पत्रकारो की मान्यता समिति के पदाधिकारियों को आईना दिखायें और चुनाव कराए

निष्क्रिय हो चुके पदाधिकारी न तो चुनाव होने दे रहें है और न ही स्वेच्छा से चुनाव कराने हेतु आगे आ रहे हैं। अपने अपने निजी स्वार्थ के लिए समस्त उत्तर प्रदेश के पत्रकारों के साथ ये कैसा खिलवाड़ अपने ही बिरादरी के लोग खेल रहे है जिससे शासन प्रशासन स्तर पर अनेक पत्रकार कल्याणकारी योजनाएं लंबित होती जा रही है

उत्तर प्रदेश राज्य मुख्यालय मान्यता प्राप्त पत्रकार समिति का कार्यकाल समाप्त हो चुका है, निष्क्रिय हो चुके पदाधिकारी न तो चुनाव होने दे रहें है और न ही स्वेच्छा से चुनाव कराने हेतु आगे आ रहे हैं। अपने अपने निजी स्वार्थ के लिए समस्त उत्तर प्रदेश के पत्रकारों के साथ ये कैसा खिलवाड़ अपने ही बिरादरी के लोग खेल रहे है जिससे शासन प्रशासन स्तर पर अनेक पत्रकार कल्याणकारी योजनाएं लंबित होती जा रही है।
एक तरफ मध्यप्रदेश में पत्रकार सम्मान निधि 10000 से बढ़कर 20000 करने को कैबिनेट की स्वीकृति हो गयी है और पत्रकारो को आर्थिक सहायता 20000 से बढ़ा कर 40000 को भी स्वीकृति मिल गयी है । मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री पत्रकारों के लिए अत्याधुनिक मीडिया सेंटर का भूमि पूजन करने जा रहे है और यहाँ उत्तर प्रदेश में बने मीडिया सेन्टर पर ताला लगाने की सुनियोजित योजना पूरी होते दिख रही है।
मान्यता समिति के पदाधिकारियों की चुप्पी तो समझ आती है लेकिन लोकतंत्र के चौथे स्तंभ के कलमकार, संगठन के नाम पर चल रही बंदरबांट पर कलम क्यों नही चलाते ये भी एक बड़ा सवाल है।
मान्यता समिति के संभावित चुनाव में लड़ाके तो कई दिखाई दे रहे हैं लेकिन अपने ही बिरादरी के कुछ जयचंदों की वजह से उत्तर प्रदेश मुख्यालय मान्यता प्राप्त पत्रकार चुनाव न होने से ठगा सा महसूस कर रहे हैं।
जो लोग आज चुनाव प्रक्रिया के लिए आवाज़ नही उठा पा रहें है कल वही चुनाव में अपना अपना परचम लहराते नज़र आएंगे और ठगा सा कौन राह जायेगा ये बताने की ज़रूरत नही है,,
आइये मिलकर एक मुहीम चलाएं जहां मिले निष्क्रिय पदाधिकारी उनको आईना दिखाए और उनके कर्तव्यों का एहसास कराएं और चुनाव कराने हेतु अपनी अपनी जिम्मेदारी निभायें।

डॉ मोहम्मद कामरान
स्वतंत्र पत्रकार

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