महाकुंभ हादसे पर विपक्ष की बयानबाजी पर भड़के कैलाशानंद गिरि, बोले- विपक्ष को सद्बुद्धि मिले

जूना अखाड़ा के प्रमुख स्वामी अवधेशानंद गिरि ने महाकुंभ को लेकर कहा की अद्भुत अलौकिक और विहंगम ये भारत की संस्कृति का महाकुंभ है. समरसता और एकता का महाकुंभ है. संतों की एकता और हम लोक कल्याण के लिए स्नान करने जा रहे हैं.

निरंजनी अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी कैलाशानंद गिरी मौनी अमावस्या पर अपने अखाड़े के साधू- संतों के साथ अमृत स्नान किया. इस दौरान ईटीवी भारत से खास बातचीत में उन्होंने भगदड़ को लेकर विपक्ष की तरफ से की जा रही टिप्पणी पर नाराजगी जताई. उन्होंने कहा कि विपक्ष को सद्बुद्धि मिलनी चाहिए. वहीं अमृत स्नान करने के लिए जूना अखाड़ा के साधू संत भी पहुंचे. इस दौरान आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरि ने ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए कहा कि सुबह की घटना अति उत्साह का नतीजा है. लोगों को अपने उत्साह पर थोड़ा कंट्रोल करना चाहिए और ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति ना हो इस पर हमें बल देना चाहिए.

स्वामी कैलाश आनंद गिरि ने बातचीत करते हुए कहा कि विपक्ष को सद्बुद्धि मिलना बहुत जरूरी है. विपक्ष को ये ज्ञान होना चाहिए कि ये हादसा नहीं है. ये प्राकृतिक हादसा है. इस हादसे के बाद जो साधु संतों ने एकता और सहजता दिखाई है. यूपी सरकार और केंद्र सरकार के लिए इसलिए विपक्ष को ये ज्ञान हो जाना चाहिए कि भारत के साधु संत और सनातनी सरकार के साथ है. साधु संत ही नहीं बल्कि पूरे देश के सनातनी साधुवाद के पात्र हैं बधाई के पात्र हैं वंदन के पात्र हैं.

वहीं जूना अखाड़ा के प्रमुख स्वामी अवधेशानंद गिरि ने महाकुंभ को लेकर कहा की अद्भुत अलौकिक और विहंगम ये भारत की संस्कृति का महाकुंभ है. समरसता और एकता का महाकुंभ है. संतों की एकता और हम लोक कल्याण के लिए स्नान करने जा रहे हैं. प्रातःकाल सुविधा कम थी इसलिए हमने स्थगित किया था, बाद में प्रशासन की चाक चौबंद व्यवस्था की वजह से हम तैयार हो गए. अब हम प्रसन्न हैं. मेरे लाखों लोग नागा सन्यासी साधू मेरे साथ स्नान में आए हैं. वहीं स्वामी अवधेशानंद ने सुबह हुई भगदड़ पर कहा कि ये अति उत्साह था उसका ज्यादा होना ही घटना की वजह थी. उन्होंने कहा कि हम सभी को उन घाटों पर नहाना चाहिए जहां भीड़ कम हो. श्रद्धालुओं से कहना चाहूंगा कि अधिक भीड़ वाली जगह पर मत जाएं. पंचकोश में संगम है. यहां हर तरफ गंगा जमुना सरस्वती का प्रभाव है. कोने कोने में स्वच्छता है. इसलिए हम श्रद्धालुओं से आग्रह करते हैं कि 15 किलोमीटर के रेडियस में संगम है. कुंभ में आएं और बहुत उच्च कोटि की व्यवस्था है. जहां घाट मिले जहां नदी मिले वहां स्नान करें.

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