फर्जी मान्यता प्राप्त पत्रकार बने लोकसभा चुनाव में भाजपा के पतन का मुख्य कारण
समाजवादी सरकार में जिस तरह मान्यताओं का फर्जीवाड़ा का एक बड़ा दौर सूचना एवं जनसंपर्क विभाग में देखने को मिला उनका दबदबा आज भी विभाग में बना हुआ है और अपने उसी दम खम के चलते अनेक तथाकथित व्यक्तियों को फर्जी मान्यता दिला कर सत्ताधारी नेताओं की आंखों पर।काला चश्मा लगाने की साजिश में।समाजवादी चोलादारी मान्यता प्राप्त संपादक दल अपने मंसूबे में।कामयाब रहा है।
समाजवादी समाचार दलों की बैठक में सूचना निदेशक शिशिर सिंह को ठिकाने लगाने को बात पर मंथन जारी है
लोकसभा चुनाव 2024 के परिणामों में मुख्य रूप से उत्तर प्रदेश में भाजपा को भारी नुकसान उठाना पड़ा है और इसका मुख्य कारण कही न कही मुख्यमंत्री योगी द्वारा किए गए सराहनीय कार्य एवं प्रधानमंत्री मोदी द्वारा देशहित में लिए गए महत्वपूर्ण निर्णयों का प्रचार-प्रसार आम जनमानस तक नही पहुंच पाया है।
समाजवादी सरकार में जिस तरह मान्यताओं का फर्जीवाड़ा का एक बड़ा दौर सूचना एवं जनसंपर्क विभाग में देखने को मिला उनका दबदबा आज भी विभाग में बना हुआ है और अपने उसी दम खम के चलते अनेक तथाकथित व्यक्तियों को फर्जी मान्यता दिला कर सत्ताधारी नेताओं की आंखों पर।काला चश्मा लगाने की साजिश में।समाजवादी चोलादारी मान्यता प्राप्त संपादक दल अपने मंसूबे में।कामयाब रहा है।
करोड़ो रूपये की सरकारी धनराशि को पानी की तरह सूचना एवं जनसंपर्क विभाग द्वारा ऐसे न्यूज़ चैनलों के नाम पर लुटाया गया है जिनका प्रसारण का क्षेत्र उत्तर प्रदेश में ही नही है एवं उन समाचार पत्र पत्रिकाओं को सरकार द्वरा किये जा रहे हितकारी कार्यों के विज्ञापन हेतु चुना गया जिनका प्रकाशन और प्रसारण ही नही किया जाता है तो लोकसभा चुनाव में भारी नुकसान होना स्वाभाविक है लेकिन सूचना निदेशक की दिन रात की मेहनत पर पलीता लगाते समाजावादी चड्डिधारी स्वयंभू पत्रकार अपनी चापलूसी और शायरी की दुकान इस तरह सजाए है कि सही ग़लत की पहचान मुश्किल थी लेकिन लोकसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद इन चापलूसों का भेद सूचना निदेशक महोदय के सामने खुल गया है और अब कार्यवाही का इंतज़ार है वहीं समाजवादी समाचार दलों की बैठक में सूचना निदेशक को ठिकाने लगाने को बात पर मंथन जारी है। सूचना निदेशक द्वारा ऐसे ऐसे समाचार पत्र के संपादकों को राज्य मुख्यालय मान्यता दी गयी है जो नियमो और मानकों के अनुरूप नही है, वहीं अनेक आपराधिक प्रवृत्ति के लोगों को भी राज्य मुख्यालय मान्यता का दर्जा दिए जाने से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सुरक्षा में सेंध लग चुकी है।
पत्रकारो को मान्यता दिए जाने वाली नियमावली में किसी भी संपादक को मान्यता दिए जाने का प्रावधान नही है फिर भी ऐसे समाजवादी तथाकथित संपादकों ने फ़र्जी दस्तवेज़ों के आधार पर राज्य मुख्यालय की।मान्यता प्राप्त की गई है जिनका संज्ञान लेकर न सिर्फ त्तकाल प्रभाव से मान्यता निरस्त की जानी चाहिए वरन क़ानूनी कार्यवाही भी की जानी होगी जिससे पात्रकारित के सर्वोच्च स्तर को दूषित और कलंकित होने से बचाया जा सके।
खिलाड़ी त्रिपाठी जो तिजारत और निष्पक्ष दिव्य संदेश हिंदी समाचार पत्र के समाचार संपादक के रूप में नाम दर्शाता है उसकी राज्य मुख्यालय की। मान्यता नियम के विपरीत करते हुए लाखों के विज्ञापन दिया जाना गंभीर वित्तीय अनियंमित्ताओं का अपराध है। दोनों समाचार पत्र को एक ही एजेंसी और एक ही आर ओ के।माध्यम से तीन तीन पृष्ठ विज्ञापन एक ही दिनांक में।दिया जाना जहां सरकारी धनराशि का दुरुपयोग है वहीं योगी सरकार की उपलब्धियों को आम जनमानस तक न पहुँचने का षड्यंत्र भी है जिसके चलते भजपा सरकार को लोकसभा चुनाव में भारी नुकसान देखने को मिला है।
लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद सूचना निदेशक की आंखों से शायरी कीमहफ़िल सजाते तथाकथित पत्रकार द्वारा आंखों पर बांधी चापलूसी की पट्टी खुलती है या बंध रहती है ये आने वाला समय बताएगा लेकिन योगी सरकार को नियम विरुद्ध दी गयी मान्यताओं पर तत्काल कार्यवही किया जाना पत्रकारिता को कलंक से बचाने हेतु अत्यंत आवश्यक है।