इसीलिये मैं डॉ वैदिक का प्रशंसक हूँ
प्राचीन छात्र हैं. अफगानिस्तान की राजनीति के बारे में उनकी थीसिस थी. हिंदी में अपना शोधप्रबंध लिख कर डॉ वैदिक ने सत्तर की शुरुआत में बड़ा नाम कमाया था. मैं उनका प्रशंसक हूँ. डॉ साहेब की खासियत यह है कि हर सत्ताधीश के हिसाब से एडजस्ट कर लेते हैं. मुलायम सिंह यादव जब पहली बार मुख्यमंत्री थे तो गाज़ियाबाद जिले जहां आजकल कौशाम्बी है, वहीं मुलायम सिंह यादव के किसी चेले ने सरकारी ज़मीन क़ब्ज़ा करने के उद्देश्य से कृष्ण जन्माष्टमी का राजनीतिक कार्यक्रम किया था. मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव वहां आये थे. अपने डॉ साहेब ने वहां भाषण किया और मुलायम सिंह यादव को भगवान् कृष्ण का अवतार बताया, खूब तालियाँ बजीं.
वहां से डाक्टर साहेब सीधे दक्षिण दिल्ली में बीजेपी द्वारा आयोजित कृष्ण जन्माष्टमी कार्यक्रम में पंहुचे और वहां लाल कृष्ण आडवानी को कृष्ण का अवतार बताया और अगले कार्यक्रम की और बढ़ गए. मैंने इन दोनों कार्यक्रमों में डॉ वैदिक का दर्शन किया था. उसके बाद से ही मैं इनका प्रशंसक हो गया जो आजतक बना हुआ हूँ.
बाद में डॉ वैदिक पीवी नरसिंह राव के ख़ास हुए थे, अटल जी इनको बहुत मानते हैं. बाबा रामदेव से इनका सम्बन्ध जगजाहिर है. रामदेव जी ने सारी राजनीति डॉ वैदिक से ही सीखी है. बाद में रामदेव का जलवा ढीला पड़ा तो डॉ वैदिक ने इस साल के सैफई महोत्सव के उदघाटन समारोह में मुख्यवक्ता के रूप में शिरकत की. पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ इनके ख़ास मित्र हैं. मारीशस में कोई भी सरकार बने, सरकार के मुखिया को डॉ वैदिक की भक्ति करना ज़रूरी फ़र्ज़ माना जाता है. एक बार वहां पाल विरान्जे प्रधानमंत्री बन गया था, डॉ वैदिक ने उसको अशिष्टता के अपराध का दोषी पाया और बहुत हड़काया. संक्षेप में यह कहा जा सकता है कि पूरी दुनिया में सत्ता के शीर्ष पर विराजमान ऐसे बहुत सारे लोग हैं जो डॉ वैदिक के मित्र हैं. शासक आम तौर पर डॉ वैदिक का मित्र बन जाता है. इसीलिये मैं डॉ वेद प्रताप वैदिक का प्रशंसक हूँ.
आज डाकटर साहेब ने यह जो हाफ़िज़ सईद वाला प्रोग्राम किया है उसके बाद तो प्रधानमंत्री को बिना कोई समय बर्बाद किये उनको भारत-पाक दोस्ती का काम संभलवा देना चाहिये . उसके बाद देखिये किस तरह की शान्ति की हवा दोनों देशों के बीच बहती है क्योंकि मैं डॉ वैदिक का प्रशंसक हूँ. (शेषनारायण सिंह के फेसबुक पेज से)