कार्रवाई की जद में सरदार! चमचों के माथे पर शिकन

सच तो यह है कि लगातार 5 बार खेमे का सरदार बनने के पीछे का रहस्य भी इसी उत्तर में छिपा हुआ है। समिति के सरदार ने सैकड़ों की संख्या में ऐसे-ऐसे पत्रकारों को राज्य मुख्यालय की मान्यता देकर अपने मोहपाश में जकड़ रखा है जिनकी पूंछ उठाते ही उनकी असलियत भी सामने आ जायेगी अर्थात 24 घण्टे के भीतर सैकड़ों की संख्या में उन पत्रकारों की मान्यता खतरे में पड़ जायेगी जिन्होंने अपने सरदार की कृपा मात्र से फर्जी दस्तावेजों के आधार पर मान्यता ले रखी है।

राज्य मुख्यालय से मान्यता प्राप्त संवाददाता समिति के सरदार (नेताजी) पर कार्रवाई की तलवार लटक चुकी है। सरदार के विरोधी तो जश्न के मूड में हैं लेकिन चमचों के माथों पर शिकन साफ देखी जा रही है। इसकी वजह भी जान लीजिए! सरदार ने स्पष्ट संकेत दे रखा है कि यदि उनके खिलाफ किसी प्रकार की कार्रवाई होती है और सरदार का ओहदा उनसे छीना जाता है तो वे अकेले शिकार नहीं बनेंगे, यदि वे डूबे तो अपने साथ 500-600 को और ले डूबेंगे।

अब आप सोंच रहे होंगे कि आखिरकार उनके डूबने अथवा कार्रवाई होने से 500-600 मान्यता प्राप्त पत्रकारों की मान्यता कैसे खतरे में पड़ सकती है तो वह मैं बताता हूं। सच तो यह है कि लगातार 5 बार खेमे का सरदार बनने के पीछे का रहस्य भी इसी उत्तर में छिपा हुआ है। समिति के सरदार ने सैकड़ों की संख्या में ऐसे-ऐसे पत्रकारों को राज्य मुख्यालय की मान्यता देकर अपने मोहपाश में जकड़ रखा है जिनकी पूंछ उठाते ही उनकी असलियत भी सामने आ जायेगी अर्थात 24 घण्टे के भीतर सैकड़ों की संख्या में उन पत्रकारों की मान्यता खतरे में पड़ जायेगी जिन्होंने अपने सरदार की कृपा मात्र से फर्जी दस्तावेजों के आधार पर मान्यता ले रखी है। यही वह वजह है कि समिति का सरदार बिना किसी प्रचार-प्रसार केे आसानी से लगातार सरदार की कुर्सी का हकदार बन जाता है और चमचे 2 साल के लिए हनक के हकदार बन जाते हैं।

यह जान लेना भी जरूरी है कि आखिरकार समिति के सरदार के खिलाफ कार्रवाई की तलवार क्यों लटकी हुई है। दरअसल एक वरिष्ठ पत्रकार ने सूचना के अधिकार का प्रयोग करते हुए सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग से जानकारी मांगी। जानकारी में आरोप लगाते हुए पूछा गया था कि फलां पत्रकार ने जालसाजी और फर्जी शपथ पत्र के सहारे वीवीआईपी कॉलोनी बटलर पैलेस में फलां नम्बर का फ्लैट अवैध तरीके से हथिया रखा है। शिकायत के आधार पर जांच हुई। जांच में आरोपों को सत्य पाया गया।

11 सितम्बर 2024 में शिकायतकर्ता को जो जानकारी दी गयी उसने समिति के सरदार की परेशानी बढ़ा दी है। जानकारी में कहा गया है कि सम्बन्धित पत्रकार को उत्तर प्रदेश सार्वजनिक भूगृह अधिनियम-10 एवं उत्तर प्रदेश सार्वजनिक भूगृह नियमावली-2018 के अन्तर्गत 11 सितम्बर 2024 को बटलर पैलेस का आवास खाली करने की नोटिस दी जा चुकी है।

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