………तो योगी आदित्यनाथ को टारगेट करने के लिए अब प्रदीप सिंह के नाम का सहारा ले रहा है अभिषेक उपाध्याय

पत्रकारिता की ताकत,पत्रकारिता के सम्मान, और पत्रकारिता करने के लिए जिस तरह के समर्पण की आवश्यकता होती है वह अभिषेक उपाध्याय को समझना होगा। आज अभिषेक उपाध्याय की स्थिति सिर्फ चापलूस की हो गई है वह भी एक ऐसा चापलूस जिस पर चापलूसी करने के बावजूद लोग भरोसा नहीं कर पा रहे हैं क्योंकि वास्तव में अभिषेक उपाध्याय को सब ने आजमा कर देख लिया है लेकिन वह किसी की सगे नहीं है।

देश के नाम चीन वरिष्ठ पत्रकार प्रदीप सिंह

जी हां देश के नाम चीन वरिष्ठ पत्रकार प्रदीप सिंह के ऊपर पिछले दिनों अभिषेक उपाध्याय नाम के एक पत्रकार ने यह आरोप लगाया कि वह उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के मीडिया सलाहकार के गुरु रहे हैं। और इसलिए वह लगातार योगी आदित्यनाथ के समर्थन में अपने चैनल “आपका अखबार” पर बोलते हैं। सबसे पहले तो यहां स्पष्ट कर दिया जाना चाहिए कि जब अभिषेक उपाध्याय (जन्म वर्ष 1979) सिर्फ 3 वर्ष के थे। तभी प्रदीप सिंह ने पत्रकारिता की शुरुआत कर दी थी 1983 में उन्होंने उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ से ही प्रिंट मीडिया के समाचार पत्र स्वतंत्र भारत से अपने करियर की शुरुआत की इसके बाद वह आउटलुक, इंडियन एक्सप्रेस, जनसत्ता, बीबीसी, अमर उजाला ,ऑल इंडिया रेडियो ,संडे ऑब्जर्वर के अलावा तमाम सारे चैनलों और प्रिंट मीडिया में रहे।

अब वह आपका अखबार के नाम से यूट्यूब चैनल चलाते हैं जिसे इस देश के करोड़ों लोग प्रतिदिन सुनते हैं प्रदीप सिंह देश के जाने-माने पत्रकार हैं प्रदीप सिंह सिर्फ एक पत्रकार नहीं है बल्कि पत्रकारिता के चलता-फिरता विश्वविद्यालय भी है। प्रदीप सिंह के तमाम सारे शिष्य और उनका अनुसरण करने वाले लोग आज बहुत बड़े-बड़े पदों पर है। उसमें तमाम लोग कई सरकारों में मंत्री भी है , अधिकारी हैं।

केंद्र और राज्य सरकारों की तमाम मंत्रियों को प्रदीप सिंह का चरण बंदन करते हुए मैंने स्वयं देखा है। पत्रकारिता मे रहकर सम्मान कैसे कमाया जाता है यह मैंने प्रदीप सिंह से मिलकर जाना। सिर्फ पत्रकारिता के कारण उनका सम्मान करने वालों में हर दल, हर जाति और हर समुदाय की लोग हैं इलाहाबाद विश्वविद्यालय से शिक्षा प्राप्त करने वाले हम सब के वरिष्ठ रहे अभिषेक उपाध्याय को शायद आज तक पत्रकारिता की ताकत का अंदाजा नहीं है।

शायद यही कारण है कि वह कभी अखिलेश यादव के चमचे कहे जाते हैं तो कभी भारतीय जनता पार्टी के चमचे कहे जाते हैं कभी उत्तर प्रदेश की सरकार में दूसरे और तीसरे नंबर के लोगों के चमचे कहे जाते हैं लेकिन कहा जाता है कि चौथे स्तंभ वाले को चौथा ही रहना चाहिए और वही काम अभिषेक उपाध्याय नहीं कर पाए और आज स्थिति यह हो गई कि वह किसी के सगे नहीं है अब उनको पक्ष और विपक्ष यहां तक की तीसरा पक्ष भी शंका भरी निगाह से देख रहा है।

वास्तव में अभिषेक उपाध्याय अपना स्थान बनाने का प्रयास कर रहे हैं लेकिन वह कहीं एडजस्ट नहीं हो पा रहे हैं वास्तविकता यह है कि उनके ऊपर कोई भरोसा नहीं कर रहा है।

निश्चित तौर पर बौखलाहट स्वाभाविक है और उसी बौखलाहट में अभिषेक उपाध्याय ने योगी आदित्यनाथ को टारगेट करने के लिए प्रदीप सिंह के नाम का सहारा लिया और कहा कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के मीडिया सलाहकार के गुरु प्रदीप सिंह लगातार बृजेश पाठक को निशाना बना रहे हैं अभिषेक उपाध्याय को यह समझना होगा जिसे वह निशाना बनाना कह रहे हैं उसे पत्रकारिता में विश्लेषण कहा जाता है और उस विश्लेषण के सही व गलत का निर्णय जनता करती है।

साथ ही साथ ही अभिषेक उपाध्याय को यह समझना होगा कि प्रदीप सिंह के लिए उनके सारे शिष्य एक समान है चाहे वह कोई मुख्यमंत्री का मीडिया सलाहकार हो या कोई मंत्री हो या फिर मुख्यमंत्री ही क्यों न हो। यदि कोई आज मुख्यमंत्री का मीडिया सलाहकार है तो यह उसकी अपनी किस्मत है उससे योग्य और अयोग्य लोग भी होगे जो प्रदीप सिंह के शिष्य रहे हैं, लेकिन उनको कोई नहीं जानता।

पत्रकारिता की ताकत,पत्रकारिता के सम्मान, और पत्रकारिता करने के लिए जिस तरह के समर्पण की आवश्यकता होती है वह अभिषेक उपाध्याय को समझना होगा। आज अभिषेक उपाध्याय की स्थिति सिर्फ चापलूस की हो गई है वह भी एक ऐसा चापलूस जिस पर चापलूसी करने के बावजूद लोग भरोसा नहीं कर पा रहे हैं क्योंकि वास्तव में अभिषेक उपाध्याय को सब ने आजमा कर देख लिया है लेकिन वह किसी की सगे नहीं है।

एक ऐसा बंदर जो एक पेड़ की डालों पर उछल कूद मचाता है। अभिषेक उपाध्याय केवल उछल कूद मचा रहे हैं बस। लेकिन पत्रकार उछल कूद मचाने वाला नहीं होता है नारद जी के जमाने से पत्रकारिता का एक अलग सम्मान रहा है। कभी-कभी ऐसा लगता है कि अभिषेक उपाध्याय को सिर्फ और सिर्फ एक टॉपिक दिया गया है जिसका नाम है।

 

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