जनसंदेश टाइम्स इलाहाबाद में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा

jansandeshजनसंदेश इलाहाबाद लागातार कुछ समय से सुर्खियों में है। यहां रोज कोई न कोई बखेड़ा खड़ा होता दिख जाता है और हर बखेड़े की जड़ में विज्ञापन विभाग के मुखिया प्रमोद यादव ही होते हैं। वर्तमान मामला संस्थान के बिजनेस एसोसिएट मंगला प्रसाद तिवारी का है। सूत्रों की माने तो संस्थान में वही होता है जो प्रमोद यादव चाहते हैं। प्रमोद यादव से आहत होकर पहले भी कुछ लोग संस्थान को अलविदा कह चुके हैं, लेकिन मालिकान का ध्यान कभी इस ओर नहीं जा रहा या यूं कहें कि जानबूझ कर अपना ध्यान इसतरफ नहीं ला रहे हैं। सूत्रों से मिली जानकरी से कई बाते सामने आईं मसलन प्रमोद यादव खुलेआम पूरे सेस्थान में ये कहते घूमते मिल जायेंगे कि संस्थान में रहना है तो वही करना होगा जो मैं कहता हूं। ऐसा भी माना जा रहा है कि संस्थान इस समय जातिगत वैमनष्यता का अखाड़ा बन गया है। माननीय प्रमोद यादव खुलेआम कहते फिरते हैं कि मुझे ब्रह्मïणो से नफरत है, उनकी इसी गिरी सोच का शिकार बने मंगला प्रसाद तिवारी। कार्यालय में कार्यरत कुछ कर्मचारियों से मैने जब फोन पर बात किया तो उनमें से ज्यादातर कर्मचारियों ने इस बात को स्वीकारा कि प्रमोद यादव अक्सर संस्थान में खुलेआम जाति सूचक शब्दों का प्रयोग करके कर्मचारियों को अपमानित करते रहते हैं। एक कर्मचारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि प्रमोद यादव संस्थान में खुलेआम कहते फिरते हैं कि मैं इस संस्थान का बॉश हूं मैं चाहे जो करूं किसी की भी हिम्मत नहीं कि वो मुझे कुछ कहे, चाहे वो संस्थान का मालिक ही क्यों न हो। उनके इस रूतबे के बारे पहले भी कई कर्मचारी संस्थन के आला अधिकारियों को बता चुके हैं लेकिन पता नहीं इन अधिकारियों की कौन सी पूंछ प्रमोद यादव के पैर तले दबी पड़ी है कि वो प्रमोद के खिलाफ कोई एक्शन नहीं ले पा रहे हैं। प्रमोद यादव इसके पहले भी जिन संस्थानों में कार्य किये हैं वहां भी इनका रवैया ऐसा ही रहा है बस फर्क इतना रहा है कि बाकी संस्थानों में आला अधिकारी और मालिकान उन्हे बाहर का रास्ता दिखा देते रहे हैं।

उनकी कारगुजारियों से परेशान एक कर्मचारी की पीड़ा उसी की जुबानी…………………………………………………..

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सेवा में,
महाप्रबंधक
जनसंदेश टाइम्स
इलाहाबाद
महोदय,
मैने आप की सूचना पर 27.03.14 को अपनी मेल चेक की और पाया कि मेल में जो बाते लिखि गई हैं वह पूरी तरह से निराधार हैं। विज्ञापन व्यवस्थापक पर आपका अटूट विश्वास उन्हें तानाशाही करने की आजादी दे रखी है। मै आपके माध्यम से यह पूछना चाहता हूं कि 01- संस्थान में उधारी विज्ञापन प्रकाशित करवाने की अधिकतम सीमा क्या है। 02- क्या विज्ञापन व्यवस्थापक ने कभी भी लिखित रूप से किसी भी उच्चाधिकारी को यह सूचित किया है कि उधारी विज्ञापन प्रकाशन की एक सीमा भी है। 03- विज्ञापन व्यवस्थापन महोदय प्रमोद यादव जी ने अपने पत्र में यह कहा है कि मेरे द्वारा लगाये गये आरोप गलत हैं इस बात की पुष्टी किस अधिकारी ने की है कि मेरे द्वारा लगाये गये आरोप गलत थे, इस बात की जांच संस्थान की किस अधिकारी द्वारा व कब किया गया। उन्हें क्लीन चिट व मुझे दोषी किसने बताया है कृपया प्रमोद यादव जी से जानने का कष्ट करें। 04- उन्होंने अपने पत्र में लिखा है कि मैने बीमारी का बहाना बनाया है उन्होने मुझे गत 25.03.14 दिन मंगलवार को उनके सूत्र द्वारा सिविल लाइंस में देखा गया था, जिसने भी उन्हें इस बात की जानकारी दी कि मैं सिविल लाइंस में था तो क्या उसने इस बात से भी अवगत करवाया था कि उनने मेरा मेडिकल जांच भी किया, जिस आधार पर वह मुझे स्वस्थ्य घोषित कर दिया। उस सूत्र का भी नाम इंगित कर दिया होता जिससे आपका उनपर अंधा भरोसा करना सत्य साबित हो जाता। 05- मै आपके माध्यम से यह भी जानना चाहता हूं कि विज्ञापन व्यवस्थापक महोदय मुझे यह जानकारी दें कि मेरे द्वारा की गई कौन सी ऐसी गतिविधि है जो संस्थान विरोधि है। यदि प्रमोद जी के अत्याचार के खिलाफ उच्चाधिकारियों को सूचित करना अपराध है तो मैं इसे स्विकार कर सकता हूं।
आदरणीय जीएम सर आपको बताना चाहूंगा कि जिस प्रकार आप प्रमोद यादव जी पर आप विश्वास जताते हैं वह एक न एक दिन संस्थान का अहित ही करेगा और जिन उच्चाधिकारियों को मैने मामले से अवगत करवाया वह भी प्रमोद यादवज ी की काले चिटृठे से जल्द ही अवगत होगे। मै बताना चाहूंगा कि आपको छोड़कर संस्थान में कार्य करने वाले ज्यादातर कर्मचारी प्रमोद जी से व उनके कार्यप्रणाली से त्रस्त हैं। उनकी इतनी ही मजबूरी है कि आप प्रमोद जी के लिए ढ़ाल का कार्य करते हैं। आप सिर्फ कुछ दिनो के लिए आम कर्मचारियों की तरह बर्ताव करने लगे तो प्रमोद जी मार्केट में आपके बारे में ही अपशब्दों का प्रयोग करने लगेगे। मै नही जानता की वह कौन सी मजबूरी है कि आप प्रमोद जी की तरफदारी करते है। जिस कारण वह संस्थान मंे तानाशाही कर रहें हैं। अब तो लोग उन्हे एमजीएम(मीनी जीएम) के नाम से संबोधित करने लगे हैं।
आपसे निवेदन है कि ईश्वर को साक्षी मानकर उचित न्याय कर सके। जिससे की संस्थान में मेरे साथ अन्य लोगों का प्रमोद यादव जी के तानाशाही से निजात मिल सके और संस्थान का उत्थान हो सके।

दिनांक 27- 03- 14 भवदीय मंगला प्रसाद तिवारी
बिजनेस ऐसोसिएट
जन संदेश टाइम्स इलाहाबाद
प्रति-
– आदरणीय सीईओ सर
– आदरणीय विशाल सर
– विज्ञापन व्यवस्थापक प्रमोद यादव जी

 

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