दैनिक जागरण छापता है पेड न्यूज-संजय शर्मा

लखनऊ। राजधानी लखनऊ इन दिनों दलाल पत्रकारों की मंडी में शुमार होता जा रहा है। समाज में अपराधिक छवि रखने वाले लोग इन दिनों पत्रकारिता की आड़ लेकर दलाली का परचम फहरा रहे है। आज हर कोई चाहे वह गुण्डा हो या नेता हो या फिर ठेकेदार यह सभी अपनी अपराधिक छवि को छिपाने के लिए पत्रकारिता का सहारा लेकर वास्तविक पत्रकारों की नैया डुबोने का कार्य कर रहे है। आज के दौर में इन्ही लोगों की वजह से पत्रकारों की इज्जत तार-तार हो रही है। मगर उसके बावजूद हमारे सज्जन और ईमानदार पत्रकार भाई ऐसे दलालों पर कार्यवाही करने के बजाय इन्ही के रंग में रंगते जा रहे है। दुर्भाग्य की बात है कि ऐसे अपराधिक छवि वालें इन दल्लों की संख्या में दिन-दूनी रात चैगुनी की रफ्तार से वृद्धि हो रही है। यह स्वयं को शासन सत्ता में सबसे विश्वसनीय और ईमानदार घोषित करते है। वही जीवन भर अपने मूल्यों से समझौता नहीं करने वाले पत्रकारों को गुमनामी की जिंदगी गुजार देनी पड़ती है। जिसका सबसे बड़ा जिम्मेदार शासन सत्ता होता और हमारे ही बीच के हमारे पढ़े लिखे ईमानदार पत्रकार भाई है। जो शासन सत्ता और ऐसे दलाल पत्रकारों के बहकावें में आकर अपने ईमानदार भाईयों को ही जेल में पहुंचवाने या फिर उनकी कब्र खोदने में महत्तवपूर्ण भूमिका अदा करते है। राजधानी लखनऊ में भी ऐसे ही कई पत्रकारिता की दलाली में रंगे सियार है। जिसमें एक नाम हिन्दी साप्ताहिक समाचार विकेण्ड टाइम्स और मिड डे एक्टीविस्ट के संपादक संजय शर्मा का है। इसकी नजर में देश के तीन ही पत्रकार ईमानदार है बाकि अन्य सभी बेईमान है। ऐसे कथित ईमानदारों की ईमानदारी में चार-चाॅंद लगाने में हमारे उत्तर प्रदेश के मुखिया मुख्यमंत्री अखिलेश यादव भी कम पिछे नहीं है। पीछे रहे भी क्यों ? इन्हीं लोगों की वजह से जो पूरे ऐशोआराम की व्यवस्था जो चल रही है। मुख्यमंत्री को किसी गरीब की समस्या सुनने के लिए समय नहीं है। मगर ऐसे पत्रकारिता के रंगे सियारों का मनोबल बढ़ाने के लिए इनके पास समय निकल जाता है। खैर अन्य बातों को छोड़कर मुख्य मुद्दे पर आते है। देश के के इस कथित ईमानदार संपादक को ख्याति पाने की इतनी अधिक ललक है कि वह इसके लिए कोई भी कीमत अदा करने के लिए तैयार हो जाता है। टीवी चैनलों पर पैसे देकर स्वयं का इंटरव्यू कराता है। जब कुछ हाथ नहीं लगता है तो वह स्वयं के कर्मचारियों से अपना इंटरब्यू रिकार्ड कराता है। देश के इस तथाकथित रंगे सियार पत्रकार को भले ही लिखने कुछ नहीं आता है। मगर ईमानदार और लिखाड़ू पत्रकारों से जुगाड़ किये गये लेखों के साथ अपना फोटो चस्पा कर स्वयं को देश का तथा कथित प्रतिष्ठित ईमानदार और कर्तव्य निष्ठ पत्रकार घोषित कर लेता है। आज तक ऐसा कोई भी व्यक्ति इसका सगा नहीं है जिसको इसने ठगा नहीं है। कर्मचारियों का कई-कई माह का वेतन बकाया कर उन्हें भगा दिया है। इसने स्वयं के कर्मचारी जिसका नाम प्रिया गुप्ता है। उससे अपना इंटरव्यू कराया है। जिसमें इसने दो अखबार हिन्दुस्तान, जनसत्ता को श्रेष्ठ मानता है बाकि अन्य अखबारों और उनके मालिकों पर इसने पेड न्यूज छापने का आरोप लगाया है। जिस प्रिया गुप्ता से इसने इंटरव्यू करवाया है। वह इसके अखबार विकेण्ड टाइम्स में कार्य करती थी। यह लड़की इलाहाबाद की रहने वाली है। यह लखनऊ में रहकर मास काम की प्राईवेट पढ़ाई करती है। इस लड़की का पिता नहीं है। यह लड़की मजबूरी वश इसके यहां कार्य करती है। मगर इस घटिया आदमी की इस लड़की पर भी नजर थी। इसके आफिस में यह लड़की कार्य कर रही थी। इसका संजय शर्मा ने चार माह का वेतन भी बाकी कर उसे मजबूरी के हालत का सामना करने के लिए विवश किया था। उसी लड़की से इसने अपना इंटरव्यू कराकर स्वयं को ख्याति प्राप्ति करने के लिए फेसबुक पर उस विडियों को अपलोड करा दिया। जिसमें उसने दैनिक जागरण अखबार को कहा कि वह पेड न्यूज छापता है। इस विडियों संजय शर्मा ने क्या-क्या बाते है। वह इस प्रकार है:-
