आखिर क्यों छोड़कर जा रहे कैनविज टाइम्स को पुराने कर्मचारी

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2009 में कैनविज टाइम्स साप्ताहिक लांच हुआ और बड़ी ही तेजी से अपनी उपलब्धियों के चलते लोगों की नजर में आया। एक साल बाद ही इस संस्थान के सारे कर्मचारी मय सम्पादक इस्तीफा दे दिए। जिसके तुरंत बाद प्रभात रंजन दीन ने संपादक का कार्यभार संभाला और अपने साथ कई बड़े अखबारों से अपने पुराने मित्रों को साथ भी लाए। सब कुछ ठीकठाक चल रहा था, लेकिन पता नहीं क्यों प्रभात रंजन दीन के सारे सहयोगी एक-एक कर उनसे दूर होते चले गए। वर्तमान में प्रभात रंजन दीन के साथ कोई भी उनका पुराना सहयोगी नहीं है।

जब हमारे prabhatरिपोर्टर ने इनके सहयोगियों से मिलकर कारण जानने का प्रयास किया तो लगभग सभी ने एक ही बात कही। उनकी माने तो प्रभात रंजन दीन का व्यवहार किसी को संस्थान में ज्यादा दिनों तक रुकने नहीं देता चाहे वह प्रभात जी का कितना भी खास क्यों न हो। इन लोगों ने बहुत सारे आरोप लगाए अपने संपादक पर। कुछ ने तो यह तक कह डाला कि प्रभात जी पब्लिकली चिल्लाते हुए गाली-गलौज करते हैं और रोज ही नौकरी से निकालते हैं और नौकरी पर रखते हैं। प्रभात जी का यह रवैया जब लोगों को बरदाश्त नहीं होता तो वह संस्थान को नमस्ते कर लेता है। ऐसा नहीं है कि प्रभात जी का यह रवैया कैनविज टाइम्स में ही है। प्रभात रंजन दीन जहां भी रहे उनके इस कार्यशैली की चर्चा हमेशा रही। ज्ञान और लिखावट के मामले में प्रभात रंजन दीन का कोई सानी नहीं है। वह जिन मुद्दों पर लिखते हैं, बहुत ही स्थित होकर लिखते हैं और जो तथ्य होते हैं वह लगभग 95 प्रतिशत सत्य होते हैं। बावजूद इसके उनका व्यवहार संस्थान के लिए हमेशा नुकसान पहुंचाता रहा है। आज भी कैनविज टाइम्स में काम करने वालों की कमी है और वह सिर्फ इसलिए है कि प्रभात रंजन दीन की किसी से भी नहीं बन पाती। मैनेजमेंट अखबार में कभी कोई दखल नहीं देता। सैलरी समय से आती है। मालिकान का कोई दबाव नहीं है। फिर भी संस्थान में कोई टिक नहीं पा रहा है। ये बड़ी अजीब बात है। प्रभात जी को अपने व्यवहार में बदलाव लाना चाहिए ताकि उनके सहयोगी हमेशा उनके बने रहें और हमेशा साथ चलने को तत्पर रहें। क्योंकि ऐसा न होने पर सबसे ज्यादा नुकसान संस्थान को होता है। यह सारी बातें कैनविज छोड़े एक सीनियर रिपोर्टर ने भड़ास4 जर्नलिस्ट को फोन करके अपने दर्द से अवगत कराया।
कैनविज का पूर्व रिपोर्टर

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