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‘ब्राह्मणों पर मु%गा, कोई दिक्कत?’: अनुराग कश्यप ने हिन्दू घृणा में पार की हद, ‘फुले’ फिल्म की रिलीज में देरी से हुए आग-बबूला, CBFC को कहा भला-बुरा

अनुराग कश्यप ने लिखा, "भाई अगर जातिवाद नहीं होता इस देश में तो ज्योतिबा बाई फुले और सावित्री बाई फुले को क्या ज़रूरत थी लड़ने की।"

अनुराग कश्यप ने ब्राह्मणों पर कहीं मूतने की बातबॉलीवुड निर्देशक अनुराग कश्यप ने आगामी फिल्म ‘फुले’ की रिलीज में देरी और उस पर सेंसरशिप को लेकर ब्राह्मण समुदाय और सेंसर बोर्ड (CBFC) पर तीखा हमला बोला है। अनुराग कश्यप ने आरोप लगाया कि फिल्म की रिलीज को ब्राह्मण समुदाय के विरोध के कारण ही टाला गया है। अनुराग कश्यप ने यह भी सवाल उठाया कि एक फिल्म जो रिलीज नहीं हुई है, उसका कुछ समूहों द्वारा विरोध क्यों किया जा रहा है और उन्हें कैसे पहुँच मिली।

फिल्म की रिलीज टली, सोशल मीडिया पर आक्रोश

इस विवाद के बीच, निर्देशक आनंद महादेवन और कलाकार प्रतीक गाँधी और पत्रलेखा की यह फिल्म, जो ज्योतिबा फुले और सावित्री बाई फुले के जीवन पर आधारित है, अब 25 अप्रैल को रिलीज होने की संभावना है। वहीं अनुराग कश्यप की टिप्पणियों से सोशल मीडिया पर लोगों में काफी आक्रोश देखा जा रहा है, जहाँ कई लोगों ने उनकी भाषा और अभिव्यक्ति की आलोचना की है।

अनुराग कश्यप की ओर की सवाल किया गया, “कौन है असली च****?, लोग च**** नहीं, आप ब्राह्मण लोग हो या फिर आप के बाप हैं जो ऊपर बैठे हैं। फैसला कर लो।” इसी पोस्ट पर एक इंस्टाग्राम यूजर ने अनुराग कश्यप को कहा, “ब्राह्मण तुम्हारे बाप हैं। जितना तुम्हारी उनसे सुलगेगी उतना तुम्हारी सुलगाएँगे।” अनुराग कश्यप ने यूजर को जवाब में कहा, ब्राह्मण पे मूतूँगा… कोई दिक्कत?

इंस्टाग्राम पर अनुराग कश्यप का विवादास्पद बयान

अनुराग कश्यप ने अपने इंस्टाग्राम पर एक पोस्ट में कहा, “मेरी जिंदगी का पहला नाटक ज्योतिबा और सावित्री बाई फुले पर था। भाई अगर जातिवाद नहीं होता इस देश में ज्योतिबा बाई फुले और सावित्री बाई फुले को क्या ज़रूरत थी लड़ने की। अनुराग कश्यप ने आगे लिखा, “अब ये ब्राह्मण लोगों को शर्म आ रही है या वो शर्म में मारे जा रहे हैं या फिर एक अलग ब्राह्मण भारत में जी रहे हैं जो हम देख नहीं पा रहे हैं, च**** कौन है कोई तो समझाए।”

अनुराग कश्यप ने सेन्ट्रल बोर्ड ऑफ फिल्म सर्टिफिकेशन (CBFC) पर भी सवाल उठाया है। उन्होंने कहा, “मेरा सवाल यह है कि जब फिल्म सेंसरशिप के लिए जाती है, तो बोर्ड में 4 सदस्य होते हैं। आखिर समूहों और विंग्स को फिल्मों तक पहुँच कैसे मिलती है, जब तक कि उन्हें इसकी अनुमति न दी जाए? पूरी प्रणाली ही धाँधली है।”

इसके अलावा फिल्म निर्माता अनुराग कश्यप ने पंजाब 95, तीस, धड़क 2 जैसी फिल्मों को लेकर भी टिप्पणी की है। अनुराग ने कहा कि ऐसी फिल्में सेंसरशिप के प्रकोप का सामना करती है और रिलीज होने से रुक जाती है। उन्होंने मोदी सरकार को कहा, “मुझे नहीं पता कि इस जातिवादी, क्षेत्रवादी, नस्लवादी सरकार के एजेंडे को उजागर करने वाली और कितनी फिल्मों पर रोक लगाई गई है।”

अनुराग कश्यप ने आगे कहा, “उन्हें (मौजूदा सरकार) अपना चेहरा आईने में देखने में शर्म आती है। क्या उन्हें इतनी शर्म आती है कि वे खुलकर ये तक नहीं बता सकते कि फिल्म में ऐसा क्या दिखाया गया है, जो उन्हें परेशान करता है।”

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