क्या मुल्क में इमरजेंसी की शुरुआत है एनडीटीवी पर प्रतिबन्ध : पत्रकारों के धरने में उठा सवाल
लखनऊ. समाचार चैनल एनडीटीवी पर प्रतिबन्ध के खिलाफ उत्तर प्रदेश मान्यता प्राप्त संवाददाता समिति के आवाहन पर आज राजधानी लखनऊ के जीपीओ पार्क में गांधी प्रतिमा पर बड़ी संख्या में पत्रकारों ने विरोध दर्ज कराया. इस मौके पर अन्य कई संगठनों ने भी भागीदारी की.
समाचार चैनल पर लगाये गये प्रतिबन्ध को वरिष्ठ पत्रकारों ने हिन्दुस्तान में इमरजेंसी की शुरुआत बताया. वक्ताओं ने इसे सरकार की तानाशाही और तुगलकी फरमान करार दिया.
वरिष्ठ पत्रकार ज्ञानेन्द्र शर्मा ने कहा कि एक अंग्रेज़ी अखबार के कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा था कि इमरजेंसी के बारे में अब कोई सोचे भी नहीं. इसकी स्याही भी अभी नहीं सूखी थी कि उन्होंने एनडीटीवी पर प्रतिबन्ध लगा दिया. उन्होंने कहा कि इस चैनल की गलती यह है कि इसने दुम हिलाना नहीं सीखा. अगर उसने यह सीख लिया होता तो शायद यह नहीं हुआ होता. तानाशाह हुक्मरानों से बहुत सतर्क रहने की ज़रुरत जताते हुए उन्होंने कहा कि सवाल सिर्फ एनडीटीवी का नहीं है. आज उनके साथ हुआ है तो कल किसी और के साथ होगा. ऐसे में सभी को एकजुट होने की ज़रुरत है.
उत्तर प्रदेश मान्यता प्राप्त संवाददाता समिति के अध्यक्ष हेमन्त तिवारी ने इस मौके पर कहा कि केन्द्र सरकार अगर देश में इमरजेंसी लगाना चाहती है तो अलग बात है वर्ना यह मीडिया पर लगाम लगाने की कोशिश है. इन्डियन फेडरेशन ऑफ़ वर्किंग जर्नलिस्ट की ओर से सरकार के इस फैसले की निन्दा करते हुए श्री तिवारी ने एलान किया कि 9 नवम्बर को लखनऊ में बड़ी संख्या में पत्रकार कैंडिल मार्च निकालकर एनडीटीवी पर लगाये गए प्रतिबन्ध का विरोध दर्ज करायेंगे. उन्होंने कहा कि एनडीटीवी पर प्रतिबन्ध केन्द्र की तरफ से किया गया इमरजेंसी का एलान है. इसका विरोध पूरे देश में किया जाना चाहिये.
एनडीटीवी के कमाल खान ने इस मौके पर कहा कि प्रतिबन्ध का मामला क्योंकि कोर्ट में चला गया है इसलिए सड़क पर कोई बात बोलना ठीक नहीं होगा लेकिन फिर भी जब मीडिया बिरादरी यहाँ जमा हुई है तो उनके बीच यह कहना ज़रूरी लगता है कि एनडीटीवी ने ऐसी कोई खबर प्रसारित नहीं की है जिससे कि देश की सुरक्षा प्रभावित होती हो. उन्होंने कहा कि पठानकोट हमले के काफी देर बाद तक सरकार की ओर से यही स्पष्ट नहीं किया गया कि आतंकी 4 थे या फिर छह. हमले के 7 घंटे बाद जब हमारी ओबी वैन मौके पर पहुँच गई तब भी हमने लाइव कुछ नहीं दिखाया. हम 7 घंटे बाद की रिकार्डिंग दिखा रहे थे. फिर सुरक्षा कैसे प्रभावित हुई.
