तहलका विवाद में सोनिया के पत्र से फिर तहलका

मीडिया की सुर्खियो में बने सोनिया गांधी के उस पत्र ने एक बार फिर देश मे  तहलका मचा दिया है जो उन्होंने तहलका विवाद खत्म करने के लिए तत्कालीन वित्त मंत्री पी चिदंबरम को लिखा था।पत्र से हितों के टकराव का मामला सामने आ रहा है। सोनिया के चिदंबरम को पत्र लिखने के 4 दिन बाद यूपीए सरकार ने मंत्रियों के समूह का गठन किया और पत्र के 6 दिन बाद ‘फर्स्ट ग्लोबल’ के खिलाफ जांच हटा ली गई।

2004 में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने तत्कालीन वित्त मंत्री पी. चिदंबरम को लिखा था। इस पत्र में तहलका की फाइनैंसर प्राइवेट कंपनी ‘फर्स्ट ग्लोबल’ के खिलाफ जारी जांच को लेकर निर्दैश दिए गए थे। उस समय तहलका के संपादक तरुण तेजपाल थे जो फिलहाल रेप के मामले में जमानत पर बाहर हैं।

प्राइवेट कंपनी ‘फर्स्ट ग्लोबल’ के प्रमोटर्स शंकर शर्मा और देविना मेहरा ने सोनिया गांधी को पत्र लिखा था, जिसके जवाब में सोनिया गांधी ने चिदंबरम को पत्र लिखा। इसके अगले दिन चिदंबरम ने ईडी और सीबीडीटी के प्रमुखों को उनसे मिलने के लिए कहा। तहलका की कार्यशैली को लेकर प्रवर्तन निदेशालय जांच कर रहा था। एनडीए सरकार ने तहलका की कार्यशैली की जांच के आदेश दिए थे।

पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम के दिलो दिमांग में भी इस पत्र को लेकर तहलका मचना स्वाभाविक था। इसी आनन फानन में पी चिदंबरम ने मीडिया को यह सुझाव दे डाला  कि मीडिया को सरकार से उनका वह जवाब जारी करने के लिए कहना चाहिए जो उन्होंने कांग्रेस प्रमुख सोनिया गांधी को लिखा था। हालांकि पी चिदंबरम स्वंम अभी यह आश्वस्त नही है कि ऐसा कोई पत्र सोनिया गांधी को भेजा भी था या नही !मीडिया में आई खबरों के बाद पी  चिदंबरम ने एक बयान में कहा, “पत्र पर मेरी नोटिंग सही है, मैं इस बात को लेकर आश्वस्त हूं कि वित्त मंत्रालय की ओर से, मैंने एक पत्र भेजा होगा।” – ‘होगा’ शब्द उनकी आश्वस्तता पर स्वम प्रश्न चिन्ह लगाता है। गौरतलब है कि पी चिदंरम के इस बयान से इस बात की पक्की पुष्टि हो गई कि सोनिया गांधी ने अमुक पत्र पी चिदंबरम को लिखा था।

सोनिया गांधी ने खबरों में छाये पत्र में पी चिदंबरम से  कथित रूप से आरोपों को देखने के लिए कहा था कि उस निजी फर्म फर्स्ट ग्लोबल को परेशान किया जा रहा है जो तहलका का वित्त पोषण करती है। इस पत्र को लिखने के पीछे क्या स्वार्थ था, इसकी अभी पुष्टि नही हो सकी है। यह पत्र सरकार के गठन के कुछ ही समय बाद लिखा गया था।

बताया जाता है कि तहलका पत्रिका ने अटल बिहारी वाजपेयी नीत राजग सरकार के दौरान रक्षा सौदों में कथित भ्रष्टाचार का भंडाफोड़ किया था, जिसके चलते बाद में तत्कालीन रक्षा मंत्री जार्ज फर्नाडिंस को त्यागपत्र देना पड़ा था। तत्कालीन बीजेपी अध्यक्ष बंगारू लक्ष्मण को कैमरे के समक्ष धन लेते हुए पकड़ा गया था और बाद में वह दोषी ठहराये गये थे।

इस भंडाफोड़ के बाद फर्स्ट ग्लोबल के प्रवर्तक देविना मेहरा और शंकर शर्मा के खिलाफ विभिन्न जांच एजेंसियों ने कई मामले दर्ज किये थे। संप्रग सरकार 2004 में जब सत्ता में आई थी तो शंकर शर्मा ने सोनिया गांधी को एक पत्र भेजा था। सोनिया गांधी उस समय राष्ट्रीय सलाहकार परिषद की प्रमुख बनी ही थीं। लेटर हेड पर सोनिया गांधी का पता 10, जनपथ भी लिखा है।

पत्र में कहा गया था कि विभिन्न एजेंसियां अभी तक उन्हें परेशान कर रही हैं और उनकी दिक्कतें दूर होनी चाहिए। फर्स्ट ग्लोबल के पत्र को संलग्न करते हुए सोनिया ने अपने आधिकारिक लेटरहैड पर चिदंबरम को लिखा था कि वह इस मुद्दे को प्राथमिकता के आधार पर देखें ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि मामले में कोई अनुचित या गैरकानूनी व्यवहार न किया जाये।

कल मीडिया में आई खबरों पर प्रतिक्रिया करते हुए तत्कालीन वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने एक बयान में कहा “पत्र पर मेरी नोटिंग सही है, मैं इस बात को लेकर आश्वस्त हूं कि वित्त मंत्रालय की ओर से, मैंने एक पत्र भेजा होगा, जो मेरे समक्ष रखी गयी सामग्री पर आधारित है।” सोनिया गांधी और मेरे उत्तर को एकसाथ पढ़ा जाना चाहिए।

पी चिदंबरम ने मीडिया वालों को सुझाव है कि सरकार से पत्र का जवाब जारी करने के लिए कहना चाहिए। ज्ञात हो कि पी चिदंबरम इस समय काफी कठिन दौर से गुज़र रहे है,पैराडाइज़ पेपर्स मामले में कल ही उनके बेटे के चिदंबरम का नाम आने से एक नया विवाद पहले ही उत्पन्न हो चुका है।

खुलासे के बाद सुब्रमण्यन स्वामी ने कहा कि ईडी को मामले में FIR दर्ज करनी चाहिए, ताकि यह मामला तार्किक अंजाम तक पहुंच सके।

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