जनसंदेश टाइम्‍स कार्यालय पर पीएफ टीम की जबरदस्‍त छापेमारी, सात घंटे तक चली छानबीन

उत्‍तर प्रदेश के हजारों करोड़ रुपये के चर्चित एनआरएचएम घोटाले में जेल की हवा खा रहे प्रदेश के पूर्व मंत्री बाबू सिंह कुशवाहा के कृपा पात्र अखबार जनसंदेश टाइम्‍स के वाराणसी कार्यालय पर शुक्रवार (12 दिसंबर) को भविष्‍य निधि विभाग की टीम ने जबरदस्‍त छापेमारी की। कर्मचारियों की भविष्‍य निधि की राशि नहीं जमा करने के मामले में की गयी छापेमारी में कई ऐसी नयी फर्जीवाड़े सामने आये जिसके चलते जनसंदेश प्रबंधन कानूनी फंदे से बुरी तरह घिर गया है। लगभग दो सप्‍ताह पूर्व भविष्‍य निधि कार्यालय की ओर से जारी नोटिस का जवाब नहीं देने पर केन्‍द्रीय श्रम मंत्रालय के निर्देश पर हुई छापेमारी की कार्रवाई से जनसंदेश कार्यालय में हड़कंप मच गया। पहले जीएम सीपी राय इधर-उधर की टालमटोल की बातें कर टीम को लौटाने की कवायद करते रहे, लेकिन छापेमारी टीम के कड़े तेवर के साथ ही एफआईआर और जेल की हवा खिलाने की चेतावनी के बाद उनको झुकना पड़ा। टीम ने कर्मचारियों के सर्विस, वेतन और पीएफ से संबंधित दस्‍तावेजों की मांग की तो जनसंदेश प्रबंधन के इस खेल का मुख्‍य खिलाड़ी एकाउंटेंट अतुल विश्‍वकर्मा पहाड़ा पढ़ाने लगा, कुछ जानकारियां देने के बाद वह बेटी की बीमारी का बहाना बना आफिस से भाग निकला। मांगी गयीं जानकारी देने में जीएम सीपी राय अखबार के तथाकथित मालिक अनुराग कुशवाहा के नाम पर टाल-मटोल करने लगे तो टीम के सदस्‍य अखबार के ही उपरी तल पर स्थित अनुराग कुशवाहा के आफिस में उनसे मिलने पहुंच गये, जहां से सूचना मिली कि वे कुछ देर पहले ही आफिस से जा चुके हैं। इसके बावजूद टीम के सदस्‍य दोपहर दो बजे से रात्रि नौ बजे तक जनसंदेश आफिस में जमे रहे और छानबीन करते रहे। पीएफ आफिस के सूत्रों के अनुसार छापेमारी में टीम को जनसंदेश प्रबंधन के कई फर्जीवाड़े की जानकारी मिली। जो गड़बडि़यां सामने आयीं उसमें कर्मचारियों की मनमाना बेसिक सेलरी का निर्धारण और उसी के आधार पर पीएफ कटौती की गयी है। जैसे किसी कर्मचारी को वेतन पच्‍चीस हजार दिया जा रहा है, लेकिन उसकी बेसिक सेलरी का ि‍नर्धारण पीएफ कटौती के लिए पैंसठ सौ रुपये किया गया है। यह खेल सभी कर्मचारियों के साथ किया गया है। इसके साथ ही नियुक्ति के बाद नियमानुसार कर्मचारियों के वेतन में की जाने वाली बढोतरी नहीं की गयी है। टीम ने न्‍यायिक प्रक्रिया के अनुसार प्रबंधन को इन गड़बडि़यों से संबंधित समस्‍त दस्‍तावेज और पूछी गयी जानकारी को तुरंत उपलब्‍ध कराने की नोटिस दे दी। वहीं कर्मचारियों के वेतन से पीएफ राशि की कटौती के बाद भी सरकारी कोष में नहीं जमा करने के मामले में एफआईआर पूर्व की औपचारिकता पूरी की जा रही है।
गौरतलब है कि जनसंदेश टाइम्‍स में कर्मचारियों को कई महीने से वेतन न दिये जाने के साथ उन्‍हें मनमाने तरीके से निकाला जा रहा है। मार्च के बाद किसी भी कर्मचारी के भविष्‍य निधि की राशि को जमा नहीं किया गया है। ये सब शिकायतें अब दिल्‍ली तक पहुंच गयी है। एक तरफ मानवाधिकार आयोग ने प्रशासन को कर्मचारियों के उत्‍पीड़न मामले में कार्रवाई कर रिपोर्ट देने को कहा है, वहीं इस मामले को लेकर केन्‍द्रीय श्रम मंत्रालय ने भी प्रदेश सरकार से कार्रवाई रिपोर्ट तलब किया है। श्रम मंत्रालय के ही एक अन्‍य आदेश में स्‍थानीय भविष्‍य निधि कार्यालय को जनसंदेश प्रबंधन द्वारा पीएफ राशि नहीं जमा करने के मामले में कड़ी कार्रवाई कर उसकी रिपोर्ट मांगने पर ये छापेमारी की कार्रवाई हुई। इसके साथ ही जनसंदेश प्रबंधन द्वारा प्रिंट लाइन में भी गलत जानकारी देने की शिकायत शासन-प्रशासन तक पहुंची है। एक साथ फर्जीवाड़े के कई मामलों को लेकर प्रशासनिक चाबुक से जनसंदेश प्रबंधन परेशान है।

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