जब अम्मा का इंटरव्यू लेने के बाद करण थापर को ‘नज़रबंद’ कर लिया गया था..
चेन्नई: तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जे जयललिता कितनी मज़बूत, लोकप्रिय और असाधारण शख्सियत थीं, इसका अंदाज़ा उनसे जुड़े किस्से, कहानियों को पढ़-सुन और देखकर लगाया जा सकता है. वह जनता के लिए तो प्यारी ‘अम्मा’ थीं लेकिन मीडिया और राजनीति में अपने विरोधियों और समर्थकों दोनों के ही सामने उनकी छवि काफी सख़्त ही रही. ऐसी राजनेता जो अपने सारे राज़, अपने सारे पत्ते अपने करीबियों के सामने भी खोलना पसंद नहीं करती थीं, फिर मीडिया तो दूर की बात हो गई.
ऐसा ही एक चर्चित वाक़या तब का है जब जयललिता ने बीबीसी वर्ल्ड के कार्यक्रम ‘ ‘HARDtalk India’ के लिए पत्रकार करण थापर को इंटरव्यू दिया. यह साक्षात्कार काफी चर्चा में रहा क्योंकि जयललिता को थापर के कुछ सवाल पसंद नहीं आए. मामला यहां तक पहुंच गया कि इंटरव्यू के अंत में जब थापर ने तमिलनाडु की सीएम से हाथ मिलाते हुए कहा कि आपसे बात करके अच्छा लगा तो जयललिता ने यह कहते हुए माइक ‘पटक’ दिया कि ‘लेकिन मुझे आपसे बात करके बिल्कुल अच्छा नहीं लगा.’
इस इंटरव्यू को यूट्यूब पर कई बार देखा जा चुका है लेकिन जो नहीं दिखा वो है इस इंटरव्यू के बाद का हिस्सा. उन दिनों वरिष्ठ पत्रकार परवेज़ आलम, बीबीसी के इस कार्यक्रम के प्रोड्यूसर हुआ करते थे और लंदन में रहते थे. उन्होंने इस इंटरव्यू को याद करते हुए एक फेसबुक पोस्ट में लिखा है कि चेन्नई में हुए अम्मा के इस साक्षात्कार के ठीक बाद करण थापर को कमरे से जाने नहीं दिया गया. आइए पढ़ें परवेज़ ने क्या लिखा है –
‘जिस दिन करण थापर को अम्मा के इंटरव्यू के बाद नज़रबंद कर लिया गया…
मैं बीबीसी वर्ल्ड के इस कार्यक्रम ‘HARDtalk India’ का लंदन बेस्ड प्रोड्यूसर था जब 2004 में करण थापर ने हमारे लिए जयललिता को इंटरव्यू किया था. हां, वही इटंरव्यू जिसकी काफी चर्चा होती रहती है..
लंदन में दिन चढ़ रहा था तब करण का मेरे पास फोन आया. उन्होंने धीमी आवाज़ में कहा कि चेन्नई में मुश्किल खड़ी हो गई है क्योंकि जयललिता इस इंटरव्यू से बहुत ज्यादा नाराज़ हैं. यह तनाव तब शुरू हुआ जब करण ने इंटरव्यू के बीच जयललिता से कहा कि वह अपने जवाब पढ़कर न दें. यह थी उन दोनों की बातचीत –
के : (टोकते हुए) आप स्टेटमेंट पढ़ रही हैं
जे : (टोकते हुए) मैं पढ़ नहीं रही हूं. मैं आपको देखकर बात कर रही हूं. आप कैमरा में देख सकते हैं.
के : लेकिन मैं कह रहा हूं..
जे : मैं आपको देख रही हूं और बात कर रही हूं..मैं पढ़ नहीं रही हूं
के : मैं आपसे जुड़ी एक बात पूछना चाहता हूं..लोग कहते हैं
जे : (टोकते हुए) आपके सामन भी नोट्स रखे हैं. क्या इसका मतलब हुआ आप भी पढ़ रहे हैं.
के : मेरे सामने सवाल रखे हैं
जे : ठीक है तो मेरे सामने भी नोट्स हैं. और मुझे इन्हें पढ़ने से कोई नहीं रोक सकता
के : चीफ मिनिस्टर..
जे : मैं पढ़ नहीं रही हूं…मैं आपकी आंखों में आंख डालकर बात कर रही हूं. मैं सबके साथ ऐसा ही करती हूं
इंटरव्यू खत्म होने के बाद करण थापर को लगा कि उन्हें जयललिता के दफ्तर में नज़रबंद कर लिया गया है क्योंकि वहां कुछ पुलिस अधिकारी मौजूद थे जो उन्हें जाने नहीं दे रहे थे. आखिरकार उन्होंने मतलब की बात कह दी.
जे का कार्यालय चाहता था कि करण यह इंटरव्यू फिर से रिकॉर्ड करें क्योंकि मैडम सीएम इस बातचीत और इसमें पूछे गए सवालों से खुश नहीं है. करण ने कहा मुझे लंदन बात करनी होगी. इसलिए उन्होंने मुझे फोन किया.
इस सवाल का जवाब ना ही था लेकिन मैंने फिर भी अपने बॉस नरेंद्र मोरार, कमिश्निंग एडिटर, बीबीसी वर्ल्ड से बात की. बीबीसी की संपादकीय टीम से चर्चा के बाद नरेंद्र का भी वही जवाब था…ना..’
परवेज़ ने आगे लिखा है कि कुछ तनावपूर्ण घंटों के बाद करण और उनकी टीम को वहां से जाने दिया गया. वहीं इस पोस्ट पर चेन्नई में इस कार्यक्रम के प्रोड्यूसर रहे अशोक उपाध्याय ने लिखा है कि इंटरव्यू के दौरान थापर और जयललिता के बीच काफी तनाव दिखाई दे रहा था और उन पर दोबारा बातचीत रिकॉर्ड करने का दबाव भी बनाया गया. लेकिन अच्छी बात यह थी कि जयललिता इंटरव्यू के बीच से उठकर नहीं गईं और उन्होंने हर सवाल का सामना एक शेरनी की तरह किया.