वफादार पत्रकारों की नई खेप तैयार कर रही है कांग्रेस

अगर आप सोशल मीडिया, ब्लॉग, अखबारों, वेबसाइट वगैरह पर अपने विचार लिखते हैं तो आपके लिए सुनहरा मौका है। कांग्रेस पार्टी आपकी अच्छी कमाई करवा सकती है। दरअसल लोकसभा चुनाव से पहले खुद को सोशल मीडिया पर मजबूत दिखाने में जुटी कांग्रेस पार्टी ऐसे जूनियर और मिड लेवल पत्रकारों की टीम बना रही है जिन्हें आम तौर पर निष्पक्ष माना जाता है। ऐसे पत्रकार जो ज्यादातर बीजेपी, आरएसएस और केंद्र सरकार के खिलाफ लिखते हों। हमें मिली जानकारी के मुताबिक पार्टी का समर्थक माने जाने वाले एक सीनियर पत्रकार को यह टीम की जिम्मेदारी दी गई है। इसका कांग्रेस पार्टी के नेताओं से सीधे तौर पर संपर्क नहीं होगा, लेकिन आपस में सहयोग रहेगा। टीम के कामकाज के बारे में इसी से जुड़े एक पत्रकार ने न्यूज़लूज़ को कई अहम जानकारियां दी हैं। उनके मुताबिक कांग्रेस के लिए छिपे तौर पर काम करते रहे राजदीप, बरखा, पुण्य प्रसून वाजपेयी, रवीश कुमार जैसे पत्रकारों के राजनीतिक रुझान के बारे में लोग जान गए हैं, लिहाजा नए मॉडल पर नई टीम बनाने की जरूरत समझी गई।

कांग्रेस के लिए माहौल बनाने का जिम्मा

इस टीम के सदस्य सरकार के खिलाफ और कांग्रेस के समर्थन में विचार और दूसरे तरह के लेख लिखेंगे और उनका फेसबुक और ट्विटर के जरिए प्रसार करेंगे। इन सभी से कहा गया है कि वो अपनी निष्पक्ष छवि को बचाने पर फोकस रखें। ताकि लोगों को पता नहीं चलने पाए कि वो किसी पार्टी के लिए काम कर रहे हैं। इसके लिए सभी हर 5-10 लेख के बाद एकाध बातें कांग्रेस और उसके नेताओं के विरोध में भी लिखेंगे। ताकि उन्हें पढ़ने वालों को भ्रम में रखा जा सके। उदाहरण के तौर पर फेसबुक पर बहुत सक्रिय एक पत्रकार ने टीम की सदस्यता मिलने के फौरन बाद दिल्ली में पार्टी के दफ्तरों के खस्ता-हाल पर फेसबुक पोस्ट लिखी। उसे कई लोगों ने शेयर और लाइक किया। ऊपरी तौर पर देखें तो यह पोस्ट जताने के लिए थी कि कांग्रेस पार्टी के दफ्तरों में साफ-सफाई नहीं है। लेकिन पूरा पढ़ने के बाद यह जाहिर होता है कि कांग्रेस इतनी ईमानदार पार्टी है कि वो 70 साल तक सत्ता में रहने के बावजूद इन बेहद मामूली किस्म के दफ्तरों से ही काम चला रही है।

अच्छी कमाई, बाद में फायदे का वादा

हमें यह भी बताया गया है कि इस टीम के सदस्यों को उनकी हर पोस्ट, ट्वीट के बदले पैसे मिलेंगे। कांग्रेस की सोशल मीडिया टीम इनमें से कुछ लेखों को फेसबुक और व्हाट्सएप वगैरह के जरिए फैलाएगी। बड़े लेख लिखने वालों को उन्हें पब्लिश करवाने और बदले में अच्छे पैसे दिलवाने में भी मदद की जाएगी। इसके लिए कुछ न्यूज़ पोर्टल, अखबार और चैनलों की मदद ली जाएगी। साथ ही पार्टी अपनी इस ‘हिडेन टीम’ (छिपी हुई टीम) के सदस्यों को अलग-अलग चैनलों के डिस्कशन वगैरह में भी भेजने की कोशिश करेगी। जहां पर वो आम नागरिक के तौर पर कांग्रेस पार्टी के समर्थन वाली बातें कहेंगे। टीम के सदस्यों से यहां तक कहा गया है कि चुनाव बाद अगर सरकार बनी तो भी उनका पूरा ध्यान रखा जाएगा। अकेले दिल्ली में अब तक करीब 30 से 35 लोग इस टीम से जुड़ भी चुके हैं। इनमें से कुछ के नाम हमें पता चले हैं, लेकिन उनका जिक्र हम नहीं कर रहे हैं क्योंकि हमारे पास इससे जुड़ा कोई दस्तावेजी सबूत नहीं है। टीम में ज्यादातर लोग कांग्रेस नेताओं या पुराने वफादार पत्रकारों के रेफरेंस से ही शामिल किए गए हैं।

छोटे पत्रकारों को जोड़ने पर फोकस

पिछली यूपीए सरकार के दौरान पत्रकारों की नज़र में कांग्रेस पार्टी की छवि बहुत ‘सकारात्मक’ रही है। यहां तक कहा जाता है कि कई पत्रकारों को कांग्रेस पार्टी के दफ्तरों से हर महीने मोटी रकम दी जाती रही है। इसके अलावा बड़े पुरस्कार, सेमिनार में शिरकत और विदेश यात्रा का मौका मिलता रहा है। यही कारण है कि ज्यादातर बड़े मीडिया समूहों में संपादक, ब्यूरो चीफ और दूसरे बड़े पत्रकार कांग्रेस या वामपंथी विचारधारा से जुड़े हुए होते हैं। कांग्रेस की सरकारें इन्हें पुरस्कार, विदेश यात्रा, सरकारी मकानों से लेकर तरह-तरह के फायदे भी दिलवाती रही है। लेकिन बीते कुछ साल से ये बड़े पत्रकार कुछ खास मददगार साबित नहीं हो पा रहे। इसीलिए उन अनाम छोटे पत्रकारों को तवज्जो दी जा रही है, जिन्हें लेकर लोगों में किसी तरह की खराब राय नहीं है।

नीचे आप पत्रकारों के जरिए पार्टी के नेताओं के लिए माहौल बनाने का एक उदाहरण देख सकते हैं। ये तीनों ही पत्रकार कांग्रेस पार्टी की वफादार मानी जाती हैं।

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