इलाहाबाद के बाद अब जनसंदेश के मेरठ और देहरादून एडिशन में भी लगा ताला!

मीडिया जगत में इस समय जनसंदेश काफी चर्चा में है। चर्चा भी है तो अब्यवस्था और भ्रष्टïाचार को लेकर। इसी कारण जनसंदेश के कई एडिशन या तो बंद कर दिये गये हैं या फिर ब्यूरो में बदल दिये गये हैं। अभी गतदिनों इलाहाबाद एडिशन बंद हुआ है उसके बाद अब सूत्रो की माने तो खबर आ रही है कि कुछ दिन पहले ही खोले गये मेरठ और देहरादून एडिशन पर भी ताला लग गया है। आखिर जनसंदेश के मालिकान करना क्या चाहते हैं कुछ समझ नहीं आ रहा। क्या वास्तव में जनसंदेश के मालिकान दिवालिया हो गये हंै जिसके कारण वो अपने कर्मचारियों को पगार नहीं दे पा रहे और इसी के चलते सारे एडिशन एक एक करके बंद करते जा रहे हैं या फिर मौर्या बन्धुओं ने संस्थान को इतना खोखला कर दिया है कि अब इसको चलापाना मालिकान के बस में रह ही नहीं गया है। ये तो सत्य है कि जबसे जनसंदेश का मैनेजमेंट इन मौर्या बन्धुओं के हाथ में आया तबसे संस्थान में बड़े लेवल पर भ्रष्टïाचार हुआ और संस्थान की मिट्टी पलीत हो गई। इन मौर्या बन्धुओं ने संस्थान को इतना खोखला कर दिया है कि अब इसे आगे बढ़ाना किसी के बस की बात नहीं रही। अब देखना यह है कि अनुज पोद्दार वापस आकर संस्थान को अपनी पुरानी खोई इज्जत वापस दिला पातें हैं कि नहीं। इन मौर्या बन्धुओं ने संस्थान का वो हाल कर दिया है कि अब अनुज पोद्दार को इसे सही करने में नाकोचने चबाने पड़ेंगे।

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