केजरीवाल के समर्थक आज शर्मिंदा होंगे

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देश की ईमानदार पार्टी शुरू के ओवर में ही लड़खड़ा गई. कल शाम ही आम आदमी पार्टी ने अपने चुनाव अभियान की पहली रणनीति का पटाक्षेप किया था. पार्टी ने मोदी फॉर पीएम एंड केजरीवाल फॉर सीएम का नारा दिया. अपनी वेबसाइट पर एक पोस्टर भी चिपका दिया लेकिन सोशल मीडिया में मचे हंगामे के बाद उसे हटा लिया गया. आम आदमी पार्टी के इस काम से जरूर उनके वे समर्थक शर्मिंदा होंगे जो मोदी विरोध में उनके पीछे लामबंद हुए हैं.

बनारस के अनुभव के बाद केजरीवाल एंड कंपनी को यह बात भली भांति समझ में आ गई है कि जितना भी ड्रामा कर लो, जितना भी झूठ बोल लो. जितना भी अपने चेहेते पत्रकारों से टीवी पर प्रोग्राम करवा लो. अखबार में लिखवा लो. इस मोदी नामक सुनामी से नहीं लड़ा जा सकता है. लोकसभा चुनाव और उसके बाद हुए चुनावों में बीजेपी के प्रदर्शन से आम आदमी पार्टी डर गई है. शायद योगेंद्र यादव ने दिल्ली में लोकसभा चुनाव के नतीजों का विश्लेषण किया होगा और वो इस निर्णय पर पहुंचे कि मोदी के खिलाफ बोलकर आप चुनाव नहीं जीत सकते तो केजरीवाल के सामने सवाल खड़ा हो गया कि तो इस माहौल में क्या रणनीति होनी चाहिए?

किसी महान रणनीतिकार ने ही यह सुझाव दिया होगा कि मोदी पर हमला नहीं करते हैं. सिर्फ बीजेपी को निशाने पर लेते हैं. जनता को यह कह कर बेवकूफ बनाते हैं कि केजरीवाल का मुकाबला मोदी से है ही नहीं. मोदी तो प्रधानमंत्री बन गए है. ये तो दिल्ली का चुनाव है. वाह.. वाह.. केजरीवाल को लगा कि हां यही सबसे सटीक रणनीति है. मुख्यमंत्री और सत्ता का लालच किस तरह लोगों को अंधा बना देता है उसी का यह एक उदाहरण है. रणनीति तय हुई. वीडियो बनाने का हुक्म जारी किया गया. पिछले तीन दिनों से हर मित्र चैनलों पर इंटर्व्यू हुआ. सभी ने इस प्रायोजित सवाल को जरूर पूछा कि क्या दिल्ली में मोदी बनाम केजरीवाल होने वाला है. और हर बार केजरीवाल ने यही कहा कि दिल्ली के लोग कह रहें जी कि मोदी फार पीएम एंड केजरीवाल फार सीएम. इतना ही नहीं सत्ता की भूख और मुख्यमंत्री बनने के लिए आतुर केजरीवाल ये भी घोषणा करने लगे कि बीजेपी का मुख्यमंत्री कौन होगा. इस बार बिना जनता से पूछे खुद को तो मुख्यमंत्री का उम्मीदवार घोषित किया ही साथ ही जगदीश मुखी को भी बीजेपी का उम्मीदवार बना दिया.

दरअसल, पिछले तीन दिनों से इस रणनीति के लिए जमीन तैयार की गई और शुक्रवार को आम आदमी पार्टी की वेबसाइट पर इस कैंपेन को लॉन्च किया गया. वेबसाइट पर इसे प्रमुखता से प्रदर्शित किया गया साथ में उस वीडियो को भी अपलोड किया गया जिसे इस कैपेंन के लिए विशेष रूप से बनाया गया था. वेबसाइट पर आते ही खेल उल्टा हो गया. सोशल मीडिया में यह प्रचारित होने लगा कि आम आदमी पार्टी मोदी के सामने नतमस्तक हो गई.. चुनाव से पहले ही हार मान ली है.. फिर कुछ टीवी चैनलों पर खबर चलने लगी.. जैसे ही पता चला कि ये कैंपेन बैकफायर कर गया.. लोग थू थू कर रहे हैं तो इस बैनर को वेबसाइट से फौरन हटा दिया गया.. वीडियो को डिलीट कर दिया गया..

इस खबर का खंडन पहले सोशल मीडिया पर किया गया. वो भी झूठ.. सफेद झूठ.. आम आदमी पार्टी के वेतनभोगी सोशल मीडिया गैंग ने यह फैलाया कि ये बीजेपी के लोगों ने मिथ्या प्रचार किया है.. लेकिन टीवी पर जब इस मामले ने तूल पकड़ा तो आम आदमी पार्टी के एक प्रवक्ता ने गलती स्वीकार की लेकिन इसमें भी झूठ बोल दिया.. दिलीप पांडे ने कहा कि किसी वोलेंटियर ने वेबसाइट पर गलती से अपलोड कर दिया. वेबसाइट क्या फेसबुक है? जो चाहे वो पार्टी की वेबसाइट पर कुछ भी अपलोड कर दे. क्या सभी वोलेंटियर के पास पासवर्ड है. नहीं. यह दलील देश की जनता को मूर्ख बनाने के लिए दी गई जिन्हें ये पता नहीं होता कि वेबसाइट पर कैसे अपलोड किया जाता है.

दरअसल, आम आदमी पार्टी एक अत्यंत अपरिवक्व, सत्तालोलुप व महत्वाकांक्षी पार्टी है जो बिना सत्ता के अस्तित्वविहीन होने की कगार पर है. खबर ये है कि कई विधायक पार्टी के टिकट से लडना नहीं चाहते हैं. पार्टी में अंदरुनी कलह और विरोधाभास संकट बिंदू तक पहुंच गए है. पार्टी में कब विस्फोट होगा ये किसी को पता नहीं है लेकिन अरविंद केजरीवाल को पता है 2013 के चुनाव और 2014 के चुनाव में परिस्थितियां बिल्कुल बदल गई है. अगर अबतक उन्हें पता नहीं है तो बहुत ही जल्द उन्हें पता चलने वाला है. फिलहाल, मोदी के सामने नतमस्तक होकर केजरीवाल ने पार्टी के उन समर्थकों को शर्मिंदा किया है जो वाममोर्चा, नक्सली संगठन व कांग्रेस को छोड़ कर मोदी को हराने केजरीवाल के साथ आए थे.

                                                                                                                                                      मनीष कुमार

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