प्रभात त्रिपाठी ने किया जिदगी में अब कभी चुनाव न लड़ने का एलान

मैने अपने जीवन के तीन दशक खपा दिये इस खराब दोहरे मापदंड वाली सस्था के लिये जिसमे अब संड़ाध ही नजर आती है।व्यवस्था नहीं बदलेगी फिर वही पुरानी तस्वीर दोहराई जाती रहेगी जो पिछले डेढ़ दशक से चल रही है।

प्रिय सभी 896 मतदाताओ के नाम खुली चिठ्ठी और चुनाव परिणाम पर आभार

आज आपका भाई प्रभात त्रिपाठी अपने सभी मतदाताओ को एक खुली चिठ्ठी लिख कर एलान करता है कि उसने दुखी मन से यह फैसला लिया है कि वह अपनी जिदगी में अब कभी मान्यता समिति का चुनाव नहीं लड़ेगा।और यूपी की गंदी बजबजाती सड़ाध वाली पत्रकारो की राजनीति से हमेशा के लिये सन्यास लेने की घोषणा करता हूँ। लेकिन कभी भी पत्रकारो पर संकट आयेगा तो आपका भाई सदैव विना भेदभाव से आपके हितो की रक्षा के लिये खड़ा रहेगा। आपका भाई पराजित हुआ है लेकिन अभी थका नहीं और हारा नहीं है।आपके भाई का जोश और जजवा अभी अपने चाहने वाले विश्वास करने वाले उन साहसी और ईमानदार 27 मतदाताओ के भरोसे कायम हैं।और यह कहने में मुझे कतई गुरेज नही होगा कि शायद में उन तमाम मतदाताओ के वीच जाकर उन्हे यह नही समझा पाया कि आप अपने वोट की ताकत को पहचाने। हर बार की तरह फिर एक बार सत्य की हार हुई और बुराई की जीत हुई। लेकिन मुझे भरोसा है कि सत्य एक न एक दिन जीतेगा जरूर।
मै हार गया उन तमाम बुराईयो से जो लोग सच को स्वीकार नहीं करना चाहते। कभी मुझे ऐसा मन में लगता है कि प्रभात तुम ही गलत हो। तुम्हारे पास जनादेश आने से दूर क्यो भागता है क्योकि तुम झूठ नही बोलते तुम दारु मुर्गा के लिये स्थाई दोस्त छल कपट से नहीं बनाते और ईमानदारी की बात इस कलयुग में करते है। यह सतयुग नहीं है यहॉ तुम्हारे जैसे इंसान की आवश्यक्ता नहीं हैं। प्रभात तुम कलयुग में रह रहे हो इस युग को पहचानो यहाँ तुम जितना बड़ा झूठ वोल सकते हो बोलो। जितना घोखा दें सकते हो दो दिमाक का इस्तेमाल करो दिल का नहीं अपने दोस्तो और साथियो के साथ जितनी गद्दारी कर सकते हो करो तुम.तभी एक सफल नेताऔरजनादेश पा सकते हो।अगर ऐसा नहीं कर सकते होतो इस मान्यता समिति के चुनाव से हमेशा के लिये हट जाओ।
आज सुबह से शाम तक मैने अंतर आत्मा से पूछा मै आठ चुनाव क्यो हार गया तो उसमे से आवाज आई प्रभात तुम दिल से बात करते हो दिमाग से नहीं।तुम छ्ल कपट से दूर रहते हो तुम्हारे साथ गद्दारी हमेशा होती हैं क्योकि तुम ईमानदारी की बात करते हो भ्रष्टाचार की नहीं। लोगों को लगता है कि तुम अगर अध्यक्ष पद पर जीतोगे तो सबकी दुकाने बंद हो जायेगी इसलिये तुम्हे कोई जितायेगा नही यही मुख्य कारण है तुम्हारी लगातार पराजय का।
साथियो इन्ही सभी सवालो के बाद मैने फैसला लिया प्रभात अब हट जाओ हमेशा के लिये इस गंदी राजनीति से बचे कुचे जिंदगी के दिन कहीं और खपाओ।
मैने अपने जीवन के तीन दशक खपा दिये इस खराब दोहरे मापदंड वाली सस्था के लिये जिसमे अब संड़ाध ही नजर आती है।व्यवस्था नहीं बदलेगी फिर वही पुरानी तस्वीर दोहराई जाती रहेगी जो पिछले डेढ़ दशक से चल रही है। अब नई समितिफिर 1 सितम्बर 2026 के बाद आनी है उस समय तक अगर में जिंदा रहा तो फिर वही मुझे न करना पड़े जो अक्सर करना पड़ता था। यह सभी सवालो के साथ आप सभी का आभार और स्वागत।आपके समर्थन का स्वागत और जिन्होने प्रभात की बातो को स्वीकार नहीं किया उनका भी स्वागत।

आपका भाई

प्रभात त्रिपाठी।

Loading...
loading...

Related Articles

Back to top button