वरिष्ठ पत्रकार डॉ. राकेश पाठक बने ‘कर्मवीर’ पत्रिका के प्रधान संपादक
प्रतिष्ठित पत्रिका ‘कर्मवीर’ के प्रधान संपादक का दायित्व अब वरिष्ठ पत्रकार व कवि डॉ. राकेश पाठक को सौंपा गया है और उन्होंने अपनी नई जिम्मेदारी संभाल भी ली है। 1920 में अखबार के तौर पर शुरू हुई इस पत्रिका के संस्थापक संपादक स्वतंत्रता संग्राम सेनानी माखनलाल चतुर्वेदी थे।
वर्तमान में ‘कर्मवीर’ का सर्वाधिकार पद्मश्री विजयदत्त श्रीधर के पास है और इन्हीं के संपादन में पत्रिका का नियमित प्रकाशन हो रहा है। मीडिया रिपोर्ट की मानें तो पहले चरण में इसे न्यूज पोर्टल का रूप भी दिया जाएगा और अगले चरण में ‘कर्मवीर’ नाम से ही पुन: अखबार का प्रकाशन किया जाएगा।
मध्यप्रदेश के जबलपुर से 17 जनवरी 1920 को साप्ताहिक ‘कर्मवीर’ का प्रकाशन शुरू हुआ। पं. माखनलाल चतुर्वेदी को संपादन का दायित्व सौंपा गया। महाकौशल के प्रथम सत्याग्रही माखनलाल जी के कारावास के कारण प्रकाशन रुक गया। 1923 के सफल ‘झंडा सत्याग्रह’ के बाद माधवराव सप्रे और गणेशशंकर विद्यार्थी ने माखनलाल जी पर दवाब बनाया कि वे ‘कर्मवीर’ का पुनः प्रकाशन करें, जिसके फलस्वरूप 4 अप्रैल 1925 को खंडवा से ‘कर्मवीर’ का पुनर्जन्म हुआ।
11 जुलाई 1959 तक माखनलाल चतुर्वेदी के संपादन में ‘कर्मवीर’ प्रकाशित होता रहा। बाद में उनके छोटे भाई बृजभूषण चतुर्वेदी इसके उत्तराधिकारी हुए, जिन्होंने 1975 तक ‘कर्मवीर’ को प्रकाशमान रखा। स्वतन्त्रता के स्वर्ण जयंती वर्ष में बृजभूषण चतुर्वेदी ने कर्मवीर का दायित्व विजयदत्त श्रीधर को सौंप दिया। 1 अगस्त 1997 को भोपाल से कर्मवीर का प्रकाशन फिर शुरू हुआ। मासिक पत्रिका के रूप में ‘कर्मवीर’ का संपादन, प्रकाशन श्री विवेक श्रीधर कर रहे हैं।
प्रतिष्ठित पत्रकार विजयदत्त श्रीधर ‘नवभारत’ के प्रधान संपादक रहे हैं। उन्होंने देशबंधु में भी महत्वपूर्ण दायित्व का निर्वाह किया। उन्होंने अब इसके प्रधान संपादक का दायित्व वरिष्ठ पत्रकार व कवि डॉ. राकेश पाठक को सौंप दिया है।
डॉ. राकेश पाठक नईदुनिया, नवभारत, नवप्रभात, प्रदेशटुडे जैसे प्रतिष्ठित अखबारों में वर्षों तक संपादक रहे हैं। इसके अलावा न्यूज पोर्टल ‘डेटलाइन इंडिया’ के प्रधान संपादक भी रहे हैं।
‘सांध्य समाचार’ से पत्रकारिता शुरू करने वाले डॉ. पाठक ने स्वदेश, आचरण, लोकगाथा आदि अखबारों में भी काम किया। मूल रूप से भिंड के रहने वाले डॉ. पाठक तीन दशक से सक्रिय पत्रकारिता कर रहे हैं। उनकी तीन किताबे भी प्रकाशित हो चुकीं हैं।
संवेदनशील कवि, लेखक और विश्लेषक के तौर पर अपनी पहचान बना चुके डॉ. पाठक सैन्य विज्ञान और इतिहास दो विषयों में एम.ए. हैं और उन्होंने सैन्य विज्ञान में पी.एच.डी भी की है।
हाल ही में डॉ. पाठक को उनके कविता संग्रह ‘बसंत के पहले दिन से पहले’ के लिए राष्ट्रीय स्तर का ‘हेमंत स्मृति कविता सम्मान’ देने की घोषणा की गई है। इसके अलावा अनेक सम्मान और पुरस्कार उन्हें मिल चुके हैं।