हाफिज से मिलकर बुरे फंसे वैदिक जी

vaidikडॉ वेदप्रताप वैदिक हिन्दी पत्रकारिता में कोई छोटा मोटा नाम नहीं है। किसी दौर में वे हिन्दी की सबसे बड़ी समाचार एजंसी भाषा के संपादक होते थे। इसके अलावा अखबारों और पत्रिकाओं का संपादन किया है। हिन्दी के प्रति उनका विशेष अनुराग है इसलिए राष्ट्रभाषा में पीएचडी करनेवाले वैदिक जी ने जेएनयू तक को चुनौती दे डाली थी। क्योंकि उन्होंने अपनी पीएचडी भारत की विदेश नीति पर की थी इसलिए विदेशी नीति और नेताओं से मिलना मिलाना उनका प्रिय विषय रहता है। वह भी खासकर पाकिस्तान के नेताओंं से। किसी जमाने में बेगम साहिबा बेनजीर भुट्टो रही हों कि आज के नवाज शरीफ वे दोनोंं को साधकर मिलते जुलते रहे हैं। मेल मुलाकात के बाद वे खुद अपनी तस्वीर मीडिया को उपलब्ध भी कराते रहे हैं कि अपने स्तर पर वे कैसे भारत पाकिस्तान को करीब लाने की कोशिश कर रहे हैं। लेकिन करीब लाने की कोशिश में इस बार वे एक ऐसे आदमी के करीब पहुंच गये जो भारत के लिए आतंकवादियों का सरगना है।

हाल की अपनी पाकिस्तान यात्रा के दौरान वैदिक जी लाहौर के मुदिरके पहुंच गये। वही मुदिरके जो हाफिज सईद का घर और दफ्तर है। वही हाफिज सईद जो भारत में आतंकवादी गतिविधियों का अक्सर मास्टरमाइंड होता है और जिसके सिर पर मुंबई में हमला करवाने का संगीन आरोप है। लेकिन वैदिक जी सख्त सुरक्षा व्यवस्था में मुदिरके हो आये। हाफिज सईद से मिले। बातचीत की। और लौटकर भारत आये तो खुद ही पत्रकारों को संपर्क करके यह सूचना और फोटो सार्वजनिक करनी शुरू कर दी कि देखो, वे हाफिज सईद से मिलकर आ रहे हैं। जिन पत्रकारों को उन्होंने यह बात बताई उनमें से एक, आदित्यराज कौल ने वह फोटो ट्विटर पर शेयर कर दी यह कहते हुए कि हाफिज सईद से मिलकर उन्होंने अच्छा महसूस किया। (ही सेज दैट ही फेल्ट गुड)।

सोशल मीडिया के बाहर बात फैली तो मुख्यधारा की मीडिया ने खबर बना दिया। समाचार चैनलों ने हाफिज से मेल मुलाकात का विवरण लेना शुरू कर दिया। हालांकि अब वैदिक जी उतना खुलकर नहीं बोल रहे थे जितना पत्रकारों से निजी बातचीत में कहकहा लगा रहे थे लेकिन फिर भी उन्होंने टीवी चैनलों पर भी विवरण देने में कोई कोताही नहीं की। थोड़ी कतर व्यौंत के साथ ही लेकिन उन्होंंने कमोबेश हर वो बात बताई जो उनके और हाफिज सईद के बीच हुई थी। इसके बाद तो मानो सामाजिक मीडिया पर आफत ही आ गई। हर खाओ आम ने उनके ऊपर सवाल उठाने शुरू कर दिये। हो सकता है वैदिक जी ने सोचा हो कि उनकी बहादुरी और दिलेरी की तारीफ की जाएगी लेकिन मामला उल्टा पड़ गया। सामाजिक मीडिया से लेकर संसद तक वैदिक जी विरोध की जद में आ गये।

कुछ वरिष्ठ पत्रकारों ने भी उनकी इस मुलाकात पर सवाल उठाये हैं तो संसद में कांग्रेस ने जमकर हंगामा किया है। इस हल्ले और हंगामे के बीच राज्यसभा में कांग्रेस के नेता आनंद शर्मा ने जो सवाल उठाया है वह पूरी तरह से दरकिनार नहीं किया जा सकता। डॉ शर्मा ने इस मुलाकात के लिए सरकार को भी सवालों के घेरे में लेते हुए पूछा कि हाफिज सईद से कोई भारतीय मिलने चला गया और पाकिस्तान में भारतीय दूतावास को इसकी खबर तक न हो, यह कैसे हो सकता है? हालांकि वित्त मंत्री अरुण जेटली ने अपनी सफाई में कहा है कि यह उनकी अपनी व्यक्तिगत मुलाकात होगी, इस मुलाकात का सरकार से कोई मतलब नहीं है। लेकिन डॉ शर्मा का सवाल तब भी अनुत्तरित ही रह जाता है कि क्या भारतीय उच्चायुक्त के अधिकारियों को इस बारे में कोई खबर थी या नहीं?

जैसे ही भारत में वैदिक की मुलाकात पर हंगामा हुआ हाफिज सईद ने ट्विटर पर मोर्चा संभाल लिया। मानों उसे कोई ऐसा मौका मिल गया जिसके जरिए एक बार फिर वह भारत पर हमला कर सकता था। और उसने इस बार शब्दों से हमला करते हुए कहा कि एक सेकुलर देश का यह रवैया देखकर उसे आश्चर्य हो रहा है डॉ वैदिक के मिलने पर वह इस तरह से बौखला गया है। निश्चित रूप से हाफिज सईद भारत को नीचा दिखाने की कोशिश कर रहा है, जो वह हमेशा करता ही रहता है, लेकिन इस बार यह मौका उन वैदिक ने दे दिया है जो अपने आपको पाकिस्तान का बहुत जानकार कहते हैं।

जहां तक खुद वैदिक जी का सवाल है, उनकी यह मुलाकात एक पत्रकार के बतौर तो शायद नहीं ही हुई थी। अगर हुई होती तो लौटकर आने के बाद वे हाफिज सईद के साथ अपनी फोटो प्रकाशित करवाने की कोशिश नहीं करते बल्कि जो बातचीत या इंटरव्यू हुआ उसके आधार पर कहीं कुछ लिखते। लेकिन जिस तरह से लौटकर आने के बाद उन्होंने मुलाकात को खबर बनवाने की कोशिश की उससे यही लगता है कि इस बार मेल मुलाकात की उनकी आतुरता उन्हें भारी पड़ गई। नाम तो हुआ लेकिन बदनामी ज्यादा हो गई। फिर बाबा रामदेव का यह कहना कि वैदिक जी राष्ट्रवादी व्यक्ति हैं, इसलिए जरूर उन्होंने हाफिज सईद का हृदय परिवर्तन करने की कोशिश की होगी, डॉ वैदिक के जले पर नमक ही छिड़केगा।

Loading...
loading...

Related Articles

Back to top button