उज्बेकिस्तान के ‘गुप्त मिशन’ से लौटे राहुल गाँधी, आखिर हर चुनाव से पहले ‘गायब’ होकर क्या गुल खिलाते हैं कॉन्ग्रेस के युवराज?

सोवियत संघ और भारत के बीच के संबंध किसी से छिपे नहीं हैं। हालाँकि, इतने सालों बाद राहुल गाँधी का उज्बेकिस्तान दौरा चौंकाने वाला जरूर है। ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि आखिर राहुल गाँधी ने इस बार अपने सीक्रेट दौरे के लिए उज्बेकिस्तान को ही क्यों चुना? वैसे, कॉन्ग्रेस के युवराज का चुनावी मौसम के दौरान या ऐसे समय जब उनकी पार्टी को उनकी सबसे ज्यादा जरूरत है, जनता को बताए बिना छुट्टियों पर जाने का इतिहास रहा है।

राहुल गाँधीकॉन्ग्रेस पार्टी के ‘युवराज’ राहुल गाँधी भारत लौट आए हैं। अपनी सीक्रेट यात्रा पर वो इस बार उज्बेकिस्तान पहुँचे थे। यहाँ उन्होंने क्या कुछ किया, इस बारे में कोई जानकारी नहीं मिल पाई है। समाचार एजेंसी एएनआई ने ट्वीट करके बताया है कि राहुल गाँधी भारत लौट आए हैं। आज (27 अक्टूबर 2023) को वो उज्बेकिस्तान से दिल्ली पहुँचे। बता दें कि उज्बेकिस्तान एक पूर्व सोवियत देश है, जिसके उनकी नानी इंदिरा गाँधी के समय से ही भारत से मजबूत संबंध रहे हैं।

सोवियत संघ और भारत के बीच के संबंध किसी से छिपे नहीं हैं। हालाँकि, इतने सालों बाद राहुल गाँधी का उज्बेकिस्तान दौरा चौंकाने वाला जरूर है। ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि आखिर राहुल गाँधी ने इस बार अपने सीक्रेट दौरे के लिए उज्बेकिस्तान को ही क्यों चुना? वैसे, कॉन्ग्रेस के युवराज का चुनावी मौसम के दौरान या ऐसे समय जब उनकी पार्टी को उनकी सबसे ज्यादा जरूरत है, जनता को बताए बिना छुट्टियों पर जाने का इतिहास रहा है।

कॉन्ग्रेस पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गाँधी अक्सर ‘गुप्त’ विदेश यात्राएँ करते हैं। इन यात्राओं के बारे में अक्सर बहुत कम या ना के बराबर जानकारी उपलब्ध होती है। उनकी यात्राओं के उद्देश्यों के बारे में कई तरह की अटकलें लगाई जाती हैं। साल 2019 से उन्होंने अमेरिका, यूरोप और एशियाई देशों की कई यात्राएँ की थीं। इन यात्राओं के दौरान उन्होंने विभिन्न राजनीतिक नेताओं, थिंक टैंक और मीडिया संस्थानों से मुलाकात की।

राहुल गाँधी की विदेश यात्राओं के बारे में कई तरह की अटकलें लगाई जाती हैं। कुछ लोगों का मानना ​​है कि वे अपने राजनीतिक करियर को आगे बढ़ाने के लिए विदेशी हस्तक्षेप की तलाश कर रहे हैं। वहीं, कुछ लोगों का मानना ​​है कि वह भारत के आंतरिक मामलों में विदेशी हस्तक्षेप को बढ़ावा दे रहे हैं।

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