अद्वितीय मेधावी, लेखक, कई भाषाओं के पंडित, राजनीतिक गुत्थियों और विचारधाराओं के सुदक्ष ज्ञाता, बहुमुखी प्रतिभावान एवं स्वतंत्रता संग्राम सेनानी अविनाश चंद्र वर्मा देश के धरोहर हैं

क्रांतिवीर अविनाश चंद्र वर्मा की पुण्यतिथि पर, श्रद्धा सुमन अर्पित कर दी गई श्रद्धांजलि

लखनऊ। क्रांतिवीर अविनाश चंद्र वर्मा की 30 वीं पुण्यतिथि पर श्रद्धा सुमन, माल्यार्पण कर उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि दी गई। श्रद्धांजलि अर्पित करने वालों में हमारे पत्रकार साथी विनम्र स्वावलंबी सोच रखने वाले, मृदुभाषी, मित्रों और सहयोगियों की मदद को तत्पर रहने वाले हमदर्द, इंसानियत और सर्व धर्म को साथ लेकर चलने वाले, हाजी, एडवोकेट, किशन कन्हैया आदि कई नामों से अलंकृत ऑल इंडिया न्यूज़ पेपर एसोसिएशन आईना के राष्ट्रीय संरक्षक पत्रकार भाई डॉ मोहम्मद कामरान जी।
पूर्ण रूप से अपने संपूर्ण जीवन को वृक्षों और पर्यावरण के लिए समर्पित कर चुके पेड़ वाले बाबा के नाम से विभूषित जय वृक्ष देव का नारा देकर लोगों के बीच अपनी पहचान बनाने वाले भाई मनीष तिवारी जी जो आजकल पर्यावरण पर शोध करते हुए ,,पेड़ ग्रंथ,, लिख रहे हैं जिसमें जीवन पर पड़ने वाले प्रभाव, उनसे मिलने वाले लाभ की वृस्तित जानकारी देने का प्रयास और पर्यावरण से जुड़ी मानवीयता का मूल्यांकन कर वृहद रूप के साथ एक पुस्तक लिख रहे हैं। आईना के प्रदेश अध्यक्ष, परमजीत सिंह, महिला प्रकोष्ठ की प्रदेश अध्यक्षा गुरमीत कौर,हमारे प्रिय आनादि चैनल के संवाददाता और पंजाब केसरी के ब्यूरो भाई अनिल सैनी जी, संजय गुप्ता, सहित हमारे कई शुभचिंतकों ने श्रद्धा सुमन अर्पित कर भावभीनी श्रद्धांजलि दी।
हम यह बताना चाहेंगे कि श्री वर्मा एक किसान परिवार में सन 1912 में मकर संक्रांति के दिन पैदा हुए और उन्होंने मिडिल क्लास तक शिक्षा प्राप्त की शिक्षा प्राप्त करने के लिए उन्हें अपने गांव से लगभग 8 मील का रास्ता तय करना पड़ता था जिस स्कूल में वह पढ़ते थे वह स्कूल उनके गांव से लगभग 8 मील दूर था पैदल चल कर उन्हें स्कूल जाना पड़ता था । अंग्रेजी हुकूमत और देश के बिगड़ते हालात को देखते हुए देश प्रेम से वशीभूत होकर वह आजादी के आंदोलन में कूद पड़े , देश की आजादी के लिए उन्होंने भूमिगत होकर देश के तमाम आंदोलनकारियों की मदद की ऐसे व्यक्ति कभी ब्रिटानिया सरकार द्वारा पकड़े नहीं गए आजादी के आंदोलनकारियों के लिए समर्पित होकर कार्य करना, गुप्त सूचनाएं एक दूसरे तक पहुंचाना, ऐसे लोगों को प्रेरित करना जो देश की आजादी के लिए जरा भी ना हिचकिचाएं एवं अपना सर्वस्व लुटा कर भी अपने साथियों का पता ना बताएं। भूमिगत रहकर भूख प्यास की चिंता किए बिना हर प्रकार का कष्ट सहते हुए देश को आजादी दिलाने का हर संभव प्रयास करते थे। यह लोग हमेशा अपना कार्य भूमिगत रहकर तथा भेष बदलकर किया करते थे। ऐसी ही खोई हुई एक प्रतिभा, स्मृति , महान विभूति , सच्चे देशभक्त क्रांतिवीर अविनाश चंद्र वर्मा की है। अद्वितीय मेधावी, सुलेखक, कई भाषाओं के पंडित, राजनीतिक गुत्थियों और विचारधाराओं के सुदक्ष ज्ञाता, बहुमुखी प्रतिभावान एवं स्वतंत्रता संग्राम सेनानी श्री वर्मा का जन्म मऊ जनपद के एक प्रतिष्ठित परिवार में हुआ था । इकहरे बदन मृदुभाषी सदैव स्वाधीनता एवं क्रांति के चिंतन एवं चिंता में लीन एक अजेय क्रांतिकारी एवं स्वाधीनता के प्रहरी रहे। इनका कहना था कि,हमारा उद्देश्य हिन्दुस्तान में साम्यवादी प्रजातंत्र की स्थापना, आर्थिक, सामाजिक, धार्मिक, सांस्कृतिक, सब प्रकार के शोषण का अंत कर आवाम को सच्ची आजादी और खुशहाली पहुंचाना है। इन्होंने असहयोग आंदोलनों में भी भाग लिया तथा कांग्रेस।