पीड़ितों के बयान से छेड़छाड़ कर The Wire ने की झूठ की फायरिंग: इस्लामी आतंकियों को सुरक्षा कवच देना था मकसद, लोगों ने लताड़ा तो चुपके से खबर की अपडेट

द वायर’ की यह करतूत कोई नई बात नहीं है। यह पोर्टल लंबे समय से ऐसी पत्रकारिता करता रहा है, जिसमें हिंदुओं को निशाना बनाया जाता है और इस्लामी कट्टरपंथ को बचाने की कोशिश की जाती है।

पहलगाम आतंकी हमला वायरवामपंथी प्रोपेगेंडा चलाने वाले न्यूज पोर्टल ‘द वायर’ की इस्लामी कट्टरपंथियों को बचाने की हमेशा से ही आदत रही है, लेकिन 22 अप्रैल को यह अपनी नीचता की एक और हद तक पहुँच गया। वायर ने पहलगाम आतंकी हमले की एक पीड़ित और प्रत्यक्षदर्शी की हिंदुओं का नाम पूछकर मारे जाने की बात को ही नकार दिया।

कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 20 से ज्यादा पर्यटकों को मार दिया गया। आतंकियों ने हर एक से उनका धर्म पूछा और मुस्लिम न होने पर उन्हें मार दिया। ऑनलाइन सोशल मीडिया साइट पर हमले से जुड़े वीडियो और रिपोर्ट्स वायरल हो रही हैं जिनमें ये बताया गया कि आतंकियों ने पीड़ितों की आईडी जाँची, उनका धर्म पूछा और फिर प्वाइंट ब्लैंक पर उन्हें गोली मार दी गई।

वायर की ओर से एक रिपोर्ट पब्लिश की गई जिसे जहाँगीर अली ने लिखा है। इसमें उसने आतंकी हमले के एक प्रत्यक्षदर्शी की बात कही है। इस प्रत्यक्षदर्शी की वीडियो ऑनलाइन अपलोड हुई थी। और सोशल मीडिया पर आते ही ये वीडियो वायरल हो गई। इस वीडियो में एक महिला हमले के कारण पूरी तरह सदमे में थी। उसे साफ तौर पर कहते हुए देखा जा सकता है कि आतंकियों ने उनके पास आकर उनका नाम पूछा और मुस्लिम न होने पर उनके पति को गोली मार दी।

इस वीडियो में एक आदमी को भी देखा जा सकता है जो जमीन पर निर्जीव पड़ा हुआ है और उसकी पैंट कमर से नीचे खिसकी हुई है। वीडियो में एक अन्य आदमी भी दिख रहा है जिसकी गर्दन के पास खून निकल रहा है और उसकी टी-शर्ट खून से लथपथ है।

सोशल मीडिया पर लताड़े जाने के बाद वायर ने अपनी भूल को तुरंत सुधार लिया। ये करतूत वायर की उस प्रवृत्ति को बेपर्दा करता है जिसमें वह हेट क्राइम के नाम पर मुस्लिमों के पीड़ित होने की बात करता है और अगर अपराधी मुस्लिम ही निकल आए तो उसे चालाकी से छुपा देता है।

‘द वायर’ की यह करतूत कोई नई बात नहीं है। यह पोर्टल लंबे समय से ऐसी पत्रकारिता करता रहा है, जिसमें हिंदुओं को निशाना बनाया जाता है और इस्लामी कट्टरपंथ को बचाने की कोशिश की जाती है। चाहे वह कश्मीर में आतंकी हमलों को जायज ठहराना हो या भारत विरोधी नैरेटिव को बढ़ावा देना, ‘द वायर’ हमेशा विवादों में रहा है। इस बार भी उसने पीड़ितों की सच्चाई को दबाकर अपनी एंटी-भारत छवि को और मजबूत किया।

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