प्रिया गुप्ता:- आपको किस प्रकार का न्यूज पेपर अच्छा लगता है? 
संजय शर्मा:- न्यूज पेपर वह अच्छा होता है जो पाजीटिव वेव में होता है। आज कल सभी अखबारों के प्रमुख पेज पर मुख्य रूप से ऐसी खबरें होती है। जिसमें क्राइम की खबरें होती है। इससे लगता है कि कही न कही कुछ कमी रहती हैं हिन्दुस्तान और जनसत्ता सबसे बढि़यां होता है।
प्रिया गुप्ता:-केपीएमजी के सर्वे रिर्पोट में दैनिक जागरण हमेशा सबसे आगे रहता है। क्या आपकों लगता है कि दैनिक सबसे बेहतर पेपर है ?
संजय शर्मा:- दैनिक जागरण ने पेड न्यूज के चलते अपनी शाख खराब कर लिया है। जो आकड़े होते है, इन आंकड़ों में बहुत सारे हेर-फेर होते है। ऐसे में कौन आगे है इस रिपोर्ट के आधार पर कुछ नहीं कहा ज सकता है। अखबार का अधिक बिकना मायने नहीं रखता है। अखबार पठनीय होना चाहता है। 
प्रिया गुप्ता:- विकेण्ड टाइम्स कैसा पेपर है ? इसमे आप लोगों को क्या दिखाना चाहते है ? संजय शर्मा:- कोई अखबार ऐसा होना चाहिए कि जो किसी भी सत्ता संस्थानों के दबाब में नहीं आना चाहिए। यह 10 साल में देश का सबसे बढि़या अखबार हो गया है।
प्रिया गुप्ता:- आप एक तीखा पत्रकार है आप सच बोलते है इसमें कितना सच है ?संजय शर्मा:- आप जब पत्रकारिता है कि तो आप समाज को सच बतायेगें। मगर आज अखबारों में बिल्डर और भूमाफिया आ रहे है जो पत्रकारिता को खराब रहे है। 
प्रिया गुप्ता:- आपने एक मिड डे एक्टीविस्ट अखबार शुरू किया है। इसका मुख्य उद्देश्य क्या है ?संजय शर्मा:-लखनऊ में एक भी शाम का अखबार नहीं था। इसलिए शाम का अखबार निकाला है। इसे अप्रत्याशित रूप से ख्याति प्राप्ति हुई है। इसमे ऐसे समाचारों को लगाया गया है जिसे बड़े-बड़े अखबारों ने फालोअप किया है।
संलग्न विडियों को ध्यान से देखने पर सबसे पहले पता लग जाता है कि इस विडियों को संजय शर्मा ने ख्याति प्राप्ति के लिए अपने कर्मचारियों से रिकार्डिग करवाई है। रिकर्डिग के दौरान प्रिया गुप्ता को कैमरे से पिछे एक युवती की आवाज आती है जो सीधा होने के लिए कह रही है। दूसरी बात संजय शर्मा देश के ऐसे ईमानदार पत्रकार है कि उन्हें यह भी पता केपीएमजी रिपोर्ट क्या होती है। शायद यही वजह है कि एक मास काम की स्टूडेन्ट ने संजय शर्मा से पूछा मगर वह इस पर प्रकाश नहीं डाल सका है। संजय शर्मा ने दैनिक जागरण जैसे अखबार को पेड न्यूज छापने का आरोप लगा दिया। मगर वह भूल गये वह स्वयं भी यही कृत्य करते है। सरकारों विभागों के प्रिंटिग्स के ठेके लेने के लिए इनके द्वारा अपने साले से छल कपट कर विकेण्ड टाइम्स अखबार हथिया लिया गया। एक ऐसा व्यक्ति सलाह दे रहा है जो स्वयं भ्रष्टाचार और करप्सन की दलदल में धसा है। ऐसा व्यक्ति अखबार के मूल्यों की बात कर रहा है। संजय शर्मा इस विडियों में कह रहे है कि बिल्डर और भूमाफिया इस क्षेत्र में अपनी गहरी पैठ जमा कर पत्रकारिता को बदनाम कर रहे है। मगर वह भूल गये कि वह स्वयं अपने गृह जनपद बदायूं के सेन्ट्रल बैंक आंफ इण्डिया के डिफाल्टर रह चुका है। यह भूल चुका है कि यह वही गुण्डा माफिया और पत्रकारिता पर कलंक लगाने वाला दलाल पत्रकार है। जो वर्ष जुलाई माह 2007 में बसपा के गुर्गो के दम पर एक सेवानिवृत्ति सैन्य अधिकारी के मकान पर अवैध रूप से जबरन कब्जा कर रहा है। यह वही पत्रकारिता का भड़वा दलाल है जो जो उस बसपा नेता और अपने एक संत मित्र को लड़कियों की सप्लाई करता था। यह दलाल भूल गया कि इसे गोमतीनगर थाने में सैन्य अधिकारी ने रिवाल्वर लेकर दौड़ा लिया था। आज पत्रकारिता का यह रंगा सियार सौ चूहे खाकर बिल्ली चली हज की कहावत को चरितार्थ कर रहा है।

विनीत राय के फेसबुक वॉल से

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