सूचना-प्रसारण सचिव संजय जाजू ने बताया, डिजिटल चैनल्स पर सरकार का क्यों कम है विज्ञापन खर्च
संजय जाजू ने कहा, "हमारे विज्ञापन बजट का 60 फीसदी हिस्सा टेलीविजन मीडिया को मिलता है, इसके बाद प्रिंट मीडिया और फिर आउटडोर को जाता है।"
भारत में डिजिटल विज्ञापन पिछले कुछ वर्षों में तेजी से बढ़ा है और वर्तमान में इसकी हिस्सेदारी 50 प्रतिशत से अधिक है, जो टेलीविजन और प्रिंट मीडिया के संयुक्त विज्ञापन राजस्व से भी अधिक है। हालांकि, इस बीच सरकार का विज्ञापन खर्च पैटर्न अलग रहा है।
सूचना-प्रसारण मंत्रालय के सचिव संजय जाजू ने बुधवार को मुंबई में भारत डिजिटल शिखर सम्मेलन के मौके पर हमारी सहयोगी वेबसाइट ‘एक्सचेंज4मीडिया’ को बताया कि सरकार का डिजिटल खर्च लगभग 10 प्रतिशत है और इसका बड़ा हिस्सा पारंपरिक मीडिया (traditional media) को जाता है।
उन्होंने कहा, “हमारे विज्ञापन बजट का 60 फीसदी हिस्सा टेलीविजन मीडिया को मिलता है, इसके बाद प्रिंट मीडिया और फिर आउटडोर को जाता है।”
डिजिटल चैनलों पर सरकार के कम खर्च के पीछे का कारण बताते हुए जाजू ने कहा, ”शीर्ष मंत्रियों और नेताओं के खुद सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर करोड़ों फॉलोअर्स हैं। इसलिए, उन्हें डिजिटल चैनलों पर अलग से खर्च करने की जरूरत नहीं पड़ती है। टेलीविजन, जनसंचार माध्यम होने के नाते, ग्रामीण भागों सहित पूरे भारत में पहुंच रखता है, इसलिए इसे विज्ञापन बजट का बड़ा हिस्सा मिलता है।”
एमआईबी सचिव के अनुसार, सरकार के विज्ञापन खर्च के मामले में टीवी के बाद समाचार पत्र है। जाजू ने कहा कि होर्डिंग को भी काफी निवेश मिलता है, लेकिन सरकार को ये निजी ग्राहकों की तुलना में बहुत कम कीमत पर मिलते हैं। उन्होंने कहा कि आने वाले दिनों में दृश्य बदल सकता है।
जाजू ने कहा, “सरकार ने हाल ही में डिजिटल न्यूज प्लेटफॉर्म्स के लिए एक विज्ञापन नीति पेश की है।” हालांकि उन्होंने स्पष्ट किया कि सरकार द्वारा डिजिटल मीडिया के लिए कोई संरक्षण (patronage) नहीं है।”
मंत्रालय के अपने स्वयं के ओटीटी चैनल लॉन्च करने की योजना के बारे में पूछे जाने पर, जैसा कि पिछले साल तत्कालीन एमआईबी सचिव अपूर्व चंद्रा ने घोषणा की थी, जाजू ने कहा कि इस तरह की पहल में समय लगता है।
भारतीय ओटीटी कंटेंट का विश्व स्तर पर होगा विस्तार
देश में ओटीटी क्षेत्र की तेजी से वृद्धि की सराहना करते हुए, जाजू ने शिखर सम्मेलन में कहा कि भारत में अब 60 ओटीटी प्लेटफॉर्म हैं, जिनमें से लगभग एक तिहाई क्षेत्रीय भाषाओं में काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि इस साल यह संख्या 50 प्रतिशत तक बढ़ने की उम्मीद है।
उनके अनुसार, भारत के अतिरिक्त संयुक्त अरब अमीरात, अमेरिका और अफ्रीका जैसे अंतरराष्ट्रीय बाजारों में भी ओटीटी के विकास की अभी भी गुंजाइश है। उन्होंने कहा कि पिछले साल ऑस्कर जीतने वाली “एलिफेंट व्हिस्परर्स” (The Elephant Whisperers) जैसी डॉक्यूमेंट्री फिल्मों ने विश्व स्तर पर भारतीय कंटेंट के विकास का मार्ग प्रशस्त किया है।
जाजू ने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि मीडिया व मनोरंजन क्षेत्र बहुत बड़ा है और इसने भारतीय अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
एमआईबी सचिव ने कहा, “मीडिया व मनोरंजन क्षेत्र 20 प्रतिशत की दर से बढ़ रहा है और लगभग 2 लाख करोड़ रुपये का आकार प्राप्त कर चुका है। उसमें, डिजिटल मीडिया सेगमेंट दूसरा सबसे बड़ा उप-सेगमेंट है, जिसमें लगभग 30 प्रतिशत की वृद्धि हुई है यानी लगभग 60,000 करोड़ रुपये की वृद्धि हुई है और फिल्म सेगमेंट में 25 प्रतिशत की वृद्धि दर है।”
उन्होंने बताया कि पिछले साल 200 से अधिक फिल्में डिजिटल प्लेटफॉर्म पर रिलीज हुईं, जिनमें से 75 फिल्में बिना थिएटर के सीधे रिलीज हुईं।
ऑनलाइन गेमिंग का विकास
जाजू ने यह भी कहा कि ऑनलाइन गेमिंग इंडस्ट्री, एनीमेशन व वीएफएक्स के जरिए 30 प्रतिशत की वृद्धि दर के साथ 34 प्रतिशत की दर से बढ़ रहा है। सचिव ने कहा कि कि यह इंडस्ट्री 2025 तक 2 अरब डॉलर की बनने की उम्मीद है।
महाराष्ट्र में राष्ट्रीय मीडिया केंद्र (National Media Centre)
जाजू ने विश्व स्तरीय मीडिया प्रतिभा तैयार करने के लिए महाराष्ट्र में राष्ट्रीय उत्कृष्टता केंद्र की स्थापना और अंतरराष्ट्रीय परियोजनाओं को आकर्षित करने के लिए एक प्रोत्साहन योजना की भी घोषणा की। उन्होंने बताया कि इससे इंडस्ट्री को कई देशों के साथ कई को-प्रॉडक्शन ट्रीटीज करने और कई ऑडियो विजुअल को-प्रॉडक्शन बनाने में मदद मिलेगी।