महिला पत्रकारों पर विवादित टिप्पणी करने वाले भाजपा नेता को मिली राहत
महिला पत्रकार पर विवादित टिप्पणी करने वाले तमिलनाडु में भारतीय जनता पार्टी (BJP) के नेता एस.वी. शेखर वेंकटरमण को सुप्रीम कोर्ट से राहत मिल गई है। एस.वी. शेखर की गिरफ्तारी पर एक जून तक रोक लगा दी है। अपने सोशल मीडिया पेज पर महिला पत्रकारों को लेकर बेहद ही घटिया बयान दिया था, जिसके बाद से ही उनकी गिरफ्तारी की मांग चल रही थी।
न्यायमूर्ति ए.एम.खानविलकर व न्यायमूर्ति नवीन सिन्हा की पीठ ने मंगलवार को नोटिस जारी करते हुए शेखर को तत्काल गिरफ्तारी से राहत दे दी। शेखर ने पहले ही माफी मांग ली है और कथित पोस्ट को अप्रैल में डिलीट कर दिया। उन्होंने कहा है कि इस अपमानजनक पोस्ट को उनके दोस्त एस.थिरुमलाई ने महिला पत्रकारों की शुचिता पर सवाल उठाते हुए लिखा था और इसे उन्होंने फेसबुक पेज पर साझा किया था।
मद्रास हाई कोर्ट ने उनकी अग्रिम जमानत की याचिक खारिज कर दी थी। हाई कोर्ट ने पुलिस को निर्देश दिया कि वे एक सामान्य शिकायत की तरह इस मामले में भी कार्रवाई करें। इसके बाद शेखर ने हाई कोर्ट के इसी आदेश को सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी है।
उल्लेखनीय है कि पिछले दिनों तमिलनाडु के राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित ने महिला पत्रकार के गाल छूने पर जमकर बवाल हुआ था। उन्हें सोशल मीडिया पर किरकिरी का सामना करना पड़ा था, जिसके बाद राज्यपाल को महिला पत्रकार लक्ष्मी सुब्रह्मण्यम से माफी मांगनी पड़ी थी। इसी मामले में भाजपा नेता एस.वी. शेखर वेंकटरमण भी कूद पड़े थे और उन्होंने अपने फेसबुक वाल पर महिला पत्रकारों को लेकर विवादित पोस्ट साझा किया था, जिसमें लिखा था कि राज्यपाल को उस महिला को छूने के बाद ‘अपने हाथ फिनाइल से धोने चाहिए थे।’
इसके बाद लोगों और पत्रकारों ने नाराजगी जताई तो उन्होंने वह पोस्ट डिलीट कर महिला पत्रकारों को लेकर नया पोस्ट जो उन्होंने साझा किया था वह उससे भी ज्यादा विवादित था, जिसमें लिखा था, ‘हालिया शिकायतों से जाहिर है, वे (महिला पत्रकार) रिपोर्टर और एंकर तब तक नहीं बन सकती हैं, जब तक वे बड़े लोगों के साथ सो न लें। तामिलनाडु की मीडिया में अनपढ़ बेवकूफ भद्दे लोग भरे पड़े हैं, यह महिला भी अपवाद नहीं है।’
मामला भड़कता देख एस.वी. शेखर वेंकटरमण ने इस पोस्ट को अपने फेसबुक पेज से डिलीट कर दिया था, लेकिन उन्होंने सभी महिला पत्रकारों को अपमान करने वाली अपनी पोस्ट के लिए काफी देर बाद माफी मांगी थी। तब से ही उनके खिलाफ गिरफ्तारी की मांग हो रही थी। शेखर ने इस पोस्ट पर माफी मांगते हुए कहा था कि उन्होंने तथ्यों को ‘बिना पढ़े’ एक मित्र की पोस्ट को अनजाने में साझा कर दिया था। उन्होंने आगे कहा, ‘एक मित्र ने जब बताया कि पोस्ट के तथ्य अपमानजनक है तो इसे तुरन्त हटा दिया।’
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट इसी मामले को लेकर सुनवाई कर रहा है कि क्या सोशल मीडिया पर किसी पोस्ट को आगे बढाना अपराध है या नहीं। उन्होंने अग्रिम जमानत के लिए मद्रास उच्च न्यायालय में याचिका दाखिल की थी और तर्क दिया गया था कि शिकायत आईपीसी की धारा 505 (1) (सी) के तहत कोई अपराध नहीं बताती क्योंकि यह आरोपी द्वारा प्राप्त एक संदेश था जिसे उसके द्वारा अग्रेषित किया गया था और वह इसके लेखक नहीं हैं। उन्होंने बिना पढ़े इसे आगे बढ़ा दिया था।
अग्रिम जमानत को खारिज करते हुए मद्रास हाई कोर्ट ने कहा था कि पोस्ट को आगे बढ़ाना संदेश का समर्थन करने के बराबर है। क्या कहा जाता है ये तो महत्वपूर्ण है लेकिन किसने कहा है, समाज में इसका बहुत महत्व है, क्योंकि लोग सामाजिक स्टेटस के व्यक्तियों का सम्मान करते हैं। जब किसी व्यक्ति की तरह एक सेलिब्रिटी इस तरह के संदेश आगे बढ़ाता है तो आम जनता इस बात पर विश्वास करती है कि इस तरह की चीजें चल रही हैं।