अपने खिलाफ लेख छपने पर विधानसभा अध्यक्ष ने संपादकों को सुनाई जेल की सजा, दिग्गज खामोश क्यों

कर्नाटक के कुछ विधायकों के खिलाफ तीखे लेख लिखने पर विधानसभा अध्यक्ष इतने आग-बबूला हुए कि वहां के जाने-माने पत्रकार रवि बेलागेरे सहित  दो पत्रकारों को एक साल जेल की सजा सुना दी है। अपने विधानसभा अध्यक्ष की हैसियत से। भले ही मामला कर्नाटक है, मगर यह है तो अभिव्यक्ति की आजादी से ही जुड़ा। सवाल उठता है कि बीते दिनों महज मालिक के घर छापा पड़ने को पत्रकारिता के लिए आपातकाल मानकर जो बड़े पत्रकार हंगामा मचाते हुए प्रेस क्लब पर जुटे, क्या वे इस पर भी कुछ बोलेंगे। या फिर पत्रकारों के खिलाफ एक्शन पर चुप्पी साधेंगे। सिवाय मीडिया मुगल के घर छापेमारी से ही अभिव्यक्ति की आजादी प्रभावित होती है। यह सवाल उछलना शुरू हो गया है।

 

दरअसल हाय बैंगलोर नामक पत्रिका में पत्रकारों ने विधानसभा अध्यक्ष कोलीवाड और दूसरे विधायकों के खिलाफ तीखे लेख लिखे थे। यह लेख पत्रिका के सितंबर 2014 के अंक में छपे थे। लेख में संबंधित नेताओं को करप्शन में लिप्त बताया था। इस लेख को विधायक और विधानसभा अध्यक्ष ने अपनी मानहानि माना। चूंकि पॉवर अपने हाथ में था तो फिर तानाशाही शुरू हो गई। विधायकों ने विधानसभा अध्यक्ष से शिकायत की। चूंकि विधानसभा अध्यक्ष के खिलाफ भी लेख छपे थे तो उन्होंने झट से विशेषाधिकार समिति गठित कर दी। समिति ने हाय बैंगलौर के संपादक रवि बेलागेरे और येलहांका वाॉयस के संपादक अनिल राजू को दोषी पाया।

जेल की सज़ा के अलावा अध्यक्ष ने दोनों पर दस-दस हज़ार रुपये का जुर्माना भी लगाया है। विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि अगर संपादक जुर्माना देने में विफल रहे तो उनकी जेल की सजा को छह महीने के लिए बढ़ाया जाएगा। बता दें कि कांग्रेस विधायक बीएम नागराजू और भाजपा विधायक एसआर विश्वनाथ ने इस मुद्दे को सदन में उठाया था और पत्रकारों के ख़िलाफ़ कार्रवाई की अनुशंसा की थी। नागराजू ने आरोप लगाया कि विशेषाधिकार समिति की ओर से बुलाए जाने के बाद भी रवि बेलागेरे सुनावाई के लिए उपस्थित नहीं हुए।लीवाड ने कहा, ‘मैं विशेषाधिकार समिति की सिफारिशों को मंज़ूरी देता हूं जिसने हाय बेंगलुरू और येलहांका वॉयस के संपादकों को एक साल के लिए जेल भेजने और उन पर 10,000 रुपये का जुर्माना लगाने की अनुशंसा की थी.’

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