माफिया डॉन मुख्तार अन्सारी के बेहद करीबी ओ पी श्रीवास्तव को भाजपा से टिकट, कुछ तो मजबूरियां रहीं होंगी ………….
आशुतोष टंडन के निधन के बाद अटकलें उठीं कि बीजेपी लालजी टंडन के बेटे अमित टंडन को उम्मीदवार बना सकती है. इसके बजाय, पार्टी ने कभी सपा के कद्दावर नेता रहे आज़म खान और माफिया डॉन मुख्तार अन्सारी के बेहद करीबी रहे ओपी श्रीवास्तव को चुना, इस प्रकार इस निर्वाचन क्षेत्र में टंडन परिवार के तीन दशक लंबे शासन का समापन हुआ।
मुख्य बात यह है कि भ्रष्टाचार के प्रति मुख्यमंत्री योगी की जीरो टॉलरेन्स की नीति के बावजूद टंडन परिवार को दरकिनार कर माफिया डान मुख़्तार अंसारी के काले धन को उत्तर प्रदेश जल निगम की कार्यदायी संस्था सी.एण्ड डी.एस. के ठेके के माध्यम से सफ़ेद करने वाले ओ.पी. श्रीवास्तव को टिकट देने का क्या कारण हो सकता है।
अखिलेश सरकार जाने के बाद ओ.पी. श्रीवास्तव भाजपा सांसद राजनाथ सिंह के कनिष्ठ सुपुत्र नीरज के हो गए हैं बेहद खास
लखनऊ पूर्व विधानसभा क्षेत्र राज्य में सत्तारूढ़ भाजपा के लिए एक और लड़ाई पेश कर रहा है। निर्वाचन क्षेत्र में लालजी टंडन परिवार की 32 साल की राजनीतिक विरासत से हटते हुए, भाजपा ने आजम खान और माफिया मुख्तार के सहयोगी ओपी श्रीवास्तव को उपचुनाव के लिए अपना उम्मीदवार बनाया है। इस बीच, समाजवादी पार्टी के समर्थन से कांग्रेस ने तीन बार के पूर्व पार्षद मुकेश सिंह चौहान को अपना दावेदार चुना है।
आशुतोष टंडन के निधन के बाद अटकलें उठीं कि बीजेपी लालजी टंडन के बेटे अमित टंडन को उम्मीदवार बना सकती है. इसके बजाय, पार्टी ने कभी सपा के कद्दावर नेता रहे आज़म खान और माफिया डॉन मुख्तार अन्सारी के बेहद करीबी रहे ओपी श्रीवास्तव को चुना, इस प्रकार इस निर्वाचन क्षेत्र में टंडन परिवार के तीन दशक लंबे शासन का समापन हुआ।
लखनऊ में कायस्थ समुदाय के प्रतिनिधि की अनुपस्थिति के कारण रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने श्रीवास्तव की उम्मीदवारी को हरी झंडी दे दी। श्रीवास्तव की कायस्थ पृष्ठभूमि, दयाशंकर सिंह के समर्थन के साथ मिलकर, टंडन परिवार को किनारे कर, उनके पक्ष में झुक गई।
ऐतिहासिक रूप से, कांग्रेस ने 1951 में लखनऊ पूर्व में विधायक सीट हासिल की, जिसमें चंद्रभानु गुप्ता विजयी हुए। हालाँकि, 1951 से 1991 तक कांग्रेस सहित विभिन्न दलों के विधायकों का बोलबाला रहा। 1991 में भाजपा ने यह सिलसिला तोड़ा जब भगवती प्रसाद शुक्ल विधानसभा चुनाव जीते। तब से लेकर अब तक बीजेपी ने इस सीट पर अपना गढ़ बरकरार रखा है. 2022 के चुनाव में आशुतोष टंडन ने लगातार तीसरी बार जीत हासिल की। उनके निधन के बाद उपचुनाव आवश्यक हो गया है।
दूसरी ओर, कांग्रेस ने समाजवादी पार्टी के समर्थन पर भरोसा करते हुए मुकेश सिंह चौहान को अपना उम्मीदवार बनाया है, जिसने अभी तक लखनऊ पूर्व सीट के लिए अपने उम्मीदवार की घोषणा नहीं की है।
तीन बार के पार्षद चौहान ने भी भाजपा के लो-प्रोफाइल उम्मीदवार और सत्ता विरोधी भावना का फायदा उठाते हुए जीत हासिल करने की आशा व्यक्त की। उन्होंने निर्वाचन क्षेत्र में सड़क, सीवेज और यातायात जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों की उपेक्षा के लिए भी भाजपा विधायक की आलोचना की।
