बंदूकधारी, चरमपंथी, भारत प्रशासित कश्मीर…. जिन्होंने पहलगाम में 28 को उतारा मौत के घाट, उन्हें आतंकी कहने में ‘अल जज़ीरा’ से लेकर BBC तक को आई शर्म
अमेरिकी मीडिया संस्थान 'वाशिंगटन पोस्ट' ने भी आतंकियों को अंग्रेजी में 'Gunmen', यानी 'बंदूकधारी' कहकर संबोधित किया। इसकी एक और 'चालाकी' देखिए। इसने लिखा कि आतंकी जंगलों से आए और बिना किसी भेदभाव के गोलीबारी की।
जम्मू कश्मीर के पहलगाम में आतंकियों ने 28 निर्दोष नागरिकों को मौत के घाट उतार दिया। इनमें अधिकतर वो पर्यटक हैं, जो वहाँ घूमने गए थे। स्पष्ट दिख रहा है कि ये आतंकियों की करतूत है। ये आतंकी आज से नहीं, बल्कि पिछले कई दशकों से जम्मू कश्मीर में यूँ ही ख़ून बहा रहे हैं। क़तर के सरकारी मीडिया संस्थान ‘अल जज़ीरा’, पाकिस्तान के ‘द डॉन’, अमेरिका के ‘न्यूयॉर्क टाइम्स’ (NYT) और ब्रिटेन के सरकारी मीडिया BBC ने शब्दों का हेरफेर करके आतंकियों का महिमामंडन करने का प्रयास किया।
‘अल जज़ीरा’ ने आतंकियों को कहा ‘बंदूकधारी’
आइए, सबसे पहले ‘अल जज़ीरा’ की भाषा देखते हैं। वो लिखा है, “भारतीय पुलिस के अनुसार, सशस्त्र व्यक्तियों ने भारत प्रशासित कश्मीर में पर्यटकों गोलीबारी की जिसमें 26 लोग मारे गए।” इसके बाद पुलिस का बयान डालते हुए “आतंकी हमला” को कुछ इस तरह डबल कोट में लिखा गया, जैसे अगर ‘अल जज़ीरा’ इन हत्यारों को ख़ुद से आतंकी कह देगा तो ये एकदम से उसकी संपादकीय नीतियों के विरुद्ध चला जाएगा। वैसे ये पहली बार नहीं हो रहा है जब ‘अल जज़ीरा’ ने ऐसी हरकत की हो, आतंकियों को बार-बार ‘बंदूकधारी’ कहते रहे हैं।
पाकिस्तानी मीडिया ‘डॉन’ भी चला आतंकियों की लाइन पर
अब पाकिस्तानी मीडिया संस्थान ‘डॉन’ से क्या ही अपेक्षा करें! चूँकि घाटी में सारा का सारा आतंक ही पाकिस्तान द्वारा प्रायोजित है, ऐसे में पाकिस्तानी मीडिया भला कैसे आतंकी को आतंकी कहेगा। ‘डॉन’ ने भी जम्मू कश्मीर को भारत का प्रांत मानने से इनकार करते हुए इसे ‘भारत अधिकृत कश्मीर’ बताया। इसने भी आतंकियों को ‘बंदूकधारी’ लिखा। साथ ही इसने पहलगाम को भी इसने ‘मुस्लिम बहुसंख्यक वाला क्षेत्र’ करार दिया। साथ ही इसने इस घटना की जिम्मेदारी लेने वाले आतंकी समूह ‘कश्मीर रेजिस्टेंस’ को भी ‘Little Known Group’ लिखा।
‘वाशिंगटन पोस्ट’ के लिए भी ये आतंकी ‘बंदूकधारी’
अमेरिकी मीडिया संस्थान ‘वाशिंगटन पोस्ट’ ने भी आतंकियों को अंग्रेजी में ‘Gunmen’, यानी ‘बंदूकधारी’ कहकर संबोधित किया। इसकी एक और ‘चालाकी’ देखिए। इसने लिखा कि आतंकी जंगलों से आए और बिना किसी भेदभाव के गोलीबारी की। सोचिए, ‘बिना भेदभाव के’। जबकि पीड़ितों ने बार-बार कहा कि पुरुषों के पैंट खोल-खोलकर ये चेक किया गया कि उनका खतना हुआ है या नहीं। जिनका खतना नहीं हुआ था, उन्हें हिन्दू समझकर मारा गया। आईडी कार्ड चेक किया गया, पूछा जा रहा था, “मुस्लिम हो?”
इसके बावजूद ‘वाशिंगटन पोस्ट’ लिखता है कि ‘बिना किसी भेदभाव के’ गोलीबारी हुई। इतना ही नहीं, धूर्त ‘वाशिंगटन पोस्ट’ ने ये भी लिखा कि मुस्लिम बहुल इलाक़ों में भारत सरकार ने असहमति को लेकर बड़ी कार्रवाई की। साथ ही किसी ‘अब्दुल वहीद’ का गुणगान किया गया कि उसने पीड़ितों को बचाया।
BBC: हमेशा भारत के ख़िलाफ़, आतंकियों को मानता ही नहीं आतंकी
ब्रिटेन का सरकारी मीडिया संस्थान अब भी उसी मानसिकता में जी रहा है, जब भारत पर ब्रिटेन का राज था और हम ग़ुलाम थे। बीबीसी को लगता है कि वो कुछ भी कहकर बच जाएगा। इसने भी जम्मू कश्मीर को ‘भारत प्रशासित कश्मीर’ लिखा और आतंकियों को ‘बंदूकधारी’ कहकर संबोधित किया। इसने भी कश्मीर को ‘मुस्लिम बहुल इलाक़ा’ कहकर संबोधित किया। इसने जम्मू कश्मीर में आतंकवाद को ‘अलगाववादी विद्रोह’ कहकर संबोधित किया। साथ ही जम्मू कश्मीर में 5 लाख भारतीय सैनिकों के तैनात होने का दावा किया।

BBC ने जम्मू कश्मीर को भारतीय क्षेत्र मानने से एक तरह से इनकार करते हुए इतिहास बताया कि आज़ादी के बाद दोनों देश जम्मू कश्मीर पर अपना दावा ठोकते रहे हैं। इसने आतंकियों को भी चरमपंथी लिखा, ऐसा दिखाया जैसे वो कोई बागी हों। BBC की हिंदी शाखा ने तो हेडिंग में ही ‘चरमपंथियों’ लिखा। साथ ही आतंकियों को ‘बंदूकधारियों’ भी लिखा। इसी तरह जर्मन मीडिया संस्थान DW ने भी ‘भारत प्रशासित कश्मीर’ और ‘बंदूकधारियों’ जैसे शब्दों का इस्तेमाल किया।
