तमिलनाडु सरकार ने फेक न्यूज के उस्ताद मोहम्मद जुबैर को दिया अवाॅर्डः बताया ‘सांप्रदायिक सद्भाव’ बढ़ाने वाला

तमिलनाडु सरकार ने जुबैर को ‘कोट्टई अमीर सांप्रदायिक सद्भाव पुरस्कार‘ प्रदान किया है। हालाँकि, ये कोई हैरान करने वाली खबर नहीं है, क्योंकि डीएमके के कई नेता-मंत्री भी सनातन विरोध में आगे रहे हैं। वहीं, मोहम्मद जुबैर इस्लामिक कट्टरपंथियों का साथ लेकर सनातनियों के खिलाफ माहौल तैयार करता रहता है।

फेक न्यूजतमिलनाडु में सनातन विरोधी पार्टी DMK सत्ता में है। इसके एक मंत्री ने हाल ही में सनातन को मिटाने की बात की थी। अब तमिलनाडु सरकार ने हिंदुओं के खिलाफ प्रोपेगेंडा और फेक न्यूज फैलाने वाले मोहम्मद जुबैर को सम्मानित किया है। गणतंत्र दिवस पर ‘सांप्रदायिक सद्भाव’ बढ़ाने और सांप्रदायिक वैमनस्यता को रोकने में मदद करने के नाम पर जुबैर को पुरस्कृत किया गया है।

जुबैर ‘सर तन से जुदा’ गैंग के लिए खाद-पानी का काम करता रहा है। इसके एडिटेड वीडियो से देश भर के कट्टरपंथी सड़कों पर उतर जाते हैं। भाजपा की पूर्व नेता नूपुर शर्मा के मामले में सारी दुनिया ये देख चुकी है कि तरह से वह एकतरफा प्रोपेगेंडा फैलाता है, जिसके कारण बड़े पैमाने पर हिंसा हो जाती है। जुबैर को सनातनियों की ऑनलाइन लिंचिंग करने वाले गिरोह का मुख्य सरगना कहा जाता है।

तमिलनाडु सरकार ने जुबैर को ‘कोट्टई अमीर सांप्रदायिक सद्भाव पुरस्कार‘ प्रदान किया है। हालाँकि, ये कोई हैरान करने वाली खबर नहीं है, क्योंकि डीएमके के कई नेता-मंत्री भी सनातन विरोध में आगे रहे हैं। वहीं, मोहम्मद जुबैर इस्लामिक कट्टरपंथियों का साथ लेकर सनातनियों के खिलाफ माहौल तैयार करता रहता है।

तमिलनाडु सरकार से सम्मान मिलने पर जुबैर के फॉलोवर सोशल मीडिया पर भौकाल बना रहे हैं। उसके एक फॉलोवर ने X पर लिखा, “तमिलनाडु सरकार ने फैक्ट चेकर और ऑल्ट न्यूज़ के सह-संस्थापक मोहम्मद जुबैर को कोट्टई अमीर सांप्रदायिक सद्भाव पुरस्कार से सम्मानित किया है। बधाई!! आशा है कि ऑल्ट न्यूज़ सभी दलों के फर्जी समाचार फैलाने वालों के तथ्यों की जाँच जारी रखेगा!”

इसी तरह का एक और ट्वीट अरविंद गुनासेकर नाम के एक ‘पत्रकार’ ने साझा किया है। यह व्यक्ति जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) से जुड़ा रहा है। उसने अपने सोशल मीडिया हैंडल पर एक ऑफिशियल डॉक्यूमेंट्स शेयर है। इस डॉक्यूमेंट मोहम्मद जुबैर को दिए गए सम्मान का विवरण दिया गया है।

इसमें लिखा है, “जुबैर ने ऑल्ट न्यूज़ नाम से एक वेबसाइट बनाई है और वह सोशल मीडिया पर आने वाली खबरों की सत्यता का विश्लेषण करते रहे हैं और अपनी वेबसाइट पर केवल वास्तविक खबरें ही प्रकाशित करते हैं। उनका काम समाज में फर्जी खबरों के कारण होने वाली हिंसा की घटना को रोकने में मदद करता है।”

डॉक्यूमेंट में आगे लिखा है कि जुबैर ने मार्च 2023 में राज्य के खिलाफ फैलाए जा रहे झूठ को ‘पर्दाफाश’ करने में प्रमुख भूमिका निभाई थी। डॉक्यूमेंट में कहा गया है कि मार्च 2023 में सोशल मीडिया पर तेजी से प्रसार हुआ कि तमिलनाडु में प्रवासी श्रमिकों पर हमला किया जा रहा है, जिसका एक वीडियो फुटेज भी वायरल हुआ था।

इसमें आगे लिखा है, “वीडियो फुटेज की प्रामाणिकता की पुष्टि करने के बाद जुबैर ने अपनी वेबसाइट ऑल्ट न्यूज़ पर प्रकाशित किया कि जो वीडियो फुटेज पोस्ट किया गया था, वह घटना वास्तव में तमिलनाडु में नहीं हुई थी। उनकी रिपोर्ट ने तमिलनाडु के खिलाफ अफवाहों के प्रसार को रोक दिया और तमिलनाडु में जाति, धर्म, नस्ल और भाषा के कारण होने वाली हिंसा को रोकने के लिए काम किया।”

बता दें कि मार्च 2023 में कई मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया था कि तमिलनाडु में काम करने वाले बिहार के श्रमिकों के खिलाफ हिंसा की घटनाएँ हुई हैं। हालाँकि, जुबैर ने अपनी वेबसाइट पर एक लेख में बताया था कि तमिलनाडु में मजदूरों पर हमले के जो वीडियो शेयर किए जा रहे हैं, वो गलत हैं। हालाँकि उसने सही खबरों के बारे में कभी नहीं बताया।

इस दौरान तमिलनाडु में प्रवासियों के खिलाफ डीएमके नेताओं की बयानबाजी लगातार जारी रही। तमिलनाडु के कई मंत्रियों ने उत्तर भारतीय लोगों के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणियाँ कीं। उन्हें ‘वडक्कन’, ‘पानी पुरी वाला’ और ‘पानपराग वायाँ’ कहकर अपमानित किया गया। डीएमके नेताओं ने उत्तर भारतीयों के प्रति नफरत फैलाने वाली नस्लवादी भाषा का इस्तेमाल किया। मुख्यमंत्री स्टालिन के बेटे ने तो सनातन को मिटाने वाले बयान भी दिए।

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