चौहान ने भाजपा उम्मीदवार के पक्ष में किसी भी सहानुभूति कारक को खारिज कर दिया, स्थानीय समर्थन में अपना विश्वास जताया और पड़ोसी निर्वाचन क्षेत्रों में राहुल और प्रियंका गांधी सहित शीर्ष नेताओं के आगामी अभियान प्रयासों पर प्रकाश डाला।
मुख्य बात यह है कि टंडन परिवार को दरकिनार कर माफिया डान मुख़्तार अंसारी के काले धन को उत्तर प्रदेश जल निगम की कार्यदायी संस्था सी.एण्ड डी.एस. के ठेके के माध्यम से सफ़ेद करने वाले ओ.पी. श्रीवास्तव को टिकट देने का क्या कारण हो सकता है।
भ्रष्टाचार के प्रति मुख्यमंत्री योगी की जीरो टॉलरेन्स की नीति भी रहती है उस पर कार्यवाही भी सुनिश्चित रहती है। लोकसभा चुनाव के साथ ही साथ निर्वाचन आयोग ने उत्तर प्रदेश की विधानसभा में विधायक के निधन से रिक्त सीट पर भी विधानसभा उप चुनाव कराने का निर्णय लिया है।
भाजपा सूत्रों के अनुसार मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ स्व. आशुतोष टण्डन के कनिष्ठ भ्राता अमित टण्डन को विधानसभा के उपचुनाव में भाजपा का टिकट दिलाना चाहते थे क्योंकि स्व.लालजी टण्डन का उत्तर प्रदेश की राजनीति में भाजपा को मजबूत करने में महत्वपूर्ण योगदान रहा है तथा बहन मायावती की बसपा के साथ उनके अथक प्रयास से ही उत्तर प्रदेश में भाजपा की सरकार बनी। स्व.लालजी टण्डन 2009 से 2014 तक लखनऊ लोकसभा से लोकप्रिय सांसद भी रहे। उनके कार्यकाल में लखनऊ की जनता ने विकास के नये आयाम देखे। उनके लखनऊ के विकास के योगदान को जनता कभी नहीं भूल सकती है।
वहीं पूर्वी से विधायक रहे उनके सुपुत्र स्व.आशुतोष टण्डन सन् 2014 में पूर्व विधानसभा के उपचुनाव में विजयी रहे इसके बाद 2017 के विधानसभा चुनाव में भी वह विजयी रहे और कैबिनेट मंत्री मी बने और 2022 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने पूर्वी विधानसभा से विजयश्री हासिल की। स्व.आशुतोष टण्डन की कोई भी सन्तान राजनीति में सक्रिय नहीं थी इसलिए उनके कनिष्ठ भ्राता अमित टण्डन को विधानसभा उपचुनाव के टिकट के साथ स्व.लालजी टण्डन के परिवार की विरासत मिलने की उम्मीद जताई जा रहीं थीं।
स्व. लालजी टण्डन के निधन के पश्चात् पुराने लखनऊ की सुधि लेने वाला कोई नहीं रहा। भाजपा सूत्रों के अनुसार वर्तमान सांसद व रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह टण्डन परिवार से पुरानी अदावत के कारण पुराने लखनऊ का न ही दौरा करते हैं और न ही सुधि लेते हैं। भाजपा सूत्रों के अनुसार पूर्वी विधानसमा के होने वाले उपचुनाव के लिये भाजपा ने इस बार सपा सरकार में पूर्व नगर विकास मंत्री आजम खां व माफिया डॉन मुख्तार अन्सारी के अभिन्न सहयोगी ओम प्रकाश श्रीवास्तव को भाजपा का टिकट दिया है जिससे भाजपा महानगर का कार्यकर्ता व पूर्वी विधानसभा का छोटे से बड़ा कार्यकर्ता आक्रोशित व उद्वेलित है।
