पत्रकार गौरी लंकेश की हत्या का ‘कांग्रेसी कनेक्शन’
कर्नाटक की राजधानी बैंगलोर में महिला पत्रकार गौरी लंकेश की हत्या को लेकर सस्पेंस बना हुआ है। वामपंथी पत्रकार गौरी लंकेश बीजेपी और केंद्र सरकार की कट्टर विरोधी मानी जाती थीं। हत्या के फौरन बाद कई पत्रकारों और संपादकों ने इसके लिए हिंदुत्ववादी विचारधारा को जिम्मेदार ठहराना शुरू कर दिया। लेकिन अब मामले की जो सच्चाई सामने आ रही है वो चौंकाने वाली है। इसके मुताबिक गौरी लंकेश की हत्या के पीछे कांग्रेस के लोगों पर शक है। एबीपी न्यूज के संवाददाता विकास भदौरिया ने ट्वीट किया है कि वो कर्नाटक की कांग्रेस सरकार के भ्रष्टाचार से जुड़ी एक खबर पर काम कर रही थीं। उनके अलावा भी कई स्थानीय और दूसरे पत्रकारों ने इस एंगल की तरफ ध्यान दिलाया है।
हत्या के पीछे क्या कारण?
खुद गौरी लंकेश ने एक जगह बताया था कि वो कर्नाटक के कांग्रेसी विधायक डीके शिवाकुमार के खिलाफ एक मामले में जांच कर रही हैं। डीके शिवाकुमार वही विधायक हैं, जिनके रिसॉर्ट में गुजरात के कांग्रेसी विधायक रुके थे। उन पर सीबीआई के छापे भी पड़ चुके हैं। इसके अलावा कर्नाटक सरकार और मुख्यमंत्री सिद्धरमैया से जुड़े मामले भी गौरी लंकेश की पत्रिका में छपने वाले थे। हालांकि खुद गौरी लंकेश ने कुछ ट्वीट में ऐसी बातें लिखी हैं जिनसे उनके और उनके वामपंथी साथियों के बीच किसी विवाद का संकेत मिलता है। इस सबसे अलग गुजरात के गृह मंत्री ने कहा है कि मामले में नक्सलियों का हाथ भी हो सकता है। जिस तरह से घर में घुसकर गोली मारी गई है। उससे लग रहा है कि हत्यारे उनकी जान-पहचान के थे। सच्चाई क्या है ये तो पुलिस की जांच के बाद ही पता चल सकेगा, लेकिन जिस तरह से वामपंथी पत्रकारों ने इस मामले में आरएसएस और बीजेपी को दोषी ठहराना शुरू कर दिया उसी से शक पैदा हो गया कि कुछ न कुछ गड़बड़ जरूर है।
कौन हैं गौरी लंकेश?
वो ‘लंकेश’ नाम से कन्नड़ भाषा का एक टेबलॉयड अखबार निकाला करती थीं। इस अखबार में वो सांप्रदायिक राजनीति, जाति प्रथा जैसे मुद्दों पर बेहद आक्रामक लेख लिखा करती थीं। उन्हें बीजेपी और हिंदुत्ववादी राजनीति का बड़ा विरोधी माना जाता था। उनका बीजेपी और हिंदुत्व विरोध इस हद तक था कि वो कई बार फर्जी खबरें छापने के आरोपों में भी घिरी रहीं। 2008 में बीजेपी सांसद प्रह्लाद जोशी और उमेश धुसी ने उनकी पत्रिका में छपे एक लेख पर विरोध दर्ज कराया था। दोनों ने उनके खिलाफ मानहानि का मुकदमा ठोंका। कोर्ट में गौरी लंकेश अपनी रिपोर्ट को सही साबित नहीं कर पाईं। इस पर अदालत ने उन्हें छह महीने की जेल और जुर्माने की सज़ा भी दी थी। हालांकि उन्हें कभी जेल में रहना नहीं पड़ा, क्योंकि कोर्ट से ही जमानत मिल गई। नीचे आप पत्रकार विकास भदौरिया का वो ट्वीट देख सकते हैं, जिसमें उन्होंने कर्नाटक सरकार के भ्रष्टाचार की जांच वाली जानकारी दी है।
A journo #GauriLankesh was killed in a dastardly crime Period #Bangluru. she was working on Siddhramaiah’s Govt Curruption Story pic.twitter.com/1KP20qdaZL
— Vikas Bhadauria ABP (@vikasbha) September 5, 2017
नीचे आप वो जवाब देख सकते हैं जिसमें गौरी ने खुद ही बताया था कि उनकी पत्रिका कांग्रेस विधायक डीके शिवकुमार के खिलाफ एक खबर पर काम कर रही है।
#GauriLankesh had reported scams of recently raided #DKShivakumarpic.twitter.com/ZPgfQPZ6Hy
— Bruhannale (@Bruhannale) September 5, 2017
नीचे के ये दो ट्वीट इस बात का इशारा करते हैं कि गौरी और उनके वामपंथी (शायद नक्सली) साथियों में कोई विवाद चल रहा था।
Ok some of us commit mistakes like sharing fake posts. let us warn each other then. and not try to expose each other. peace… comrades
— Gauri Lankesh (@gaurilankesh) September 4, 2017
why do i feel that some of `us’ are fighting between ourselves? we all know our “biggest enemy”. can we all please concentrate on that?
— Gauri Lankesh (@gaurilankesh) September 4, 2017
इस ट्वीट में गौरी लंकेश के भाई और उनके बीच के विवाद की खबर है। भाई ने उन्हें नक्सली करार देते हुए कहा था कि उनके रवैये के कारण अखबार की इमेज पर बुरा असर पड़ रहा है।
its not like, only RW calling #GauriLankesh a Naxal Sympathizer. Gauri’s brother Indrajit said his sister Pro Naxal stand affecting tabloid. pic.twitter.com/Qw1oWKZqgT
— Anshul Saxena (@AskAnshul) September 5, 2017