जयपुरी पत्रकारों ने हमलावरों से थूक चटवाया, यूपी में होती है डील

जयपुर से खबर आ रही है कि वहां के पत्रकारों ने अपने साथियों के साथ मारपीट के एक मामले में आरोपी डॉक्टर से अख़बारों में विज्ञापन के जरिये माफ़ी मंगवाई है। देश में यह पहला मामला है, जब पत्रकारों पर हमला करने वालों को इतने बडा झटका झेलना पड़ा। इस आंदोलन का नेतृत्व पिंकसिटी प्रेस क्लब के अध्यक्ष एल एल शर्मा ने किया था। इस आंदोलन को राजस्थान श्रमजीवी पत्रकार संघ, राजस्थान पत्रकार परिषद, जर्नलिस्ट एसोसिएशन ऑफ राजस्थान तथा आई एफ डब्लू जे का पूरा समर्थन मिला। यानी यह पूरा संघर्ष एकजुट रहा और पत्रकारों के सभी घटक-तत्‍व एकजुट रहे और पूरी मजबूती के साथ जमे रहे। लेकिन जरा सोचिये कि यह हादसा जयपुर का न होकर, यूपी या लखनऊ का हुआ करता, तो फिर असल तस्‍वीर क्‍या होती। हम आपको बताते हैं कि ऐसी हालत में पत्रकारों के बड़े नेता इस मामले में जमकर डील कर लेते। और पत्रकार का हित जाता भाड़ में।

 

आपको बता दें कि इंडिया न्यूज़ की जर्नलिस्ट छवि अवस्थी और वीडियो जर्नलिस्ट संजय राजपूत कवरेज के लिए 11 मई को ग्लोबल हार्ट एंड जनरल हॉस्पिटल में गए थे। इस हॉस्पिटल की लापरवाही से एक महिला और उसके दो बच्चो की मौत हो गई थी। कवरेज के दौरान दोनों के साथ जमकर मारपीट की गई और उनको बंधक बना लिया। इस घटना के विरोध में पत्रकारों ने आंदोलन छेड़ा था।

घटना के तीन दिन बाद ही इंडिया न्यूज़ इस आंदोलन से पीछे हट गया और दोनी कर्मचारियों को भी हटा दिया। डॉक्टर्स एसोसिएशन ने भी इस आंदोलन को कुचलने की कोशिश की। पुलिस ने तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया था जो 21 मई तक भी जेल में थे। इस घटना के लिए डॉक्टरों ने जयपुर से प्रकाशित सात बड़े अखबारों में विज्ञापन देकर सार्वजनिक माफ़ी मांगी है। इसके बाद पत्रकारों ने आंदोलन समाप्त किया।

मिली खबरों के मुताबिक पिंकसिटी प्रेस क्लब के अध्यक्ष एल एल शर्मा ने इस तरह के माफीनामे की पुष्टि करते हुए कहा कि हमारी टीम का एक ही मकसद था कि दोनों के साथ न्याय हो। सात दिन का समय जरूर लगा, मगर वो ही हुआ जो छवि तथा संजय औऱ सभी पत्रकारों की मंशा थी। उन्‍होंने कहा कि हमारी मांग थी कि अस्पताल संचालक अख़बारों में विज्ञापन देकर सार्वजानिक माफी मांगे। इसके साथ ही पत्रकारों के सामने आकर भी माफी मांगे। हमारी मंशा थी कि यह मांग कैसे भी पूरी हो। हम जानते है कि समय जरूर लगा, लेकिन सफल हुए। नतीजा आप लोगों के सामने है। अख़बारों में विज्ञापनों के जरिये माफी मांगी गई है।

 

प्रेस क्‍लब पदाधिकारी ने कहा कि हम दावे के साथ कहते है कि देश में यह पहली बार हुआ जब पत्रकारों पर हमले की किसी घटना को लेकर इस तरह माफी मांगी गई है। इस समझौते को लेकर कई तरह की बाते हो रही है, लेकिन यह हम लोगों की बहुत बड़ी जीत है। इस आंदोलन में मेरे साथ प्रेस क्लब के महासचिव श्री मुकेश मीणा, कोषाध्यक्ष श्री राहुल गौत्तम, पूर्व अध्यक्ष श्री किशोर शर्मा , श्री राधारमण शर्मा, राजस्थान श्रमजीवी पत्रकार संघ के अध्यक्ष श्री हरीश गुप्ता, राजस्थान पत्रकार परिषद् के अध्यक्ष श्री रोहित सोनी, कार्यकारी अध्यक्ष श्री रोशन लाल शर्मा, आई एफ डब्लू जे के जिला अध्यक्ष श्री प्रेम शर्मा,दैनिक नवज्योति के रिपोर्टर श्री महेश पारीक रात दिन खड़े रहे। अन्य मित्रों ने भी प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से सहयोग किया। मेरा मानना है कि हमारी एकता ऐसे ही बनी रही तो हर कोई हमसे उलझने से पहले दस बार नहीं सौ बार सोचेगा।

किसी भी मसले को सिलसिलेवार समझने के लिए सबसे आसान और प्रमाणित तथ्‍य हासिल करने का जरिया होता है उस हादसे का सिलसिलेवार मसला। विज्ञापन के जरिये मंगवाई माफ़ी..

दरअसल, किसी भी मसले को सिलसिलेवार समझने के लिए सबसे आसान और प्रमाणित तथ्‍य हासिल करने का जरिया होता है उस हादसे का सिलसिलेवार मसला। विज्ञापन के जरिये मंगवाई माफ़ी वाले मसले पर आप जहां जयपुरी पत्रकारों की ईमानदारी और उनकी निजी क्षमता-एकजुटता देख सकते हैं। लेकिन अब हम आपको दिखाते हैं कि अगर इस तरह की हरकतें-हादसे लखनऊ या यूपी में होते तो यूपी के पत्रकारों का चरित्र किस तरह का होता।

इस मामले में हम आपको अब श्रंखलाबद्ध रिपोर्ट तैयार कर रहे हैं। यह खबरें धारावाहिक प्रकाशित होंगी, जिनमें खुलासा किया जाएगा कि किस तरह किस हादसे में किस पत्रकार नेता और पत्रकार संगठन ने किस तरह की डील की।

सभार: meribitiya.com

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