भाजपा सूत्रों के अनुसार ओ. पी. श्रीवास्तव माफिया डॉन मुख्तार अन्सारी की विधायक निधि के ठेके उत्तर प्रदेश जल निगम की कार्यदायी संस्था सी.एण्ड डी.एस. के माध्यम से लेता था और दबंगई के बल पर उन ठेकों को लेता था और आधा-अध् कार्य कराकर पूरा भुगतान प्राप्त कर लेता था। माफिया डॉन मुख्तार अन्सारी से सांठ-गांठ होने के कारण तथा आजम खां का वरहद हस्त होने के कारण ओ.पी. श्रीवास्तव ने अकूत धन अवैध तरीके से अर्जित किया जिसकी निष्पक्ष जांच करा ली जाय तो दूध का दूध पानी का पानी हो जायेगा।
2017 में अखिलेश यादव की सरकार जाने के बाद ओ.पी. श्रीवास्तव ने लखनऊ भाजपा सांसद राजनाथ सिंह के कनिष्ठ सुपुत्र भाजपा नेता नीरज सिंह का दामन थामा और नीरज सिंह ने उसके अन्य सहयोगियों को भी ओ.पी. श्रीवास्तव के साथ भाजपा में शामिल करा दिया। भाजपा सूत्रों के अनुसार नीरज सिंह का विशेष योगदान ओ.पी. श्रीवास्तव को शामिल कराने में रहा। सूत्रों के अनुसार बताया जाता है कि भाजपा नेता नीरज सिंह ने ओ.पी.श्रीवास्तव को भाजपा पूर्वी विधानसभा का टिकट दिलाने में अहम् भूमिका निभाई है और चर्चाओं के अनुसार इसके एवज में ओ.पी. श्रीवास्तव से 04 करोड़ रूपये की मोटी रकम भी प्राप्त की है।
भाजपा सूत्रों के अनुसार जबकि भाजपा नेता नीरज सिंह उ. प्र.भाजपा के अध्यक्ष भूपेन्द्र चौधरी हो या संगठन मंत्री धर्मपाल सिंह सैनी उन सभी की उपेक्षा के साथ ठेगे पर रखता है क्योंकि वह पूर्व मुख्यमंत्री व रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह का कनिष्ठ सुपुत्र है। बताया जाता है कि अभी विगत दिनों प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के विकसित भारत अभियान में फर्जी तरीके से आंकड़ों की बाजीगरी करके द्वितीय स्थान प्राप्त किया व भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री सुनील बंसल से पुरस्कृत भी हुआ। जबकि 2022 के विधानसभा चुनाव में नीरज सिंह की निष्क्रियता के चलते लखनऊ लोकसभा के अन्तर्गत आने वाली मध्य व पश्चिमी विधानसभा सीट भाजपा प्रत्याशी बहुत कम अन्तर से हार गये। उनके प्रचार में स्वयं राजनाथ सिंह लखनऊ सांसद भी गायब रहे। इस बात की कार्यकर्ताओं में जबरदस्त चर्चा रही।
ओ.पी. श्रीवास्तव को टिकट मिलने से भाजपा कार्यकर्ता बहुत ही निराश है और आक्रोशित है, सूत्रों के अनुसार सांसद राजनाथ सिंह के ज्येष्ठ सुपुत्र पंकज सिंह विधायक 2014 में गृह मंत्रालय में सी.पी. कैमरा लगाने के टेन्डर के एवज में 100 करोड़ की मोटी रकम ले चुके थे जिसे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के संज्ञान में आने के बाद उनके निर्देश पर उसे वापस करना पड़ा था, जिससे सांसद राजनाथ की भारी किरकिरी हुई थीं। चूंकि विधायक पंकज सिंह सांसद व रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के ज्येष्ठ सुपुत्र हैं इसलिये 2017 और 2022 के विधानसभा चुनाव में उनका टिकट नहीं काटा गया लेकिन उसका खामियाजा यह भुगतना पड़ा कि विधायक पंकज सिंह 2017 व 2022 में योगी मंत्री मंडल से बाहर रहे। जबकि योगी आदित्यनाथ भ्रष्टाचार के प्रति जीरो टॉलरेन्स की नीति का कड़ाई से अनुपालन कराते हैं. इसके बावजूद भाजपा नेता नीरज सिंह नसीहत न लेते हुए भ्रष्टाचार कर रहे हैं, जिसको लेकर भाजपा कार्यकर्ताओं में चर्चाओं का बाजार गर्म है।