हाल-ए -स्वास्थ्य विभाग : उपमुख्यमंत्री की दरियादिली में वह कमी छुप गई, जिस पर सबसे ज्‍यादा चर्चा होनी चाहिए

पत्रकार अनिल सिंह ने उजागर की सिविल हास्पिटल की काली सच्चाई

अनिल सिंह

अच्‍छे आवरण में खराबियां छुप जाती हैं। सिस्‍टम में समझदार वही होता है, जो मौके का भरपूर फायदा उठाता है। कल से स्‍वास्‍थ्‍य विभाग के मुखिया एवं उपमुख्‍यमंत्री ब्रजेश पाठक के दरियादिली की चर्चा सोशल मीडिया पर छाई हुई है कि उन्‍होंने खुद घंटों समय देकर एक पत्रकार राघवेंद्र प्रताप सिंह की जान बचा ली। पूरा सोशल मीडिया गुणगान से भरा हुआ है। सच भी है, अगर पाठक जी ना होते तो शायद राघवेंद्र को सही समय पर उचित इलाज मिल पाना असंभव था। पर, पाठक जी की दरियादिली में वह कमी छुप गई, जिस पर सबसे ज्‍यादा चर्चा होनी चाहिए थी। अच्‍छे पर चर्चा हो चुकी है, अब मैं उन कमियों पर चर्चा करुंगा, जिसको पाने का हक हर आम नागरिक, मरीज को है।

कल स्टेडियम से हॉस्पिटल पहुंचकर कार से उतरने के बाद राघवेंद्र को चलने में दिक्‍कत हो रही थी, तो लालचंद और हम उनके दोनों बाजू पकड़कर उन्‍हें इमरजेंसी में ले गये। डाक्‍टर ने जल्‍दी से उनका ब्‍लडप्रेशर नापा, जो नार्मल आया। फिर भी मैंने कहा कि आप एहतियातन कोई दवा तो दीजिये। डाक्‍टर ने कहा कि आप पर्चा बनवा लाइये, मैं इन्‍हें इंजेक्‍शन लगवाता हूं। मैं पर्चा बनवाकर लाया, तब तक राघवेंद्र को दो इंजेक्‍शन लगाये जा चुके थे। इसके बाद डाक्‍टर ने कहा कि आप सेकेंड फ्लोर पर ईसीजी कराकर कार्डियो के डाक्‍टर को दिखा दीजिये। हमने आनन फानन में ईसीजी कराया तथा वहां मौजूद कार्डियो के डाक्‍टर को दिखाया। डाक्‍टर ने ईसीजी देखने के बाद कहा कि कुछ गड़बड़ तो नहीं दिख रहा है, लेकिन कुछ घंटे ऑब्‍जर्वेशन के लिये रख लेता हूं।

लखनऊ के पत्रकार राघवेंद्र सिंह रघु को हृदयाघात

डाक्‍टर ने मुझसे कहा कि तब तक आप इनकी फाइल बनवा लाइये। मैं नीचे से फाइल बनवा लाया तथा डाक्‍टर से कहा कि एक बार इको करवा कर देख लीजिये। वहां मौजूद स्‍टॉफ ने बताया कि इको मशीन महीनों से खराब पड़ी है। मतलब साफ था कि अगर आप हृदयाघात जैसी गंभीर समस्‍या से पीडि़त हैं तो आपको सिर्फ ईसीजी के भरोसे ही रहना है। खैर, इस बीच राघवेंद्र को एक और इंजेक्‍शन दिया गया। राघवेंद्र ने बताया कि थोड़ा आराम मिला है, लेकिन दर्द अभी है। मैंने डाक्‍टर को बताया तो उन्‍होंने कहा कि इंजेक्‍शन लगा है, थोड़ी देर में आराम मिल जायेगा। डाक्‍टर ने कहा कि अटैक जैसी कोई समस्‍या नहीं है। लिहाजा मैं निश्चिंत हो गया।

