4पीएम पर हमले का सच: पड़ोसियों के बीच हुई एक हल्की सी झड़प को संजय शर्मा ने पत्रकारिता हुआ जघन्य हमला बताकर किया हंगामा
राजधानी के गोमती नगर इलाके में स्थित एक छापाखाना के दफ्तर के बाहर आपस में ही पड़ोसियों के बीच एक हल्की सी झड़प क्या हुई, बात का बतंगड़ बना लिया गया। मामला पड़ोसी के साथ रंगबाजी का था, लेकिन उसे क्षण में ही पत्रकारिता पर हुए जघन्य हमले के तौर पर पेश किया गया। कुछ पत्रकार मुख्य सचिव और प्रमुख सचिव वगैरह के पास पहुंच गये और मांग की कि हमलावरों पर तत्काल पकड़ा नहीं गया तो पत्रकारिता और लोकतंत्र ही खतरे में आ जाएगा।
संजय शर्मा को आप जानते हैं। कोई बात नहीं, हम बताये देते हैं कि यह संजय शर्मा कौन हैं। दरअसल, संजय एक अखबार निकालते हैं, जिसका नाम है 4 पीएम। साथ ही वीकेंड टाइम्स नाम के एक साप्ताहिक भी छापते हैं। ब्यूरोक्रेटिक सर्कल में संजयशर्मा का अपना अलग औरा है। लेकिन अखिलेश यादव की सरकार में संजय की सम्पत्ति अचानक बढ़ गयी। विवादित मुख्य सचिव आलोक रंजन की करीबी से उन्हें नियमो को ताक पर रखकर विज्ञापन भी बेहिसाब मिले।
तो जनाब, यह जो धुआं आप देख रहे हैं, वह किसी हुक्का-बार का नहीं, दरअसल उस पत्रकारिता का है, जहां झूठ की आग ने पूरी पत्रकारिता को भी भस्मीभूत करने का बीड़ा उठा लिया है। संजय शर्मा ने अपने कुछ साथियों को लेकर सचिवालय और एनेक्सी भवन में इस घटना पर हल्ला मचाने की कोशिश तो की है। लेकिन जानकार बताते हैं कि असलियत सभी के दिल-दिमाग तक दर्ज हो चुका है। इस मामले में सच तो कुछ और ही है, लेकिन पेशबंदी इस तरह की जा रही है, कि मानो अब उप्र से पत्रकारिता का जनाजा ही उठ जाएगा, अगर सरकार, प्रशासन और पुलिस ने रिपोर्ट पर दर्ज लोगों को तत्काल जेल नहीं भेज दिया तो।
संक्षेप में इस घटना को आप यह समझ लीजिए कि संजय के एक मित्र का एक हुक्का बार चलता है। मित्र एक छोटा-मोटा बिल्डर है। संजय के छापाखाना से एक मकान बाद है यह हुक्का-बार। नाम है केमिस्ट्री कैफे। संजय अक्सर यहां आते हैं। फ्री में ही। देखादेखी प्रेस के कई लोग भी वहां आने लगे। वे भी फ्री वाले, संजय की स्टाइल में। एक दिन टोका-टाकी हो गयी, तो संजयशर्मा और प्रेस वालों की जुबान का जायका बिगड़ गया। कल उसी कैफे के एक कर्मचारी की स्कूटी पर प्रेसवाले बैठे थे, कर्मचारी ने ऐतराज किया तो उस कर्मचारी को पीट दिया गया। चोटहिल कर्मचारी ने फोन कर अपने दोस्तों को बुलाया, तो मारपीट हो गयी। प्रेसवाले प्रेस के भीतर भागे, तो अंदर घुस कर पिटाई हो गयी। लेकिन ज्यादा नहीं। और बस इतना भर ही तिल था, जिसे संजय शर्मा ने ताड़ बना डाला है।
साभार: मेरी बिटिया डॉट कॉम