BSE को पत्र भेज एनडीटीवी ने की आधिकारिक घोषणा, ‘चैनल बिकने की खबर कोरी अफवाह’

एनडीटीवी चैनल को स्पाइसजेट के सह-संस्थापक अजय सिंह द्वारा खरीदे जाने की खबरें मीडिया में सुबह से चल रही है। लेकिन एनडीटीवी ने बीएसई को आधिकारिक पत्र लिख कहा है कि चैनल के बिकने की खबर पूरी तरह से गलत है। जिसके बाद चैनल के बिकने की अफवाहों पर विराम लग गया है।

अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस में छपी एक खबर के अनुसार, मीडिया जगत में हलचल तेज हो गई है जब खबर आई कि मोदी सरकार को नारा देने वाले ‘अबकी बार मोदी सरकार’ अजय सिंह ही इसके मालिक होगें।

लेकिन वहीं अंग्रेजी अखबार ‘द हिन्दू’ में छपी एक खबर के अनुसार, एनडीटीवी के बिकने की खबर को पूरी तरह से कोरी अफवाह बताया गया है। समाचार पत्र के अनुसार,एनडीटीवी के वरिष्ठ अधिकारी ने इस खबर को पूरी तरह अफवाह करार दिया है साथ ही कहा है कि ये पूरी तरह से गलत खबर है।

एनडीटीवी ने किया खंडन

एनडीटीवी के BSE को दिए आधिकारिक पत्र में लिका है कि, चैनल के बिकने की खबर गलत है। एनडीटीवी अपने शेयर नहीं बेच रहा है। इसके साथ उन्होंने लिखा कि, ऐसी उम्मीद है कि इस पत्र के साथ ही चैनल के बिकने की कोरी अफवाहों पर भी विराम लग जाएगा।

बता दें कि बीएसई में रजिस्टर्ड प्रत्येक कंपनी को अपने शेयरों का लेन-देन करने की हर जानकारी बीएसई को देनी होती है। लेकिन चैनल के खंडन के बाद खबरों पर विराम लग गया।

एनडीटीवी का आधिकारिक पत्र

सोशल मीडिया पर इस खबर पर आईं कुछ प्रमुख प्रतिक्रियाएं यूं हैं…

Om Thanvi : पता चला है प्रणव रॉय ने एनडीटीवी के सहयोगियों से चैनल स्पाइस जेट को जाने की पुष्टि नहीं की है। चैनल की तरफ़ से अख़बारों को यह भी कहा जा रहा है कि बिक्री की ख़बर सही नहीं है। अगर ऐसा है तो मीडिया की आज़ादी के लिए चिंतित लोगों के लिए यह बड़ी राहत की बात होगी। फ़िलहाल इसमें रहस्य है कि एनडीटीवी के शेयर चंद रोज़ पहले अचानक कैसे उछले या क्या स्पाइस जेट ने चैनल के शेयर नहीं ख़रीदे हैं। बहरहाल, ख़बर ग़लत निकले तो निश्चय ही बहुत ख़ुशी की बात होगी।

Sanjaya Kumar Singh : मीडिया के लिए, मीडिया के बारे में, मीडिया के लोग… एनडीटीवी के बिकने और स्पाइस जेट के अजय सिंह द्वारा खरीदे जाने की खबर को हिन्दू ने गलत बताया है। एनडीटीवी के अधिकारियों के अनुसार इस संबंध में खबर की एक भी लाइन सही नहीं है। हालांकि, इंडियन एक्सप्रेस ने भी अपनी मूल खबर में लिखा है, When asked about the NDTV deal, a SpiceJet official said “it’s absolutely false and baseless.” Messages and emails sent to NDTV officials did not elicit any response. हालांकि एनडीटीवी या उसकी ओर से किसी ने कोई ट्वीट नहीं किया है। इसलिए मामला सीधा नहीं है। इसके बावजूद इकनोमिक टाइम्स ने लिखा है इस खबर से एनडीटीवी के शेयरों के भाव बढ़ गए हैं। और मनीकंट्रोल ने लिखा है, समाचार चैनल के शेयर मूल्य पांच प्रतिशत बढ़ जाने पर बांबे स्टॉक एक्सचेंज ने पूछा है कि इस संबंध में स्पष्टीकरण दे। चैनल क्यों दे? यह समझ में नहीं आया। एक्सप्रेस की मूल खबर में ही लिखा है कि खबर पक्की नहीं है। फिर भी भाई लोगों ने इसकी पुष्टि की और फैलाते रहे। नजीतन शेयर बाजार से कमाने वालों ने शेयर खरीदने के लिए लाइन लगा दी और कीमत बढ़ गई तो चैनल से ही पूछा जा रहा है कि सच क्या है। स्क्रॉल डॉट इन हिन्दू के हवाले से एनडीटीवी ने अधिग्रहण की खबरों से इनकार किया है। कुल मिलाकर, अभी तक मामला यह है कि बिकने पर एनडीटीवी की चुप्पी से उसके शेयरों के भाव बढ़ रहे हैं और उससे कहा जा रहा है बोलो, बोलते क्यों नहीं कि बिक गए। इस बीच एक खबर यह भी है कि अजय सिंह एनडीटीवी को नियंत्रण में लेने के लिए तैयार हैं। तैयार तो बहुत लोग बहुत समय से हैं। पर….

