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सीएम नीतीश कुमार अब ख़ुद कमजोर शिकार बन गए : समीर चौगांवकर

एनडीए में रहकर चिराग पासवान लगातार नीतीश की पार्टी पर हमलावर है। बिहार में विपक्ष से ज़्यादा विपक्ष की भूमिका सत्ता पक्ष के साथ रहकर चिराग पासवान निभारहे है।

बिहार में इस साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले कानून व्यवस्था बड़ा सियासा मुद्दा बन गया है। केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने एक बार फिर कानून व्यवस्था को लेकर नीतीश सरकार पर निशाना साधा है। इस बीच वरिष्ठ पत्रकार समीर चौगांवकर ने भी इस मामले पर अपनी राय व्यक्त की। उन्होंने एक्स हैंडल से एक पोस्ट करते हुए लिखा, बिहार के लिए चिराग पासवान का संदेश साफ़ है, मोदी जी से बैर नहीं, नीतीश जी की खैर नहीं, मोदी सरकार में मंत्री चिराग क्या बिहार में वह कहावत चरितार्थ करने वाले है कि ‘घर को लगी है आग घर के चराग से। ‘

एनडीए में रहकर चिराग पासवान लगातार नीतीश की पार्टी पर हमलावर है। बिहार में विपक्ष से ज़्यादा विपक्ष की भूमिका सत्ता पक्ष के साथ रहकर चिराग पासवान निभारहे है। जेडीयू असहज है, और सीमित दायरे में चिराग को गठबंधन धर्म निभाने को कह रही है। बीजेपी ने चुनी हुई चुप्पी ओढ़ ली है। बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व ने अभी तक चिराग को जबान पर लगाम लगाने के लिए नहीं कहा।

2020 के विधानसभा चुनाव में नीतीश की लंका मोदी जी के इसी हनुमान (चिराग) ने लगायी थी। पिछले विधानसभा चुनाव में चिराग पासवान ने एनडीए से अलग होकर चुनाव लड़ा था और 42 सीटों पर एनडीए की हार का कारण बने थे। चिराग के कारण जेडीयू को 36, वीआइपी को 4, मांझी की हम और बीजेपी को 1-1 सीट पर हार का सामना करना पड़ा था। चिराग के कारण जेडीयू 43 सीटों के साथ तीसरे नंबर पर पहुँच गई थी।

पिछले चुनाव में चिराग पासवान ने नीतीश को घायल कर दिया था, इस बार क्या फिर से चिराग के कंधे पर बंदूक रखकर घायल नीतीश को पूरी तरह राजनीतिक रूप से खत्म करने की कोशिश की जा रही है? कभी राजनीति के मंजे हुए शिकारी रहे नीतीश कुमार अब ख़ुद कमजोर शिकार बन गए है। चिराग के बन्दूक में कारतूस किसका है,आसानी से समझा जा सकता है। चिराग का राजनीतिक जहाज बिहार में लैंडिंग करने की पूरी तैयारी कर चुका है। चिराग के जहाज में ईधन और पायलट दोनों बीजेपी के है। चिराग दिल्ली में मंत्री की जगह बिहार में उप मुख्यमंत्री बनने को तैयार है।

आपको बता दें, विपक्ष लगातार कानून व्यवस्था को लेकर नीतीश सरकार को घेरने की कोशिश में रहता है। ऐसे में चिराग पासवान के लतागार सवाल मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की मुश्किलें बढ़ा सकते हैं।

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