जुझारू पत्रकार के संघर्ष के चलते ट्रैफिक पुलिस की मिलीभगत से ठगी करने वालों पर दर्ज हो सका मुकदमा
ढाई साल पहले घटी एक घटना ने मुझे बेहद आघात पहुंचाया था। शहर के यातायात चौराहे पर यातायात पुलिस बूथ में बैठे वृन्दावन महिला कल्याण समिति के कर्मचारी ने आपके साथी से 80 रुपये लेकर उसे फर्जी ग्रीन कार्ड पकड़ा दिया। यह फ्राड हुआ तो हजारों के साथ लेकिन बात मुझे खल गई। इतनी पढ़ाई लिखाई करने और पत्रकार होने का क्या मतलब, अगर कोई बीच चौराहे पर आपको पुलिस की संरक्षण में ठग ले। मैंने हास, परिहास और उपहास की परवाह किये बिना इस ठगहाई के खिलाफ लड़ने की ठान ली। मेरे दोस्तों, मीडिया के कुछ साथियों, कई अपने लोगों और यहां तक की यातायात पुलिस ने भी मुझे समझाने का प्रयास किया लेकिन मैंने सिर्फ अपने दिल की सुनी।
लड़ाई का आगाज हुआ 21 फरवरी 2015 को। मैंने आईजी जोन गोरखपुर से शिकायत की। मामले की जांच एसपी ट्रैफिक गोरखपुर को मिली। फर्जीवाड़े की यह घटना ज्यादातर मीडियाकर्मियों को थी लेकिन कलम चली तो सिर्फ शान-ए-पूर्वांचल इवनिंग तूफान के पत्रकार साथियों की। खासतौर से अतुल मुरारी तिवारी जी ने बगैर हित-अहित की परवाह किये इस मुद्दे पर बेबाकी से लिखा। चूंकि फ्राड करने वाली संस्था समाजवादी पार्टी की रसूखदार नेता से जुड़ी थी लिहाजा राजनीतिक दबाव में एसपी ट्रैफिक रमाकान्त प्रसाद जी ने मामला मैनेज कर दिया। दो साल बाद मैं आरटीआई से जान पाया कि मेरे प्रकरण में कोई कार्यवाही नहीं हुई है।
महंत योगी आदित्यनाथ सीएम बने और जनता दरबार लगाने लगे तो थोड़ी आस बढ़ी। 01 मई 2017 को मैंने योगी से मिलकर इस प्रकरण की शिकायत की थी। एसपी ट्रैफिक श्रीप्रकाश द्विवेद्वी को जांच मिली लेकिन यहां भी मामला मैनेज हो गया। सीएम से मिलना बेकार हो गया। मन बहुत दुखी हुआ लेकिन फिर भी हिम्मत नहीं हारी। फेसबुक और ट्विटर के जरिये वर्तमान एसपी ट्रैफिक श्री आदित्य प्रकाश वर्मा जी की जानकारी में मैं पूरा प्रकरण लाया।
मुख्यमंत्री के एकीकृत शिकायत निवारण प्रणाली (आईजीआरएस) के जरिये आईजी जोन महोदय, डीआईजी रेंज महोदय और एसएसपी गोरखपुर महोदय से शिकायत भी की। इस बार जांच एक ईमानदार कार्यशैली वाले अफसर श्री आदित्य प्रकाश वर्मा जी के हाथ में थी। उन्होंने मामले की निष्पक्षता से जांच की और उनके निर्देश पर कैंट थाने में आरोपियों के खिलाफ आईपीसी की धारा 419, 420 के तहत मुकदमा कायम हुआ है। इस मुकदमे को मैं देर से ही सही अपनी प्राथमिक जीत मानता हूं। अगर निष्पक्षता से विवेचना हुई तो लाखों का खेल उजागर होगा और दोषी जेल जाएंगे, ऐसा मुझे विश्वास है।
वेद प्रकाश पाठक
मजीठिया क्रांतिकारी
स्वतंत्र पत्रकार व सोशल मीडिया एक्टिविस्ट
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