राघवेंद्र को थोड़ी आराम मिलने के बाद मैंने कहा कि मुझे अपने बच्‍चे को स्‍कूल लेने जाना है, तो मैं उसे छोड़कर आ रहा हूं। दुबारा जब मैं अस्‍पताल पहुंचा वहां मुझे कोई नहीं मिला। मुझे लगा कि राघवेंद्र ठीक होकर घर जा चुके हैं। मैंने उनको फोन मिलाया, लेकिन उनका फोन नहीं उठा। उनके चालक ने भी फोन नहीं उठाया। इसी बीच, राजीव भइया का फोन राघवेंद्र का हालचाल लेने के लिये आया तो मैंने उन्‍हें बताया कि डाक्‍टर ने कहा था कि कोई समस्‍या नहीं है, तो शायद वह ठीक होगा। उन्‍होंने फिर दुबारा मुझे फोन किया और बताया कि उसे मेजर अटैक आया था, उसे पीजीआई ले जाया गया है साथ में ब्रजेश पाठक और भूपेंद्र चौधरी भी हैं।

…तो क्या सिविल अस्पताल के डाक्टर भी मानते हैं कि सिविल अस्पताल अच्छा अस्पताल नहीं है ?


सिविल अस्पताल के डाक्टर ने कहा- इनका कहीं अच्‍छे अस्‍पताल में चौबीस घंटे के भीतर ऑपरेशन नहीं हुआ तो दिक्‍कत हो जायेगी

मैंने राघवेंद्र के साथ रहने वाले संभावित लोगों को फोन करना शुरू किया। तब पता चला कि जब टीम के लोग क्रिकेट खेलकर अस्‍पताल पहुंचे तथा दुबारा ईसीजी कराया गया, तब कार्डियो के दूसरे डाक्‍टर ने बताया कि इन्‍हें मेजर अटैक आया है। सही समय पर अस्‍पताल पहुंच जाने से बात बिगड़ी नहीं, लेकिन अगर इन्‍हें कहीं अच्‍छे अस्‍पताल में चौबीस घंटे के भीतर ऑपरेशन नहीं हुआ तो दिक्‍कत हो जायेगी। इसके बाद वहां मौजूद पत्रकारों ने नेताओं-मंत्रियों को फोन करना शुरू किया, जिसके बाद ब्रजेश पाठक और भूपेंद्र चौधरी सिविल अस्‍पताल पहुंचे। वहां से पीजीआई तक लगातार साथ बने रहे। दोनों नेताओं ने पूरी व्‍यवस्‍था सुनिश्चित की। निश्चित रूप से यह दोनों लोग बधाई के पात्र हैं।

वह सवाल जो अनुतरित रह जाता है, उसका जवाब भी जरूरी है। क्‍या पत्रकार राघवेंद्र की जगह कोई दूसरा मरीज होता तो क्‍या उसकी जिंदगी बचाई जा सकती थी? मंत्री जी की नाक के नीचे महीनों से इको मशीन खराब है, किसी भी डाक्‍टर या जिम्‍मेदार व्‍यक्ति को इसकी चिंता है? क्‍या हार्ट अटैक जैसी गंभीर खतरों वाले बीमारियों को लेकर स्‍वास्‍थ्‍य विभाग की इतनी लापरवाही क्षमायोग्‍य है? मरीजों की जिंदगी से खेलने वाला अयोग्‍य डाक्‍टर, जो ईसीजी के बाद भी हार्ट अटैक को नहीं पकड़ पाया, चिकित्‍सा सेवा में रहने योग्‍य हैं? क्‍या उत्‍तर प्रदेश का प्रत्‍येक मरीज सही समय पर सही इलाज पाने का हकदार नहीं है? आखिर आम आदमी की समुचित चिकित्‍सा व्‍यवस्‍था कौन सुनिश्चित करेगा?

