एक-एक करके जनसंदेश टाइम्स लखनऊ को अलविदा कह रहे कर्मचारी

 

लखनऊ जनसंदेश टाइम्स में इस समय कोहराम मचा हुआ है। सैलरी को लेकर संपादकीय कर्मचारियों में जबरदस्त रोष व्याप्त है और यह कर्मचारी मैनेजमेंट द्वारा बात न सुनने पर एक-एक करके संस्थान को टाटा बाई-बाई करते जा रहे हैं। जनरल डेस्क पर श्यामल कुमार त्रिपाठी के संस्थान छोडऩे के बाद डाक पर कार्यरत एक कर्मचारी सुधीर श्रीवास्तव को खेल पेज का जिम्मा दिया गया। यह जिम्मेदारी सुधीर श्रीवास्तव को निभाना बड़ा भारी पड़ रहा था। बावजूद इसके वह जैसे-तैसे इसे पूरा कर रहे थे, लेकिन समय पर सैलरी न मिलने की समस्या से नाराज होकर सुधीर श्रीवास्तव ने संस्थान छोड़ दिया। वहीं जनरल डेस्क पर ही कार्यरत धर्मेश अवस्थी ने भी जनसंदेश टाइम्स को बाई-बाई कहते हुए दैनिक जागरण इलाहाबाद ज्वाइन कर लिया। जनरल डेस्क पर ही प्रथम पृष्ठï की जिम्मेदारी देखने वाले कमल वर्मा, डाक डेस्क पर कार्यरत कमलेश कुमार ने भी संस्थान को छोड़ दिया है। संस्थान कर्मचारियों को भारी किल्लत से अभी गुजर ही रहा था तभी फीचर डेस्क पर कार्यरत दो महिला कर्मचारियों शिवानी श्रीवास्तव और नेहा शुक्ला ने नौकरी छोडऩे का अल्टीमेटम दे दिया। इन दोनों ने ही लिखित तौर पर प्रधान संपादक सुभाष राय को अवगत करा दिया है कि वह 31 जुलाई को संस्थान छोड़ देंगे। इतना ही नहीं डाक डेस्क पर कार्यरत शिखा शुक्ला ने भी प्रधान संपादक को लिखित में यह सूचना दे दी कि वह भी 31 जुलाई को संस्थान को अलविदा कह देंगे। जनसंदेश टाइम्स में भगदड़ की स्थिति बनी हुई है। इसका कारण सिर्फ सैलरी की अनियमितता नहीं है बल्कि संस्थान के मैनेजमेंट और प्रधान संपादक सुभाष राय के द्वारा कर्मचारियों पर बेइंतहा उत्पीडऩ का नतीजा है। संस्थान में कर्मचारियों की कमी का नतीजा है कि एक उप संपादक को कम से कम चार-चार पेजों पर ध्यान देना पड़ रहा है जिसके चलते अखबार में तमाम गड़बडिय़ां भी जा रही हैं जिसके चलते न प्रधान संपादक को कोई लेना-देना है न ही जीएम विनीत मौर्या को। ताजा खबर के अनुसार सिटी डेस्क पर कार्यरत जावेद मुस्तफा भी संस्थान को छोड़ रहे हैं और संभवत: लखनऊ हिन्दुस्तान में स्ट्रिंगर के पद पर ज्वाइन करने जा रहे हैं। समझने वाली बात है कि जनसंदेश टाइम्स लखनऊ में ये सारे कर्मचारी इतने प्रताडि़त हुए हैं कि वह अब दूसरे संस्थानों में छोटे पदों पर कार्य करने को तैयार हो गए हैं। भड़ास फॉर जर्नलिस्ट ने पहले ही जनसंदेश के मैनेजमेंट की काली करतूतों को लोगों के सामने लाने का काम किया है। भड़ास फॉर जर्नलिस्ट ने जो भी खबर अब तक जनसंदेश  के बारे में लिखी है वह सब सत्य होती जा रही हैं।

इतना ही नहीं कई पुराने कर्मचारी जो संस्थान में वरिष्ठï पदों पर कार्यरत थे वह अब जीएम विनीत मौर्या के खिलाफ एफआईआर कराने की सोच रहे हैं क्योंकि संस्थान ने पीएफ के नाम पर इन सारे पुराने कर्मचारियों की सैलरी से पैसे काटे जो अब तक पीएफ अकाउंट में नहीं जमा हुए हैं। लगभग सभी कर्मचारियों के साठ हजार रुपए से ऊपर के ही पीएफ के पैसे बकाया हैं। जिसे जीएम विनीत मौर्या दबाए बैठे हैं। इतना तो तय है कि अब विनीत मौर्या के खिलाफ एफआईआर होगा और संभवत: पीएफ डिपार्टमेंट के खिलाफ भी शिकायत की जाएगी जिस कारण जीएम विनीत मौर्या का जेल जाना लगभग तय है। ये सारे पुराने कर्मचारी अब लामबंद हो रहे हैं और जीएम विनीत मौर्या के खिलाफ अपने पीएफ के पैसे को लेकर एक निर्णायक युद्ध छेडऩे की तैयारी में लग गए हैं।

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