उन्होंने कहा कि एनडीटीवी ने यह सवाल ज़रूर खड़ा किया था कि आखिर सुरक्षा में चूक कहाँ हुई जो आतंकी पठानकोट एयरबेस तक पहुँच गये. उन्होंने कहा कि हमारे चैनल ने यह बात भी इसलिए उठाई क्योंकि जहाँ तक आतंकी पहुँच गए थे वहां से वह जगह बहुत पास थी जहाँ पर हमारे फाइटर प्लेन खड़े थे. उन्होंने बताया कि एनडीटीवी ने पठानकोट के सन्दर्भ में प्रसारित पूरी फुटेज कोर्ट में जमा कर दी हैं.
लखनऊ विश्वविद्यालय की पूर्व कुलपति प्रो. रूप रेखा वर्मा ने कहा कि अजब किस्म का राष्ट्रवाद और देशप्रेम हमारी नसों में भरा जा रहा है. उन्होंने सवाल उठाया कि यह कौन सा राष्ट्रवाद है जो हमें सवाल उठाने से रोकता है. सत्ता में बैठे लोगों से सवाल नहीं पूछे जा सकते. कश्मीर में रेप हो जाए तो उसे लिख देने से मनोबल गिरता है. औरतों के मामले में दोहरा चरित्र है और देशभक्ति की भांग पिलाने को आमादा हैं.
इप्टा के महामंत्री राकेश ने कहा कि फासिज्म की शुरुआत इटली में मुसोलिनी के समय में हुई थी. ब्रूनो को इसलिए मार दिया गया क्योंकि उन्होंने कह दिया था कि सूर्य के चारों तरफ पृथ्वी घूमती है. जबकि बहुमत का कहना था कि पृथ्वी के चारों तरफ सूर्य घूमता है. वैसी ही ताकतें अब हिन्दुस्तान में हैं. वह बहुमत के आधार पर फैसले करती हैं. उन्होंने कहा कि नरेन्द्र मोदी वास्तव में इमरजेंसी से भी बुरे हालात बना रहे हैं. 3 अक्टूबर को इप्टा पर हमला हुआ तो इप्टा को इसका विरोध करने के लिए मानव श्रंखला भी नहीं बनाने दी.
प्रो. रमेश दीक्षित ने एनडीटीवी पर प्रतिबन्ध को देश के लिए बहुत खतरनाक बताया. उन्होंने कहा कि इसका पुरजोर विरोध नहीं किया गया तो हालात और भी बिगड़ेंगे. उन सभी पर धीरे-धीरे प्रतिबन्ध लगेंगे जो सरकार की हाँ में हाँ नहीं मिलाते हैं.
वरिष्ठ पत्रकार शरत प्रधान ने कहा कि यह लोकतंत्र को खत्म करने और आरएसएस के उस एजेंडे को लागू करने की साज़िश है जिसमें अभिव्यक्ति की आज़ादी नहीं होती. उन्होंने कहा कि ढाई साल में मोदी ने यह दिखा दिया कि वह तानाशाह हैं और एनडीटीवी तो उनका एक टेस्ट है. यह कामयाब हुआ तो औरों पर भी प्रतिबन्ध लगेगा.
वरिष्ठ पत्रकार राम दत्त त्रिपाठी ने कहा कि सुनियोजित तरीके से यह माहौल बनाया जा रहा है कि अगर आपने सुरक्षा और सेना पर सवाल उठाया तो आप पर प्रतिबन्ध लगाया जा सकता है. उन्होंने कहा कि चाहे वह आठ लोगों के इनकाउंटर का मामला हो या फिर पठानकोट हमले का मामला हो सवाल उठाने की इजाज़त किसी को नहीं है.
विरोध प्रदर्शन में हुसैन अफसर, सिद्धार्थ कलहंस, उत्कर्ष सिन्हा, कुलसुम मुस्तफ़ा, मोहम्मद कामरान, राजेश मिश्रा, वकार रिजवी, भारत सिंह, अब्दुल वहीद, अतुल चन्द्रा, शबाहत हुसैन विजेता, नवेद शिकोह, तमन्ना फ़रीदी, मोहम्मद ताहिर, दीपक कबीर, आशीष अवस्थी, नाईस हसन, सुकृति अस्थाना, युसरा हुसैन, संजोग वाल्टर और धर्मेन्द्र प्रताप सिंह सहित सैकड़ों पत्रकार मौजूद थे.