भ्रामक विज्ञापन के लिए सेलिब्रिटी व इन्फ्लुएंसर भी समान रूप से जिम्मेदार: सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया कि विज्ञापन को जारी करने की अनुमति देने से पहले, केबल टेलीविजन नेटवर्क नियम, 1994 के नियम 7 की तर्ज पर विज्ञापनदाताओं से एक स्व-घोषणा प्राप्त की जानी चाहिए।
भ्रामक विज्ञापन मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने तल्ख टिप्पणी की। कोर्ट ने कहा कि सेलिब्रिटी और सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर भी भ्रामक विज्ञापनों के लिए समान रूप से जिम्मेदार हैं, यदि वे किसी भ्रामक उत्पाद या सेवा का समर्थन करते हैं।
जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्ला की पीठ ने कहा कि किसी उपभोक्ता का समर्थन करते समय सेलिब्रिटी और सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर के लिए जिम्मेदारी से काम करना और उसकी जिम्मेदारी लेना उनके लिए जरूरी है।
पीठ ने निर्देश दिया कि विज्ञापन को जारी करने की अनुमति देने से पहले, केबल टेलीविजन नेटवर्क नियम, 1994 के नियम 7 की तर्ज पर विज्ञापनदाताओं से एक स्व-घोषणा प्राप्त की जानी चाहिए। यह नियम एक विज्ञापन कोड निर्धारित करता है, जो कहता है कि मशहूर हस्तियों द्वारा किए जाने वाले विज्ञापनों को देश के कानूनों के अनुरूप डिजाइन किया जाना चाहिए।
पीठ ने संबंधित केंद्रीय मंत्रालयों को भ्रामक विज्ञापनों और केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (CCPA) द्वारा उनके खिलाफ की गई या प्रस्तावित कार्रवाई से अवगत कराने का भी निर्देश दिया।
दरअसल, कोर्ट पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड के भ्रामक विज्ञापनों से जुड़े मामले की सुनवाई कर रही थी। कोर्ट यह सुनवाई इंडियन मेडिकल एसोसिएशन द्वारा 2022 में दायर एक याचिका पर की। इस याचिका में पतंजलि और योग गुरु रामदेव द्वारा कोविड टीकाकरण अभियान और चिकित्सा की आधुनिक प्रणालियों के खिलाफ एक बदनामी अभियान का आरोप लगाया गया है। पीठ पतंजलि उत्पादों के बारे में भ्रामक विज्ञापनों की आलोचना कर रही है, जिन्हें अब विभिन्न इंटरनेट चैनलों पर उपलब्ध होने से प्रतिबंधित कर दिया गया है।