सूचना में नगला हाजी सदर की जमीन मंत्री जी ने दर्शायी ही नहीं। मंत्री जी की बेनामी संपत्ति अरबों की है। अगर इसकी सीबीआई जांच हो जाए तो सबकुछ सामने आ जाएगा। शायद राममूर्ति सिंह वर्मा को मंत्री पद जमीने हथियाने के लिए ही दिया गया है।

29 मई की पोस्ट
अभी-अभी विश्वस्त सूत्रों से सूचना मिली है कि राज्यमंत्री राममूर्ति सिंह वर्मा के गुर्गे दुराचार पीड़ित महिला के घर पर हमला कर उसका अपहरण और हत्या का प्रयास कर सकते हैं। अगर ऐसा हुआ तो यह घटना पूरे देश पर कलंक साबित होगी। एक पीड़ित महिला न्यायालय में न्याय मांग रही है और दूसरी ओर उसकी हत्या के मंसूबे बनाए जा रहे हैं… बिल्कुल फिल्मों जैसी हकीकत सामने आ रही है।
आखिरी पोस्ट (एक जून)
रिंकू यादव के एमएलसी टिकट में रोड़े अटका रहे राममूर्ति
राज्यमंत्री राममूर्ति सिंह वर्मा एमएलसी टिकट के प्रबल दावेदार अमित यादव उर्फ रिंकू की राह में रोड़े अटकाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहे हैं। राममूर्ति ने रिंकू को राजनीति में आने से रोकने के लिए अपने कई करीबियों को टिकट की लाइन में लगवा दिया है। दरअसल राममूर्ति सिंह वर्मा ने जिन लोगों को एमएलसी के टिकट के लिए लाइन में लगाया है उनके भी भले नहीं हैं। सपा में भितरघात कराकर वह एक हाथी वाले अपने करीबी को टिकट दिलाने की जुगत में लगे हैं। आज भले ही विधायक राजेश यादव और सपा जिलाध्यक्ष तनवीर खां उनके कंधे से कधा मिलाकर खड़े नजर आ रहे हों, लेकिन सच यह है कि चेयरमैनी के चुनाव में उन्होने एक प्रत्याशी को मैदान में उतारकर तनवीर खां की राह में भी रोड़े अटकाए थे। विधानसभा चुनाव में उन्होने बीजेपी प्रत्याशी की मदद की थी। भितरघात की पुरानी आदत के कारण बसपा सुप्रीमो मायावती ने उन्हें बाहर का रास्ता दिखा दिया था। मौका परस्त राजनीति करने वाले राममूर्ति सिंह वर्मा 2017 में देखो किस पार्टी में नजर आएं।

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