Pankaj Chaturvedi : एनडीटीवी मना कर रहा है कि उसे किसी ज़हाज वाले ने ख़रीदा है, लेकिन चम्पू स्यापा कर रहे है… कब तक दूसरों का बेनर उठा कर क्रांति करोगे, दम हो तो सारे गोदी चेनल देखना बंद करो दो… शहर शहर उनको ना देखने का आन्दोलन चलाओ.. लेकिन जब घर बैठ कर माउस के कीबोर्ड से बकलोल क्रांति हो सकती है तो कौन कुछ सार्थक सडक पर करे? इसी निकम्मेपन और सरकारी पैसे पर आरामतलबी का खामियाजा देश आज भयंकर साम्प्रदायिकता और निरंकुशता के रूप में भुगत रहा है… वक़्त कागज काले करने या क्लब में गला साफ़ करने का नहीं– अरे वहाँ तो आप उन्हें ज्ञान देते हो जो पहले से यह जानते हैं– तनिक बस्ती, पटरी, पगडण्डी का रुख करों– वरना आप केवल बकलोल हो..

Anil Bhaskar : बिक गया NDTV..  यह शोर सोशल के साथ वेब मीडिया पर भी खूब मचा है। उधर प्रणय रॉय बेचने की पुष्टि नहीं कर रहे तो कथित ख़रीदार अजय सिंह साफ़ कह रहे- हमने तो नहीं ख़रीदा। इसे कहते हैं, बेगानों की शादी में अब्दुल्ला दीवाना। लगे रहो मुन्ना भाई…..

Aditya Pandey : प्रणय रॉय कह रहे हैं कि एनडीटीवी ‘अजय सिंह के हाथों’ नहीं बिका है, हमें एक घंटे का भी चैनल चलाना पड़ा तो चलाएंगे… सर, वैसे अब आपको ‘द वर्ल्ड दिस वीक’ के लिए रामायण और महाभारत के स्लॉट से ज्यादा पैसे चुकाने वाले घोष अंकल दूरदर्शन में नहीं हैं… फिर भी 600 करोड़ की डील और सौ करोड़ ‘रनिंग’ की खबर गलत है तो तत्काल इंडियन एक्सप्रेस पर केस करें और यह भी बताएं कि आखिर क्यों और कैसे एनडीटीवी का शेयर पिछले 15 दिनों में दोगुना तक बढ़ गया?

Nadim S. Akhter : NDTV के बिकने वाली खबर अगर इंडियन एक्सप्रेस के रिपोर्टर ने गलत दी है, तो मुझे एक्सप्रेस के संपादक से सहानुभति नहीं, उनकी समझ पे अफसोस होगा। कई दफा रिपोर्टर सूत्र के हवाले से पक्की खबर देता है लेकिन खबर कितनी पकी-पकाई है, ये रिपोर्टर और संपादक के बीच छुपा होता है। कई दफा सूत्र धोखा दे देते हैं या जानबूझकर गलत जानकारी दे देते हैं। ऐसे हालात में रिपोर्टर और संपादक को अपने विवेक से काम लेना होता है कि जो बताया जा रहा है, वो सोलह आने सही है या आठ आने या फिर इस सूचना की औकात दो कौड़ी की भी नहीं है!! और ये सब समझ संपादक को अनुभव से आती है। सो अगर खबर बड़ी है और संपादक को उसे लेकर संशय है, तो हर हाल में वो खबर रोक लेनी चाहिए। विश्वनीयता से कोई समझौता नहीं। उम्मीद करता हूँ कि इंडियन एक्सप्रेस के अनुभवी संपादक से इतनी बड़ी चूक नहीं हुई होगी।