क्‍या राघवेंद्र के बाद सिविल अस्‍पताल में हृदयाघात के किसी दूसरे मरीज को भी सही इलाज मिल पाया होगा? क्‍या डाक्‍टर और मशीन ने उसका सही रोग पकड़ लिया होगा? क्‍या उसके भी किसी रिश्‍तेदार और परिचित का किसी मंत्री या अधिकारी से इतनी जान पहचान होगी कि वह पीजीआई या किसी दूसरे सरकारी अस्‍पताल में अपने मरीज की के इलाज की त्‍वरित व्‍यवस्‍था सुनिश्चित करा ली होगी? क्‍या उसे सही समय पर सही इलाज उपलब्‍ध हो गया होगा? ऐसे बहुतेरे सवाल हैं, जो स्‍वास्‍थ्‍य सिस्‍टम से जवाब चाहते हैं। सरकारी अस्‍पताल आने वाले सभी मरीजों को सही समय पर सही इलाज मिले, आखिर इसकी जवाबदेही कौन तय करेगा? यह भी बेहद शर्म की बात है कि आपका बहुत बड़ा जुगाड़ होगा, तभी आपको इलाज मिलेगा। सामान्य स्थिति में इलाज मिलना मुश्किल है।


उपमुख्यमंत्री जी को साधु बाद, मानवी संवेदना के धनी हैं बृजेश पाठक

उत्तर प्रदेश मान्यता प्राप्त संवाददाता समिति ( पुनर्गठन) उपमुख्यमंत्री श्री बृजेश पाठक जी को साधुवाद देती है कि उन्होंने कल फिर एक बार एक ऐसा काम किया है जो काबिले तारीफ है! उन्होंने मानवी संवेदना का एक अनूठा उदाहरण प्रस्तुत किया है जब उन्होंने एक पत्रकार की मदद की वह उस पत्रकार को देखने ही नहीं गए बल्कि उसे पीजीआई ले जाकर उसका पूरा इलाज कराया पत्रकार राघवेंद्र प्रताप सिंह रघु कल केडी सिंह बाबू स्टेडियम में क्रिकेट मैच खेल रहे थे तभी उन्हें हार्ट अटैक आया और वह सिविल अस्पताल ले जाए गए जैसे ही पत्रकारों के साथियों ने यह बात उपमुख्यमंत्री बृजेश पाठक को बताइ वह तुरंत सिविल अस्पताल पहुंचे और उन्होंने रघु को पीजीआई में ले जाकर उसका उपचार कराया जिससे रघु की जान बच गई रघु को एक स्टंट पड़ा है बृजेश पाठक जी के इस कार्य की जितनी सराहन की जाए कम है उप मुख्यमंत्री के पद पर रहकर कई मौके पर बृजेश पाठक जी ने मानवी संवेदना का अनूठा उदाहरण पेश किया है उन्होंने कॉविड के समय भी राजधानी लखनऊ के तमाम निवासियों की मदद की थी बृजेश पाठक जी उपमुख्यमंत्री के पद पर रहकर भी हमेशा जन सेवा के लिए उपलब्ध रहते हैं जैसे ही उनको जानकारी मिलती है वह हर जगह हर प्रोटोकॉल को तोड़कर पहुंचते हैं और उस व्यक्ति की मदद करते हैं यही पहचान है एक राजनेता बृजेश पाठक की पत्रकारों में भी उप मुख्यमंत्री बृजेश पाठक का व्यवहार सदैव बहुत ही शानदार रहा है वह हर एक की मदद के लिए हमेशा खड़े रहते हैं कल एक पत्रकार की मदद कर उन्होंने फिर यह साबित किया कि राजनेता को जनमानस के लिए सदैव तत्पर रहना चाहिए उत्तर प्रदेश मान्यता प्राप्त संवाददाता समिति पुनर्गठन श्री बृजेश पाठक के इस सराहनीय कार्य के लिए उन्हें साधुबाद और सलाम करती है!

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