24×7 प्रो-ऐक्टिव मोड में रहते हैं यूपी के सूचना निदेशक शिशिर सिंह, काश दस परसेंट ब्यूरोक्रेट भी ऐसे हो पाते!

ऐसे दौर में जब मीडिया हाउसेज़ बिज़नेस के लिए सरकारों के आगे नतमस्तक होते हैं, महान संपादक लोग बिज़नेस प्लान लेकर सूचना निदेशकों से याचक की मुद्रा में मिलते हैं, ये सूचना निदेशक का पद बहुत पावरफुल हो चुका है। ये दरअसल सीएम के मूड को परिलक्षित करने वाला बैरोमीटर विभाग है। सूचना विभाग नाराज तो समझो मीडिया हाउस से सीएम नाराज़! इसलिए सूचना निदेशक आज के दौर में मिनी सीएम से कम नहीं होते! बहुत पावरफुल पद हो चुका है सूचना निदेशक का। बावजूद इसके शिशिर इतने सहज और त्वरित हैं तो एक तारीफ़ होनी बनती है।

‘योगी रत्न’ के रूप में मशहूर यूपी के सूचना निदेशक शिशिर जी से मिलने का उपक्रम हुआ। एक खबर के लिए उनसे कुछ जानकारी चाहिए था उन्होंने तत्काल अपने विभाग के अधिकारियों उस खबर के बारे सारी जानकारी मुहैया कराने को कहा और देखते ही देखते उस खबर की पूरी फाइल मेरे सामने थी। सूचना निदेशक शिशिर जी की कार्यशैली और बात कराने का तरीका गजब करिश्माई है।

शिशिर जी ने फ़ौरन जिस तेजी से इस मामले को संबंधित विभागों के उच्चाधिकारियों को भेजा और फिर नेक्स्ट डे फॉलोअप किया, फिर खुद फोन करके फीडबैक दिया। उत्तर प्रदेश सिर्फ दस परसेंट भी बड़े अधिकारी सूचना निदेशक शिशिर जी की कार्यशैली को अपना लें तो उत्तर प्रदेश उत्तम प्रदेश बन जायेगा।

मिलने वाला कोई एप्लीकेशन लेकर आता तो उससे ख़ुद ही माँग कर पढ़ने के बाद आर-पार का निर्णय कलम से दर्ज करते हुए कागज अधीनस्थ को सौंप समुचित निर्देश दे देते!

नौकरशाह मतलब फाइल अटकाने वाला, रोकने वाला, पब्लिक को परेशान करने वाला। परसेप्शन यही है। यही सुनता देखता आया हूँ। पर यहाँ तो मामला उल्टा है। इन्हें देख कर लगता है ऐसे ही कुछ लोग रीढ़ होते हैं किसी शासन व्यवस्था की। ये लोड लेते हैं, pain लेते हैं। 24×7 प्रो-ऐक्टिव मोड में रहते हैं।

अपने विभाग के साथ साथ दूसरे विभागों की शिकायतों को हैंडल करते। शिशिर ख़ुद तो फटाफट काम करते ही हैं, अपने विभाग वालों को भी दौड़ाए रहते हैं। अटकाने भटकाने वाली लालफ़ीताशाही (रेड टेपिज्म) की परंपरागत नीति को इन्होंने उलट दिया है।

कुछ ऐसा ही स्पार्क नवनीत सहगल जी में हुआ करता था। सहगल साहब रिटायर हो गए लेकिन उनकी स्टाइल-तेवर शिशिर जी के रूप में अब भी ज़िंदा है। लोग बताते हैं कि कभी सहगल साहब की टीम के प्रमुख सदस्य शिशिर जी हुआ करते थे, उनकी ही ट्रेनिंग है, इसीलिए उसी स्टाइल के साथ अब ख़ुद टीम लीडर हैं!

ऐसे दौर में जब मीडिया हाउसेज़ बिज़नेस के लिए सरकारों के आगे नतमस्तक होते हैं, महान संपादक लोग बिज़नेस प्लान लेकर सूचना निदेशकों से याचक की मुद्रा में मिलते हैं, ये सूचना निदेशक का पद बहुत पावरफुल हो चुका है। ये दरअसल सीएम के मूड को परिलक्षित करने वाला बैरोमीटर विभाग है। सूचना विभाग नाराज तो समझो मीडिया हाउस से सीएम नाराज़! इसलिए सूचना निदेशक आज के दौर में मिनी सीएम से कम नहीं होते! बहुत पावरफुल पद हो चुका है सूचना निदेशक का। बावजूद इसके शिशिर इतने सहज और त्वरित हैं तो एक तारीफ़ होनी बनती है।

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