घृणित युद्ध में तब्दील होने को अभिशप्त एक क्रीडा स्पर्धा!!!

‘स्वहिताय-स्वसुखाए’ के पोषक ऐसे तत्वों ने अपने पास के प्रचुर धन व संसाधनों के जरिए अपनेइर्द गिर्द “उपकृतजनों” का लाभार्थी नुमा एक समूह तैयार कर लिया है। स्पर्धा जीतने के लिए सोमरस पान के लुभावने ऑफरों से लबरेज शामों का इंतजाम है, जो इस रस से काबू नहीं आ रहे हैं उन्हें साम-दाम-दंड-भेद-मनुहार के तीरों से वेधित किया जा रहा है।

ज्ञानेन्द्र शुक्ला
राजधानी लखनऊ में एक बिरादरी की एक“गैर मान्यता प्राप्त संस्था” की “मान्यता प्राप्त क्रीडा स्पर्धा” को लेकर सरगर्मी चरम पर हैं। इस स्पर्धा में पूर्व में जीतते आ रहे खिलाड़ियों पर आरोप रहे हैं कि वे जीतने के बाद संस्था से संबंधित बिरादरी को बिसरा देते हैं, उसके सरोकारों से कोई नाता नहीं रखते।
जाहिर है इस बिरादरी में इन खिलाड़ियों को लेकर नाराजगी के भाव रहे हैं, ये नैसर्गिक भी है। लेकिन मामला यहां से रोचक मोड़ ले लेता है। दरअसल, लोगों की नाराजगी को भांपकर आपदा में अवसर तलाशने वाले तत्वों की आँखें भी चमक उठीं। स्पर्धा विजित करने की लालसा इन तत्वोंमें भी जागृत हो गई।
हालांकि इन तत्वों में उक्त संस्था की बिरादरी से संबंधित नही कोई गुणसूत्र हैं न ही उन्हें प्राप्त करने की कोई लालसा, बस एकमेव लक्ष्य है कि ऐन केन प्रकारेण स्पर्धा जीतकर संस्था पर कब्जेदारी पुख्ता हो जाए। ‘स्वहिताय-स्वसुखाए’ के पोषक ऐसे तत्वों ने अपने पास के प्रचुर धन व संसाधनों के जरिए अपनेइर्द गिर्द “उपकृतजनों” का लाभार्थी नुमा एक समूह तैयार कर लिया है।
स्पर्धा जीतने के लिए सोमरस पान के लुभावने ऑफरों से लबरेज शामों का इंतजाम है, जो इस रस से काबू नहीं आ रहे हैं उन्हें साम-दाम-दंड-भेद-मनुहार के तीरों से वेधित किया जा रहा है। जाति-धर्म-मजहब के पांसे फेंके जा रहेहैं। लुभावने वायदों और सीमित ऑफरों के दांव चले जा रहे हैं। अब संस्था से संबंधित संपूर्ण बिरादरी ये सोच सोचकर हलकान हैं कि धन-संपदा की ये निर्लज्ज-घिनौनी क्रीडा स्पर्धा किस निम्नसोपान पर जा टिकेगी। षड़यंत्र-लोलुपता-लालच-भितरघात-दुरभिसंधि की इस “बिलो द बेल्ट” पहुंच चुकी स्पर्धा की परिणीत क्या होगी!!!!
https://bhadas4journalist.com/12178.htm
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