सट्टा ऐप्स के प्रमोशन में शामिल 29 सेलिब्रिटी ED की जांच के घेरे में, मनी लॉन्ड्रिंग का शक
यह जांच मनी लॉन्ड्रिंग निरोधक अधिनियम (PMLA) के तहत की जा रही है और इसका आधार हैदराबाद और विशाखापत्तनम जैसे शहरों में दर्ज की गई कई प्राथमिकियां (FIRs) हैं। ED का आरोप है कि इन हस्तियों ने ऐसे सट्टा प्लेटफॉर्म्स का प्रचार किया, जो गेमिंग ऐप्स के नाम पर बड़े पैमाने पर अवैध कमाई कर रहे थे और फर्जी प्रमोशनल कैंपेन चला रहे थे।
प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने मनी लॉन्ड्रिंग के एक बड़े मामले में 29 मशहूर हस्तियों के खिलाफ जांच शुरू कर दी है। इनमें लोकप्रिय फिल्मीं सितारे, सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर्स, यूट्यूबर्स और टीवी पर्सनैलिटीज शामिल हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, जांच की जद में जिन नामों का उल्लेख किया गया है, उनमें विजय देवरकोंडा, राणा दग्गुबाती, प्रकाश राज, हर्षा साई और श्रीमुखी जैसी हस्तियां शामिल हैं।
यह जांच मनी लॉन्ड्रिंग निरोधक अधिनियम (PMLA) के तहत की जा रही है और इसका आधार हैदराबाद और विशाखापत्तनम जैसे शहरों में दर्ज की गई कई प्राथमिकियां (FIRs) हैं। ED का आरोप है कि इन हस्तियों ने ऐसे सट्टा प्लेटफॉर्म्स का प्रचार किया, जो गेमिंग ऐप्स के नाम पर बड़े पैमाने पर अवैध कमाई कर रहे थे और फर्जी प्रमोशनल कैंपेन चला रहे थे।
हालांकि, कई सेलेब्रिटी ने किसी भी गैरकानूनी गतिविधि में शामिल होने से इनकार किया है। उनका कहना है कि उन्होंने इन ऐप्स को सामान्य गेमिंग ऐप्स समझकर प्रमोट किया था। वहीं कुछ का यह भी दावा है कि उन्होंने नैतिक कारणों से इन ब्रांड्स के साथ अपने कॉन्ट्रैक्ट खत्म कर दिए थे। इसके बावजूद, ठगी के शिकार लोगों की शिकायतें लगातार सामने आ रही हैं। एक पीड़ित ने तो ₹3 करोड़ रुपये की आर्थिक क्षति होने की बात कही है, जिससे यह संकेत मिलता है कि इन प्रमोशनों से आम लोग गंभीर नुकसान उठा रहे हैं।
ED फिलहाल इन सेलेब्रिटी के वित्तीय दस्तावेजों, एंडोर्समेंट कॉन्ट्रैक्ट्स, सोशल मीडिया कैंपेन और प्रमोशनल गतिविधियों की जांच कर रही है। साथ ही, कथित आरोपियों को पूछताछ के लिए तलब कर मनी ट्रेल यानी “अपराध से अर्जित आय” की कड़ियां खंगाली जा रही हैं। हालांकि, अब तक किसी पर कोई आपराधिक आरोप नहीं तय किए गए हैं, लेकिन इनकी भूमिका ने डिजिटल स्पेस में गैरकानूनी विज्ञापन और प्रभावशाली मार्केटिंग के बीच की धुंधली सीमाओं को फिर से चर्चा में ला दिया है।
यह मामला भारतीय नियामकों के सामने डिजिटल गेमिंग और प्रमोशनल कंटेंट पर नियंत्रण को लेकर आ रही नई चुनौतियों को उजागर करता है। जब ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स पर प्रभावशाली हस्तियां किसी ऐप या सेवा का प्रचार करती हैं, तो दर्शकों और उपभोक्ताओं पर उसका असर गहरा होता है और ऐसे में जिम्मेदारी और पारदर्शिता की आवश्यकता पहले से कहीं ज्यादा बढ़ गई है।
