मजीठिया मंच ने पत्रकारों को चेताया, सतर्क रहिए

मजीठिया मंच ने पत्रकारों को चेताया, सतर्क रहिए

साथियों,
हाल की घटनाओं से लग रहा है कि हमारा आंदोलन अपने उद्देश्य से कुछ इधर-उधर होने लगा है। कुछ लोग समझ रहे हैं कि पुराने औजार से यह लड़ाई लड़ी जा सकती है। पुराना औजार से हमारा मतलब खासकर हड़ताल से है। अफसोस है कि हमारे ऐसे साथी प्रबंधन की चालबाजी के शिकार हो रहे हैं और मजीठिया वेतन बोर्ड की सिफारिशों को लागू कराने के आंदोलन के बजाय, तबादलों की राजनीति करने लगे हैं। इसका भी अंत पहले जैसा हड़ताल का होता रहा है वैसा ही हो रहा है। प्रबंधन इसका इस्तेमाल साथियों की एकजुटता को तोड़ने में कर रहा है। सवाल उठता है कि हम ऐसे हथकंडे के शिकार क्यों हो रहे हैं। शायद इसलिए कि हम पहले की ही तरह यह समझ रहे हैं कि प्रबंधन आपकी हड़ताल से डर रहा है। दरअसल वह एक बड़े आंदोलन को कुचलने के लिए छोटा आंदोलन खड़ा कर हम सब को बांट रहा है।
वे साथी जो पहले ही सोच रहे थे कि उनकी लड़ाई कोई और लड़ेगा, जब लड़ाई चल पड़ी तो बीच में कूद पड़े । अच्छी बात है लेकिन लड़ाई के लिए सिर्फ कूदना काफी नहीं है। कोई भी समझदार और संघर्षशील आदमी यह अच्छी तरह समझता है कि प्रबंधन सेंत में 500 करोड़ रुपये का हवन क्यों करेगा। अगर आप अपना पैसा ,अपना हक मांग रहे हैं तो आपको पता होना चाहिए कि प्रबंधन आपकी आरती नहीं उतारेगा। और जो ऐसा सोच रहे हैं, आंदोलन को कमजोर और दिशा से भटका रहे हैं।
हमें इस बात का खास ध्यान रखना होगा कि सिर्फ संजय गुप्ता,आरसी अग्रवाल, शोभना भरतिया या विवेक गोयनका को सजा हो जाने से मजीठिया वेज बोर्ड का आंदोलन सफल नहीं होगा। हमारा एकमात्र उद्देश्य सभी साथियों को मजीठिया वेज बोर्ड की सिफारिशों के अनुसार लाभ मिलना है। अगर ये मालिक कानून से इतने ही डरते तो तीन बार सुप्रीम कोर्ट की अवमानना नहीं करते।
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