यूरोप टूर पर जाने से पहले रिश्वत का पैसा वसूलने के चक्कर में खुली RML अस्पताल में वसूली रैकेट की पोल
दिल्ली के राम मनोहर लोहिया जैसे प्रतिष्ठित अस्पताल में यह रिश्वतखोरी कई स्तर पर चल रही थी. सीबीआई की FIR के जरिए समझा जा सकता है कि अस्पताल में जमकर भ्रष्टाचार चल रहा था. इसमें यह भी दावा किया गया कि क्लर्कों और नर्सों ने राज और चन्नप्पागौड़ा को 20 हजार रुपये का भुगतान नहीं करने पर एक गर्भवती महिला को बाहर निकालने की धमकी भी दी थी.
दिल्ली के राम मनोहर लोहिया अस्पताल में CBI ने एक बड़े रिश्वतखोरी रैकेट का पर्दाफाश किया है. चौंकाने वाली बात यह है कि इस रैकेट में नर्स से लेकर कार्डियोलॉजिस्ट तक सब शामिल हैं. रिश्वतखोरी के इस मामले में अब एक के बाद एक बड़े खुलासे हो रहे हैं. शुरुआती जांच में यह बात सामने आई है कि CBI के एक्शन से पहले कार्डियोलॉजिस्ट यूरोप टूर पर जाने की जल्दबाजी में था. इस कारण उसने रिश्वत लेने में जल्दबाजी की और सीबीआई की रडार पर आ गया. इसके बाद जांच एजेंसी ने पूरे रैकेट का खुलासा कर दिया. इस मामले में अब तक डॉक्टर सहित 9 लोगों की गिरफ्तारी हो चुकी है.
कैसे हुआ मामले का खुलासा
जांच एजेंसी के मुताबिक पर्वतगौड़ा ने मेडिकल सप्लायर्स से जल्द से जल्द उसके रिश्वत के पैसे देने की मांग की थी. उन्होंने नागपाल नामक सप्लायर से 23 अप्रैल को कहा था कि वह 2.48 लाख रुपए की रिश्वत जल्दी मुहैया करा दे. नागपाल ने इसके लिए हामी भी भर दी थी. इसके बाद पर्वतगौड़ा ने दूसरे सप्लायर अहमद से रिश्वत के सारे पैसे तुरंत देने की मांग की थी. इसके पीछे का कारण बताते हुए पर्वतगौड़ा ने कहा था कि वह गर्मी की छुट्टियों में यूरोप की यात्रा पर जा रहा है. CBI ने यह खुलासा भी किया है कि अहमद मार्च में भी पर्वतागौड़ा के पिता बसंत गौड़ा के खाते में 1.95 लाख रुपए का भुगतान कर चुका है.
UPI से लिया 36 हजार रुपए का पेमेंट
सीबीआई के मुताबिक नागपाल और अहमद के अलावा पर्वतगौड़ा ने तीसरे सप्लायर आकर्षण गुलाटी से भी ठीक ऐसी ही मांग की थी. जवाब में आकर्षण ने कहा था कि उनका एक कर्मचारी पहुंचकर पेमेंट करेगा. पर्वतगौड़ा ने गुलाटी के कर्मचारी से कहा था कि वह UPI के जरिए 36 हजार रुपए का पेमेंट करे और बाकी के पैसे उन्हें नकद दे दे. FIR में भारती मेडिकल टेक्नोलॉजीज के भरत सिंह दलाल के हृदय रोग विशेषज्ञ अजय राज को किए गए कई भुगतानों की लिस्ट भी है.
दिन के हिसाब से लिए जाते थे पैसे
जांच एजेंसी की FIR के मुताबिक क्लर्क संजय कुमार लोगों को फर्जी मेडिकल सर्टिफिकेट जारी कर रहा था. वह एक दिन के आराम की सिफारिश करने के लिए 100 रुपए लेता था. सात दिनों के आराम की सिफारिश करने वाले फर्जी मेडिकल प्रमाणपत्र के लिए 700 रुपये तो वहीं तीन दिनों के आराम के लिए 300 रुपये और 5 दिनों के आराम के लिए 500 रुपये लिए जाते थे.
प्रेग्नेंट महिला को निकालने की धमकी
सीबीआई के खुलासे में कई झकझोर देने वाली बातें भी सामने आई हैं. जानकारी के मुताबिक अस्पताल के क्लर्क भुवाल जयसवाल और शालू नाम की नर्स ने एक शख्स को धमकी दी कि अगर उसने 20 हजार रुपए नहीं दिए तो वह उसकी प्रेग्नेंट पत्नी को अस्पताल से बाहर कर देंगे. नर्स ने यह धमकी भी दी कि वह उसकी पत्नी का इलाज बंद कर उसकी छुट्टी कर देगी. इसके बाद उस शख्स ने UPI के जरिए पैसों का भुगतान किया. भुवाल डॉक्टर के साथ अपॉइंटमेंट फिक्स कराने के एवज में भी रिश्वत लेता था.
FIR के मुताबिक अस्पताल के कैथ लैब इंचार्ज रजनीश कुमार ने साइनमेड कंपनी के अबरार अहमद से एक लाख रुपए की रिश्वत ली थी. यह पैसा रजनीश के पिता के खाते में ट्रांसफर किया गया था. इसके बदले रजनीश मरीजों को साइमेड मेडिकल उपकरण लेने की सिफारिश करता था.
इन 9 आरोपियों की गिरफ्तारी
सीबीआई ने जिन 9 लोगों को गिरफ्तार किया है, उनमें कार्डियोलॉजी के प्रोफेसर अजय राज और सहायक प्रोफेसर पर्वतागौड़ा चन्नप्पागौड़ा, क्लर्क भुवल जयसवाल और संजय कुमार अस्पताल के कैथ लैब प्रभारी रजनीश कुमार और बिचौलिए विकास कुमार समेत औसत दर्जे के मेडिकल आपूर्तिकर्ता नागपाल टेक्नोलॉजीज के नरेश नागपाल के साथ ही भारती मेडिकल टेक्नोलॉजिस के भरत सिंह दलाल, साइनमेड के अबरार अहमद शामिल हैं.