मारपीट से नहीं हुई नशेड़ी फिरोज की मौत,पत्रकार वसीम अली त्यागी समेत 5 ने सोशल मीडिया पर ‘मॉब लिंचिंग’ का झूठ फैलाया: शामली में FIR दर्ज

मामला शामली जिले के थानाक्षेत्र थानाभवन का है। शुक्रवार को यहाँ तैनात सब इंस्पेक्टर मनेंद्र कुमार ने अपने थाने में तहरीर दी है। उन्होंने सोशल मीडिया पर थानाभवन क्षेत्र में ही फ़िरोज़ नाम के व्यक्ति की मौत को लेकर कुछ आपत्तिजनक ट्वीट होते देखे और शिकायत दर्ज कराई।

यह मामला शामली जिले के थानाक्षेत्र थानाभवन का है। शुक्रवार (5 जुलाई 2024) को यहाँ तैनात सब इंस्पेक्टर मनेंद्र कुमार ने अपने थाने में तहरीर दी है। तहरीर में मनेंद्र ने बताया कि 5 जुलाई को वो अपने साथी पुलिसकर्मियों के साथ जलालाबाद क्षेत्र में संदिग्ध वाहनों की चेकिंग कर रहे थे। इसी दौरान उन्होंने सोशल मीडिया पर थानाभवन क्षेत्र में ही फ़िरोज़ नाम के व्यक्ति की मौत को लेकर कुछ आपत्तिजनक ट्वीट होते देखे। ये ट्वीट वसीम अकरम त्यागी, ज़ाकिर अली त्यागी, आसिफ राणा, सैफ इलाहाबादी और अहमद रज़ा खान द्वारा किए जा रहे थे।

शामली पुलिस FIRसोशल मीडिया पर आए दिन भड़काऊ और आपत्तिजनक पोस्ट करने के लिए कुख्यात वसीम अकरम त्यागी और ज़ाकिर अली त्यागी पर उत्तर प्रदेश में FIR दर्ज हुई है। यह FIR शामली पुलिस द्वारा शुक्रवार (5 जुलाई 2024) को दर्ज की गई है। केस में कुल 5 आरोपित हैं जिसमें शिकायतकर्ता खुद पुलिस बनी है। पुलिस का आरोप है कि इन सभी के ट्वीट से समाज में वैमन्सयता फ़ैलाने और शांति भंग होने की आशंका है। साथ ही इन आरोपितों की हरकतों से दूसरे समुदाय के लोगों में नाराजगी है।

यह मामला शामली जिले के थानाक्षेत्र थानाभवन का है। शुक्रवार (5 जुलाई 2024) को यहाँ तैनात सब इंस्पेक्टर मनेंद्र कुमार ने अपने थाने में तहरीर दी है। तहरीर में मनेंद्र ने बताया कि 5 जुलाई को वो अपने साथी पुलिसकर्मियों के साथ जलालाबाद क्षेत्र में संदिग्ध वाहनों की चेकिंग कर रहे थे। इसी दौरान उन्होंने सोशल मीडिया पर थानाभवन क्षेत्र में ही फ़िरोज़ नाम के व्यक्ति की मौत को लेकर कुछ आपत्तिजनक ट्वीट होते देखे। ये ट्वीट वसीम अकरम त्यागी, ज़ाकिर अली त्यागी, आसिफ राणा, सैफ इलाहाबादी और अहमद रज़ा खान द्वारा किए जा रहे थे।

पुलिस ने बताया कि इन आरोपितों ने मॉब लिंचिंग में “एक और मौत” जैसे शीर्षक दिए थे। इन पोस्ट में आरोपितों ने आगे लिखा, “थानाभवन थानाक्षेत्र के जलालाबाद कस्बे में देर रात एक युवक जिसका नाम फिरोज उर्फ काला कुरैशी बताया जा रहा है, कुछ दूसरे समुदाय के लोगों ने घर में घुसने के शक में जमकर पीटा, मार दिया ऐसे तो कोई किसी को भी मार देगा बोल देगा कि उसे शक था।”

पुलिस ने मुताबिक आरोपितों द्वारा इस प्रकार के ट्वीट किए जाने से दूसरे समुदाय के लोगों में नाराजगी है। शिकायत में सब इंस्पेक्टर मनेंद्र कुमार ने आरोप लगाया है कि पाँचों आरोपितों के ट्वीट से लोगों के बीच अपसी वैमन्सयता फैलने, साम्प्रदायक सोहार्द बिगड़ने और स्थानीय स्तर पर शांति भंग होने की आशंका है। आरोपितों द्वारा लिखे गए शब्दों को भद्दी पोस्ट बताते हुए पुलिस ने इसके स्क्रीनशॉट सेव कर लिए हैं। पुलिस ने इन भद्दी पोस्ट वालों के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता की धारा 196 और 353 के तहत कार्रवाई की है। ऑपइंडिया के पास FIR कॉपी मौजूद है।