अगर कोई दानी पैसे लगाकर NDTV के कर्जे उतार दे, तो ये चैनल नहीं बिकेगा। कोई है? या फिर मुफ्त का ‘निष्पक्ष मीडिया’ चाहिए। चैनल चलाने में खर्चा आता है। आप तो 10 रुपये के आलू पे मोलभाव कर लेते हो, बेचारा चैनल का मालिक कहाँ जाए? या फिर सारा ज्ञान पत्रकारों के लिए है। पेट पे पत्थर बांध के कब तक चौथे खंभे का बोझ उठा लेगा??!! आपका तो एक महीने का TA-DA नहीं मिलता तो आसमान सिर पे उठा लेते हैं। उस बेचारे को तो मालिक भी मारता है, नेता भी कूचते हैं और पब्लिक भी दौड़ा लेती है। इसलिए NDTV को अगर बिकने से बचाना है तो अपनी बचत राशि का 5 फीसद बैंक एकाउंट में जमा कराएं। प्रणब रॉय से पूछकर एकाउंट नम्बर मैं दे दूंगा। देखते हैं कितने लोग आगे आते हैं! और, अगर ये नहीं कर सकते तो निष्पक्ष मीडिया के लिए छाती मत पीटिये। हार्ट अटैक आ जाएगा, दिल बहुत नाजुक होता है। मसला ये नहीं है कि पत्रकार बाजार के नियमों के मुताबिक चल रहा है। मसला ये है कि वो बाजार में उतरने के बाद भी इज़्ज़त बचाये हुए है या नहीं! बहुत महीन फ़र्क़ है लेकिन ये बहुत बड़ा फ़र्क़ है।

Avinish Mishra : इंडियन एक्सप्रेस के संपादक राजकमल झा से ये उम्मीद नहीं थी.. मुझे जब भी लगता है पत्रकारिता में जो हम कर रहे हैं.. वो गलत है.. तब राजकमल झा का गोयनका अवार्ड के दौरान दिया गया भाषण सुनने लगता हूँ.. डिमोर्लाइज्ड हुआ हौसला फिर से वापस आने लगता है.. और फिर से पत्रकारिता के मूल रूप पर वापस आ जाता हूँ.. आज सुबह एक रिपोर्ट देखा जिसमें सत्यता के नाम पर कोरी अफवाह था.. जिस सूत्र के हवाले से ये ख़बर लिखी गयी थी.. शायद उस सूत्र को ये नहीं पता था.. की “अबकी बार मोदी सरकार” का नारा पीयूष पांडे ने लिखा था.. और जो सबसे अहम बात है की गोयनका जी के सिद्धांत की बात करने वाले इंडियन एक्सप्रेस शायद यह भूल गये की बिना पुष्टि किये ख़बर नहीं चलाया जाना चाहिए पत्रकारिता का सबसे मूल सिद्धांत है… मुझे उम्मीद है की अगर इस ख़बर का प्रमाणित तथ्य इंडियन एक्सप्रेस के पास नहीं है (जैसा की प्रणब राय ने पुष्टि किया है कि एनडीटीवी का शेयर अभी नहीं बेचा जा रहा है) तो राजकमल झा को सरेआम इंडियन एक्सप्रेस से माफी मंगवाना चाहिए.. और पत्रकारिता मूल्यों को फिर से बरकरार रखते हुए जनपक्षधर का विश्वास हासिल करना चाहिए… धन्यवाद !!

Ak Lari : नेशनल स्टॉक एक्सचेंज ने इंडियन एक्सप्रेस में छपी खबर के बारे में एनडीटीवी से स्पष्टीकरण मांगा है। Ndtv को बेचे जाने की खबर अफवाह है। न कोई एनडीटीवी को खरीद रहा है न ही बिक रहा है। प्रणव राय ने कहा है कि अगर हमें एक घण्टे का भी चैनल चलाना पड़ा तो हम चलाएंगे।

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