यह सूरत बदलनी चाहिए…

मनोज दुबे 
वरिष्ठ पत्रकार और अग्रज प्रभात रंजन दीन ने उत्तर प्रदेश मान्यता समिति के अध्यक्ष पद के लिए चुनाव में उतरने की घोषणा करके उत्तर प्रदेश के पत्रकारीय पोखर के ठहरे हुए और सड़ांध मारते जल में ऐसी लहरें पैदा कर दी हैं जिनकी अनदेखी न की जा सकती है और ना ही की जानी चाहिए। प्रभात जी अगर केवल नामांकन का पत्थर उछालकर ही लहरें पैदा कर सकते हैं तो निसंदेह वह अध्यक्ष पद पर बैठकर बरसों से इस पोखर में जमी काई को छांटकर उसके जल को इस लायक बना देंगे जिसमें अपना चेहरा देखते हुए पत्रकारों को हिचक न होगी।
मुझे प्रभात जी के साथ अखबारों में काम करने और अखबार के बाहर भी उनका सानिध्य पाने का सुअवसर मिला है और इस नाते मैं यह बेहिचक कह सकता हूं कि नेतृत्व के गुण उनमें सहज रूप से विद्यमान हैं। इसकी पुष्टि वे तमाम पत्रकार भाई भी करेंगे जो उनके साथ काम कर चुके हैं। पत्रकार जगत में प्रभात रंजन दीन जी का नाम एक बड़ा नाम है, लेकिन उनके इस बड़प्पन की खासियत यह है कि वे टीम भावना के हामी हैं और अपनी टीम के लोगों का हित उनके मन में सर्वोपरि होता है। ऐसी भावना वाला व्यक्ति यदि उत्तर प्रदेश के पत्रकारों का नेतृत्व करने उतर पड़े तो पत्रकारों की अस्मिता के गौरवशाली इतिहास को फिर से दोहराया जा सकता है।
मैं उम्मीद करता हूं कि पत्रकार बंधु प्रभात जी की नेतृत्व क्षमता को समय रहते समझेंगे और पत्रकारों को सत्ता का मुखापेक्षी बनाने के बजाय सत्ता को पत्रकारों का मुखापेक्षी बनाने की दिशा में कदम आगे बढ़ायेंगे।
प्रभात जी ने जो फैसला किया है उसे लेकर दुष्यंत कुमार का यह शेर जेहन में उभर रहा है:
सिर्फ हंगामा खड़ा करना मेरा मकसद नहीं, मेरी कोशिश है कि ये सूरत बदलनी चाहिए…
प्रभात जी की लीडरशिप क्वालिटीज के बहुत सारे अनुभव मन में संचित हैं जिन्हें इस चुनावी गहमा-गहमी में फिर साझा करूंगा…

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