शामली पुलिस की इस कार्रवाई के खिलाफ विक्टिम कार्ड खेलने की भी कोशिश की गई। हालाँकि पुलिस ने अपनी कार्रवाई को सही करार दिया है। पुलिस का कहना है कि घटना में साम्प्रदयिक एंगल न होने के बावजूद इसे जानबूझ कर दूसरा रूप देने की कोशिश की गई। आरोपितों द्वारा की गई पोस्ट को पुलिस ने दुर्भावना से ग्रसित बताया है। पुलिस ने इस घटना को मॉब लिंचिंग बताने वाले दावों का भी खंडन किया है। पोस्टमार्टम रिपोर्ट के आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी।

नशे में धुत था फ़िरोज़

फ़िरोज़ की मौत पर फैलाए जा रहे भ्रम पर शामली पुलिस ने सच्चाई पेश की है। पुलिस ने घटना की सच्चाई अपने X हैंडल पर बताई है। पुलिस के मुताबिक 4 जुलाई 2024 की रात फ़िरोज़ जलालाबाद कस्बे में राजेन्द्र के घर में घुस गया था। इस दौरान फ़िरोज़ ने नशा कर रखा था। नशेड़ी फ़िरोज़ ने राजेंद्र के परिजनों से हाथापाई की। फ़िरोज़ के घर वाले आकर उसे अपने साथ ले गए जहाँ उसकी मौत हो गई। मृतक के शरीर पर कोई गंभीर चोट के निशान नहीं पाए गए। पोस्टमार्टम रिपोर्ट से भी यह बात साबित हो गई कि मौत की वजह मारपीट नहीं है।

वसीम और ज़ाकिर उड़ा रहे थे मॉबलिंचिंग की अफवाह

पुलिस द्वारा बार-बार समझाए जाने और सफाई पेश किए जाने के बावजूद वसीम अकरम त्यागी और ज़ाकिर अली आदतन इस मामले को मॉब लिंचिंग बता रहे थे। इन लोगों द्वारा पुलिस और पोस्टमार्टम की जाँच रिपोर्ट आने से पहले ही मामले को साम्प्रदायिक रंग में रंगने की कोशिश शुरू हो चुकी थी। इस वजह से राजेंद्र के परिवार की सुरक्षा भी प्रभावित होने की आशंका थी। अपने नाम के अंत में त्यागी लगाने वाले वसीम अकरम और ज़ाकिर अली की उड़ाई अफवाह से उनके फॉलोवरों ने भी इस झूठ को हवा देनी शुरू कर दी थी।

कुछ ही दिन पहले इन्हीं लोगों ने की थी शामली पुलिस की तारीफ

अपने खिलाफ FIR दर्ज होने के बाद वसीम अकरम त्यागी और ज़ाकिर अली के साथ उनके तमाम समर्थक शामली पुलिस को ही गलत बताने की कोशिश में जुट गए हैं। यह वही समूह है जिसने अभी कुछ दिन पहले शामली पुलिस की तारीफ में कसीदे गढ़े थे। खास बात ये है कि तब थानाक्षेत्र भी यही थानाभवन ही था। जून 2024 में बकरीद पर जावेद द्वारा गाय नहीं बल्कि भैंस क़ुर्बान किए जाने के शामली पुलिस के खुलासे को न सिर्फ वसीम अकरम त्यागी और ज़ाकिर अली ने बल्कि मोहम्मद जुबैर तक ने न्याय और सत्य जैसे परोक्ष पदवी से नवाजा था। महज कुछ ही दिनों में यह समूह शामली पुलिस के खिलाफ अपने नजरिए में पूरी तरह से बदलाव ले आया है।

पाँचों नामजदों में मुख्य आरोपित ज़ाकिर अली त्यागी और वसीम अकरम अपने X हैंडल से आए दिन हिन्दुओं के खिलाफ अशोभनीय कमेंट और ट्वीट किया करते हैं। ज़ाकिर अली त्यागी तो अगस्त 2020 में सीता और लक्ष्मी को नोचने जैसे ट्वीट कर चुका है। साल 2017 में ज़ाकिर अली त्यागी योगी आदित्यनाथ के खिलाफ एक आपत्तिजनक पोस्ट करने के मामले में जेल भी काट चुका है। वहीं FIR दर्ज होने के बाद पत्रकारिता का लबादा ओढ़ कर विक्टिम कार्ड खेल रहा वसीम अकरम त्यागी आए दिन कुछ पत्रकारों के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणियाँ किया करता है। सुदर्शन न्यूज़ के प्रधान सम्पादक सुरेश चव्हाणके खिलाफ उसके द्वारा की गई नफरती ट्वीट की एक लम्बी श्रृंखला है।

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