में स्वयं सेवक बन आजीवन कांग्रेस से संम्बद्ध रहे। बाबा राघव दास , स्वामी सत्यानंद जी, चित्तू पांडेय,शेरे बलिया जैसे लोगों के साथ में रहकर आजादी की लड़ाई में प्रखर हुए। महात्मा गांधी, पंडित नेहरू, सरदार वल्लभ भाई पटेल, स्वामी विवेकानंद, अलगू राय शास्त्री जैसे सेनानियों की देश प्रेम भावनाओं से प्रेरित होकर आजादी की लड़ाई में सक्रिय भूमिका निभाई । सन 1934 से लेकर सन 1942 तक श्री वर्मा ने आजादी के आंदोलनों में सक्रिय भूमिका निभाई सन 1942 के मधुबन में हुए जिला कलेक्टर लिब्लेट शासन के खिलाफ आंदोलन में चित्तू पांडेय, बाबा राघव दास जी स्वामी सत्यानंद जी के नेतृत्व में हुए आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाई, इस आंदोलन में आजमगढ़ जिले के कलेक्टर को घेरकर, क्रांतिकारी कार्यकर्ताओं के साथ मिलकर श्री वर्मा जी ने थाने में बंद कर दिया था । भीड़ काफी अनियंत्रित हो जाने पर सेना बुलाई गई और बेकाबू भीड़ पर नियंत्रण पाने के लिए फायरिंग के आदेश दिए गए जिसमें सैकड़ों कार्यकर्ता मारे गए। सौभाग्य वश इस गोलीकांड में श्री वर्मा जी तो बच गए लेकिन इनके अनेक महत्वपूर्ण क्रांतिकारी साथी मारे गए। जिससे दुःखी होकर उन्होंने मऊ छोड़ दिया और कई शहरों में नाम बदलकर भेष बदलकर पुलिस से छुपते हुए सन 1945 में वह लखनऊ आ गए। यहां रहकर भी वह आजादी की लड़ाई लड़ते रहे।
श्री वर्मा जी का साथ सर्वश्री क्रांतिवीर रामकृष्ण खत्री, चंद्र भानु जी गुप्त, बाबू जगन प्रसाद जी रावत, बाबू त्रिलोकी सिंह , श्रीमती विद्यावती राठौर, श्री कृष्ण चंद्र पालीवाल, बाबू सम्पूर्णानंद जी, आगरा के विशाल भारत के संपादक पंडित श्रीराम शर्मा जी सहित अनेक विभूतियों का सानिध्य और संरक्षण प्राप्त रहा । वर्मा जी पर्यावरण प्रेमी थे और प्रदेश में पर्यावरण संरक्षण को लेकर उन्होंने बहुत भूमिका निभाई उन्होंने पर्यावरण की दिशा में लोगों को वृक्षों को लगाने की सलाह दी बहुत सारे वृक्ष उन्होंने खुद भी लगाएं ताकि पर्यावरण संतुलित रहें इस बीच उत्तराखंड के पर्यावरण प्रेमी सुंदरलाल बहुगुणा जी से मुलाकात हुई और पर्यावरण की दिशा में चिपको आंदोलन की भूमिका और उसकी नीवं वर्मा जी के आवास पर ही रखी गई। श्री वर्मा चंद्रभानु गुप्त मंत्रिमंडल में परामर्श समिति के सदस्य रहे तथा प्रदेश के विभिन्न संस्थाओं से जुड़े रहे, यह फल विकास परिषद, भूदान यज्ञ समिति, सर्वोदय संघ, गांधी स्वाध्याय संस्थान, हिंदी भवन, भारत कृषक समाज, सोहनलाल मुराई पाठशाला ट्रस्ट सहित अनेक संस्थाओं में विभिन्न पदों पर रहे।
आज उनकी 30 वीं पुण्य तिथि पर हमारे अभिन्न मित्रों, हमारे सहयोगियों और पत्रकार साथियों ने विनम्र श्रद्धांजलि देकर पुष्प अर्पित किए ।।
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